सरकार ने सोमवार को कहा कि शेयर बाजार नियामक सेबी और बीमा नियामक इरडा यूलिप मुद्दे पर सेबी द्वारा 14 जीवन बीमा कंपनियों पर यूलिप जारी करने पर प्रतिबंध से पहले की स्थिति बरकरार रखने पर राजी हो गए हैं.
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने संवाददाताओं को बताया कि जब तक अदालत यह निर्णय नहीं करता कि यूलिप स्कीमों का नियमन कौन कर सकता है, यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी. यूलिप एक बीमा उत्पाद है जिसमें प्रीमियम का एक बड़ा हिस्सा शेयरों एवं बांडों में निवेश किया जाता है.
मुखर्जी ने कहा, ‘अस्पष्टता को दूर करने और बाजार में सामान्य कामकाज सुनिश्चित करने के लिए दोनों नियामक संयुक्त रूप से एक उचित अदालत से इस मामले में कानूनी निर्णय राय लेने को सहमत हुए हैं जो दोनों के लिए बाध्यकारी होगा.’ उन्होंने बताया, ‘इस बीच यथास्थिति बरकरार रखने पर सहमति बनी है.’
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों, इरडा के चेयरमैन जे. हरि नारायण और सेबी प्रमुख सीबी भावे के बीच कई दौर की वार्ता के बाद मुखर्जी का यह बयान आया. पिछले शुक्रवार को सेबी ने 14 जीवन बीमा कंपनियों को यूनिट लिंक्ड बीमा पालिसियों से धन जुटाने पर पाबंदी लगा दी जिसके एक दिन बाद बीमा नियामक इरडा ने बीमा कंपनियों को सेबी के प्रतिबंध को नजरअंदाज कर कारोबार पहले की तरह जारी रखने को कहा था.
मुखर्जी के इस बयान से पहले शेयर बाजार नियामक सेबी के अध्यक्ष सीबी भावे और बीमा नियामक इरडा के अध्यक्ष जे हरि नारायण ने नयी दिल्ली में वित्त मंत्रलय के अधिकारियों के साथ अलग अलग बैठकें की थीं. भावे और हरि नारायण ने वित्त सचिव अशोक चावला से अलग अलग मुलाकात की थी.