बाजार नियामक सेबी ने दिवाली से पहले छोटे निवेशकों को एक सौगात देते हुए उनके लिए आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) में व्यक्तिगत निवेश की सीमा बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दी.
साथ ही नियामक ने बीमा कंपनियों द्वारा आईपीओ लाने के लिए डिसक्लोजर एवं लेखा नियमों को भी मंजूरी प्रदान कर दी है. इसके अलावा, सेबी ने आईपीओ लाने वाली कंपनियों को इश्यू से पहले मीडिया कवरेज में पर्याप्त सूचना को सार्वजनिक करने को कहा है.
एक अभी आईपीओ में अधिकतम एक लाख रुपये तक का निवेश करने वालों को ही खुदरा निवेशक की श्रेणी में रखा जाता है.
सेबी के प्रमुख सी.बी. भावे ने यहां संवाददाताओं को बताया कि निदेशक मंडल ने खुदरा निवेशकों के लिए आईपीओ में निवेश की सीमा बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दी है.
सेबी ने अगस्त में अपने दिशानिर्देश के मसौदे में खुदरा निवेशकों के लिए आईपीओ में निवेश की सीमा बढ़ाकर दो लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया था. इससे पहले 2005 में खुदरा निवेशकों के लिए सार्वजनिक निर्गमों में निवेश की सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये की गई थी.
खुदरा निवेशकों को आईपीओ और एफपीओ की ओर आकषिर्त करने के लिए यह निवेश सीमा बढ़ाई गई. इस बीच, बाजार नियामक ने कहा कि उसे कंपनियों के अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित नए नियमों पर निर्णय करने में कुछ और वक्त की जरूरत है. प्रस्तावित नयी अधिग्रहण संहिता में अधिग्रहण के लिए खुली बोली के समय शत प्रतिशत शेयरों के लिए बोली लगाने और खुदरा शेयरधारकों को प्रवर्तकों के बराबर दाम देने का प्रावधान है.
सेबी की बैठक के बाद चेयरमैन सी.बी. भावे ने संवाददाताओं को बताया, ‘ इस पर की बैठक में निर्णय नहीं किया जा सका और बोर्ड की अगली बैठक में इसपर विचार किया जाएगा.’ समिति ने यह भी सिफारिश की है कि अधिग्रहण करने वाली कंपनी को किसी भी सूचीबद्ध कंपनी का अधिग्रहण करने के लिए 100 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की पेशकश करनी होगी.
मौजूदा नियमों के तहत अगर किसी कंपनी में दूसरी कंपनी की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत पहुंचती है तो उसे न्यूनतम 20 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए खुली पेशकश लानी पड़ती है.
समिति ने खुली पेशकश की दहलीज को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने का सुझाव दिया है.