कहते हैं कि मन में अगर लगन और कुछ करने की तमन्ना है तो बड़ी से बड़ी कामयाबी आपके कदम चूमेंगी और राह की सारी बाधायें अपने आप दूर हो जायेंगी. कुछ ऐसा ही शहर के गंगानगर इलाके के मछरिया में एक छोटे से कमरे में रहने वाले अभिषेक के साथ हुआ.
अभिषेक के पिता मोची का काम करते हैं और मां घर में मोहल्ले वालो के पुराने कपड़े सिल कर परिवार का पेट पालती हैं लेकिन बेटे ने आईआईटी जेईई की परीक्षा पास कर ली है और अब वह इंजीनियर बन जायेगा.
किसी शायर ने कहा है ‘‘खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तदबीर से पहले, खुदा बंदे से यह पूछे कि बता तेरी रजा क्या है ’’ यह शेर तीन भाइयों के साथ गरीबी में दिन गुजार रहे अभिषेक कुमार भारतीय पर बिल्कुल सही बैठती है. अभिषेक ने लालटेन की रोशनी में और एक छोटे से कमरे में छह लोगो के परिवार के बीच पढ़ाई करके आईआईटी जेईई की एससी श्रेणी में 154 वां रैंक हासिल किया है. अब अभिषेक का सपना है कि वह आईआईटी कानपुर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पढ़ाई हासिल करें.{mospagebreak}
अभिषेक के पिता राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि ‘‘मेरी किदवईनगर चौराहे पर मोची की दुकान है और मैं लोगो के जूते पालिश करता हूं और दिन भर में साठ से सत्तर रुपये कमा लेता हूं. मेरी पत्नी मोहल्ले वालो के पुराने कपड़े सिल कर कुछ पैसे कमा लेती है लेकिन इसके बावजूद हमने अपने बच्चों की पढ़ाई में कोई कमी नही आने दी.
अभिषेक ने कहा कि उसने इंटर और हाईस्कूल की परीक्षा 78 प्रतिशत से अधिक नंबरों से पास की थी और उसका एक ही सपना था कि वह आईआईटी एयरोस्पेस इंजीनियरिंग करें. उसने बताया कि एक छोटा सा कमरा और उस पर छह लोगो का परिवार होने के कारण दिन में पढ़ाई में थोड़ी दिक्कत आती थी. इसलिये रात में जब घर में सब सो जाते थे तो वह लालटेन जलाकर पांच से छह घंटे की पढ़ाई करता था.
अभिषेक ने कहा कि उसके पिता के पास इतने पैसे तो थे नही कि वह कोचिंग कर लेता लेकिन शहर के एक कोचिंग संस्थान के एक शिक्षक को जब उसकी गरीबी और मेहनत के बारे में पता चला तो उन्होंने पढ़ाई में कुछ मदद की.{mospagebreak}
उसने अपनी कामयाबी का सारा श्रेय अपने माता पिता और शिक्षकों को दिया और कहा, ‘‘मेरे मां बाप भले ही गरीब हो लेकिन उन्होंने मेरी पढ़ाई में कभी गरीबी आड़े नहीं आने दी इसलिये मैं अपनी कामयाबी का श्रेय अपने मां बाप को देता हूं.
अभिषेक ने कहा कि वह चाहते हैं कि उनके बाकी तीन भाई भी कड़ी मेहनत करके अच्छे संस्थानों में दाखिला पायें और इसके लिये वे उनकी पढ़ाई में मदद करेंगे.’’ अभिषेक के पिता ने बताया कि उनके चार बच्चे हैं और चारो बच्चे पढ़ रहे है. बड़े अभिषेक का आईआईटी में चयन हो गया है जबकि उससे छोटा अभिजीत कक्षा 10 में, अंशुल कक्षा 6 में तथा सबसे छोटा आर्यन कक्षा एक का छात्र है.
अभिषेक के पिता राजेन्द्र से जब पूछा गया कि आईआईटी की फीस तो काफी ज्यादा होती है, ऐसे में वह इसके लिये धन कहां से लायेंगे, तो उन्होंने कहा, ‘‘यही चिंता तो अब हमारे सामने सिर उठाये खड़ी है लेकिन हमें चाहे खुद को बेचना पड़े लेकिन अब जब हमारे बेटे ने आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में दाखिला पा लिया है तो उसे एडमिशन तो दिलाकर ही रहूंगा.’’ बेटे के आई आई टी में चयन से राजेन्द्र और उनका परिवार इतना खुश है कि राजेन्द्र कल से अपनी मोची की दुकान भी खोलने नहीं गये हैं. उनके पास फोन भी नही है लेकिन उनके पड़ोसी इतने अच्छे है कि बार बार बधाई के फोन आने पर वह फोन लेकर अभिषेक के घर दौड़ पड़ते है.
अभिषेक की कामयाबी की खबर जैसे ही उनके रिश्तेदारों में फैली दूर दराज से रिश्तेदार अभिषेक के घर पर आ पहुंचे और उसके मामा मनोज कुमार का कहना है, ‘‘आखिर हम खुश क्यों नही होंगे, हमारे परिवार के पहले बच्चे का आईआईटी में सेलेक्शन जो हुआ है.’’