संजय जोशी और नरेंद्र मोदी की दुश्मनी नई नहीं है. दोनों के बीच मनमुटाव तभी से चला आ रहा है जब केशुभाई पटेल गुजरात के मुख्यमंत्री थे. उस ज़माने में संजय जोशी गुजरात में बीजेपी के संगठन महामंत्री हुआ करते थे.
कहा जाता है कि संजय जोशी गुजरात में मोदी की नहीं चलने देते थे. ये बात मोदी को खटकती थी. जब केशुभाई को हटाकर मोदी मुख्यमंत्री बने तो संजय जोशी को गुजरात से हटाकर केंद्रीय संगठन में भेजा गया और उन्हें संगठन महामंत्री का पद मिला.
तब नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ पार्टी का जो खेमा सक्रिय था, मोदी को लगता था कि उसके पीछे संजय जोशी का हाथ है.
जिन्ना प्रकरण के बाद आडवाणी का इस्तीफ़ा हुआ तो उसके पीछे भी संजय जोशी की भूमिका मानी गई. इसके बाद संजय जोशी का अश्लील सीडी कांड सामने आया. जोशी को लगा कि इसके पीछे मोदी की साज़िश है. सीडी कांड के बाद संजय जोशी को सभी पद छोड़ने पड़े थे.
नरेंद्र मोदी और संजय जोशी के बीच तनातनी चलती रही और मोदी संजय जोशी को वापस लाने का विरोध करते रहे.
मुंबई में पिछले महीने हुई कार्यकारिणी की बैठक से पहले आख़िरकार नरेंद्र मोदी का गुबार फट पड़ा. उन्होंने गडकरी पर दबाव डालकर संजय जोशी को कार्यकारिणी से बाहर करवा दिया.
इसके बाद दोनों के बीच की दरारें और गहरी हो गईं. मोदी ने संजय जोशी की रेलयात्रा तक रद्द करवा दी. मोदी नहीं चाहते थे कि संजय जोशी ट्रेन से दिल्ली आएं और गुजरात में उनकी अगवानी हो.
इसके बाद मोदी विरोधी पोस्टर वॉर सामने आया. अहमदाबाद से लेकर दिल्ली तक संजय जोशी के समर्थन में पोस्टर चिपकाए गए.
आख़िरकार, शुक्रवार को संजय जोशी ने पार्टी की ज़िम्मेदारियों से किनारा कर लिया और ये कहते हुए किया कि नरेंद्र मोदी की वजह से उन्होंने ये कदम उठाया है.