पुर्तगाल के रूफिनो बोरेगो को कोई बड़ी बीमारी नहीं थी लेकिन फिर भी वो क्यों 43 साल तक व्हीलचेयर पर रहने के लिए मजबूर थे. दरअसल रूफिगो जब 13 साल के थे तब एक हॉस्पिटल ने उन्हें बताया कि उन्हें मस्कुलर डिस्ट्रॉफी है, जिसका इलाज संभव नहीं है. उसके बाद उनकी जिंदगी व्हीलचेयर पर सिमट कर ही रह गई.
लेकिन अचानक 2010 में उनके न्यूरोलॉजिस्ट ने उन्हें ऐसी बात बताई जिससे रूफिनो सन्न रह गए. उनके डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उन्हें मस्कुलर डिस्ट्रॉफी है ही नहीं. उन्हें इतने दिनों तक व्हीलचेयर पर रहने की जरूरत ही नहीं थी. दरअसल रूफिनो को मियासथीनिया है, जिसमें शरीर की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. लेकिन इसका इलाज संभव है और बड़ा आसान भी.
फिजियोथेरेपी और अस्थमा का ट्रीटमेंट लेने से यह बीमारी ठीक हो जाती है. रूफिनो ने अपना इलाज करवाया और 2011 में वो अपने पड़ोस के कैफे में खुद चल कर जाने में सक्षम हो पाए थे. कैफे के मालिक ने एक अखबार से कहा, 'उन्हें अपने पैरों पर चलता देख हमें विश्वास नहीं हुआ. यह कोई चमत्कार से कम नहीं था.'
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अब 61 साल की उम्र में रूफिनो नॉर्मल जिंदगी जी रहे हैं. उन्हें साल में दो फिजियोथेरेपी सेशन की ही जरूरत पड़ती है. अपने साथ इतना हो जाने के बाद भी रूफिनो को उस अस्पताल के खिलाफ कोई गुस्सा नहीं है, जिन्होंने उनकी बीमारी की गलत रिपोर्ट दी था. रूफिनो कहते हैं, '1960 के दशक में मेडिकल साइंस मियासथीनिया से अंजान था.' अब रूफिनो अपनी जिंदगी खुलकर जीना चाहते हैं.