वो दिन अब दूर नहीं जब रोबोट्स लोगों की नौकरी छीन लेंगे... ये बात कई साल से कही जा रही है. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) के लगातार होते विकास से ये खतरा और भी तेजी से बढ़ रहा है. अभी तक हम ऐसी ही खबरें पढ़ रहे थे कि रोबोट्स रेस्टोरेंट्स में वेटर का काम कर रहे हैं या एयरपोर्ट्स पर लोगों का स्वागत कर रहे हैं. मगर अब खबर आई है कि रोबोट्स सिक्योरिटी गार्ड का काम भी करने लगे हैं.
डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, इस रोबोट को इंसान की तरह बनाने की कोशिश हुई है. रोबोट को तैयार करने का काम 1X नाम की कंपनी ने किया है. इसे Humanoid EVE Robot कहा जा रहा है. ये आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए काम करता है. फिलहाल इसे सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर काम करने के लिए रखा गया है. कंपनी का कहना है कि रोबोट के इंसानों की तरह हाथ, चेहरा और दिमाग भी हैं. इसने अप्रैल की शुरुआत से अपनी ड्यूटी करना शुरू किया है.
Lot’s of great hype about the large multimodal models right now. But how do we get to trillions of tokens for embodied actions? My bet is VR-Teleoperation and shared autonomy. pic.twitter.com/RyWCvDw7Mg
— Bernt Bornich (@BerntBornich) March 21, 2023
निगरानी करना है रोबोट की ड्यूटी
रोबोट का काम नॉर्वे और डलास में इंडस्ट्रियल साइट्स पर बनाए जाने वाले Android की निगरानी करना है. Android के अनियंत्रित होने की स्थिति में ये रोबोट उसे वर्चुअल रिएलिटी के माध्यम से संभाल सकता है. इसके लिए रोबोट कैमरा सिस्टम के साथ अलार्म सेंसर का इस्तेमाल करता है, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि उसे जिस चीज की निगरानी का काम सौंपा गया है, उसे वो बखूबी कर रहा है. रोबोट के हाथ भी इंसानों की तरह काम करने के मकसद से तैयार किए गए हैं. ये सामान को हाथों में उठा सकता है और दरवाजा भी खोल सकता है.
दूसरे सेक्टर्स में भी हो सकता है इस्तेमाल
इस रोबोट को इंसानों की तरह काम करता देख ऐसा कहा जा रहा है कि अब रोबोट्स का इस्तेमाल दूसरे सेक्टर्स में भी किया जाने लगेगा, जैसे हेल्थ केयर और हॉस्पिटैलिटी. डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, 1X के सीईओ और संस्थापक बर्न्ट बोरनिच ने कहा, 'हमारे पास एक बड़ा विजन है. हम लेबर की कमी की समस्या को सुलझाना चाहते हैं. इसे कैसे हल किया जाए, हमारे पास इसकी विजिबिलिटी है. लेकिन हमें बहुत सारे डाटा की जरूरत है. मुझे लगता है कि हमारे पास पूरी तरह अलग समाज होगा, जहां हम श्रमिकों की कमी के बारे में नहीं सोचेंगे.'