साउथ कोरिया की संसद ने कुत्ते के मांस को बैन करने के लिए बिल पास कर दिया है. इससे कुत्ते के मांस के सेवन और इसके व्यापार पर रोक लगेगी. इस विवादास्पद प्रथा को समाप्त करने के लिए कई साल से देश में बहस छिड़ी हुई है. नेशनल असेंबली की करसपॉन्डेंड कमिटी के अनुसार, बिल के कानून बनने के बाद कुत्ते के मांस से बनने वाले फूड प्रोडक्ट के वितरण और बिक्री पर प्रतिबंध लग जाएगा. हालांकि जो लोग कुत्ते का मांस या इससे जुड़ी किसी और चीज का सेवन करते हैं, उन्हें सजा नहीं दी जाएगा. इससे साफ पता चलता है कि कानून का असर उन लोगों पर पड़ेगा, जो इससे जुड़ा व्यापार करते हैं.
बिल के तहत, खाने के लिए कुत्ते को मारने वाले शख्स को तीन साल तक की जेल की सजा हो सकती है या 30 मिलियन कोरियाई वोन (करीब 23,000 डॉलर) तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. जो कोई भी सेवन करने के लिए कुत्तों को पालेगा या जो जानबूझकर कुत्तों से बना खाना लेगा, उसे कहीं और पहुंचाए, भंडारण करेगा या उसे बेचेगा, उसे थोड़ा कम जुर्माना और जेल की सजा हो सकती है. कुत्तों का खाने के उद्देश्यर से पालन करने वाले लोग, इससे जुड़े रेस्टोरेंट चलाने वाले और इस व्यापार से जुड़े बाकी लोगों को तीन साल का वक्त दिया गया है.
इन्हें अपने व्यापार को बंद करना होगा या बदलना होगा. स्थानीय सरकारों को कुत्ते से जुड़ा बिजनेस करने वालों को बिजनेस बदलने के लिए समर्थन देना होगा. बिल अब अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति यून सुक योल के पास जाएगा. बिल को यून की सत्तारूढ़ पार्टी और मुख्य विपक्षी पार्टी दोनों ने ही प्रस्तावित किया था. उनकी पत्नी ने भी इसका समर्थन किया है.
बता दें, साउथ कोरिया की तरह ही वियतनाम और दक्षिणी चीन में भी कुत्ते का मांस खाने का इतिहास रहा है. साउथ कोरिया में लोगों के बीच ऐसा माना जाता है कि गर्मियों में कुत्ते का मांस खाने से गर्मी से राहत मिलती है. ये सस्ता होता है और इसमें प्रोटीन भी होता है.
कृषि, खाद्य और ग्रामीण मामलों के मंत्रालय के अनुसार देश में करीब 1100 डॉग फार्म हैं. इनमें पांच लाख के करीब कुत्ते पाले जाते हैं. लेकिन बीते कुछ दशकों से इसका विरोध हो रहा था. खासतौर पर पशु कार्यकर्ताओं ने इस प्रथा के खिलाफ अपनी आवाज उठाई. ह्यूमन सोसाइटी इंटरनेशनल (एचएसआई) जैसे अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूहों ने साउथ कोरिया में डॉग फार्म से इन जीवों को रेस्क्यू कर अन्य देशों में भेजने का काम किया है.