उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती की एक मूर्ति दुनिया की सबसे कुरूप मूर्तियों की सूची में शामिल की गयी है.
अमेरिका से प्रकाशित होने वाली प्रतिष्ठित पत्रिका ‘फॉरेन पॉलिसी’ में दुनिया की सबसे कुरूप मूर्तियों की सूची में मायावती की एक मूर्ति छठे स्थान पर रखी गयी है. जिस मूर्ति को सूची में शामिल किया गया है उसमें मायावती के बगल में बसपा के संस्थापक कांशीराम और पीछे बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की मूर्तियां भी हैं.
दुनिया की सबसे कुरूप मूर्तियों के नाम से जारी इस सूची के उपशीषर्क में लिखा गया है, ‘जब निकृष्ट कला और स्तरहीन राजनीति का मिलन होता है.’ ‘फॉरेन पॉलिसी’ पत्रिका की इस सूची में मायावती की मूर्ति को शामिल किए जाने के बाबत जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के फाइन आर्ट्स एजुकेशन और स्कल्पचर डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एम.जी.किदवई ने कहा ‘यदि मायावती की मूर्ति कुरूप है तो इसमें मायावती का क्या कसूर है.
मूर्ति तो मायावती ने नहीं बनायी. और जहां तक मायावती की खूबसूरती का सवाल है तो वह दिखने में काफी अच्छी हैं.’ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमएन ठाकुर ने कहा कि अमेरिका के लोगों को हर चीज मापने की बीमारी है. वह हर चीज को मापते हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं इसे मापने की बीमारी कहता हूं.’ {mospagebreak}
11 सबसे कुरूप मूर्तियों में छठे स्थान पर रखी गयी मायावती की मूर्ति के बारे में पत्रिका लिखती है, ‘जन नेत्री: भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री कुमारी मायावती को दलितों के अधिकार के लिए काम करने वाले के तौर पर जाना जाता है लेकिन मायावती की लोकप्रिय छवि को पिछले साल उस वक्त धक्का लगा जब भारत के उच्चतम न्यायालय ने उन्हें लोक निधि से 42 करोड़ 50 लाख अमेरिकी डॉलर खर्च कर खुद की और दूसरे लोकप्रिय दलितों की मूर्तियों के निर्माण के लिए फटकार लगाई.’
प्रो. ठाकुर ने कहा कि लोक निधि के नाम पर पैसे की बर्बादी को जायज़ नही ठहराया जा सकता लेकिन इस काम में वह अकेली नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘अमेरिकियों की यह सूची उनके अभिजात्यवादी नजरिये को दिखाती है. मायावती की मूर्तियों की आलोचना का आधार दूसरे मानदंडों पर हो सकता है लेकिन उसे सबसे कुरूप बताना नस्लवाद का उदाहरण कहा जा सकता है.’
उन्होंने कहा कि मायावती जहां से ताल्लुक रखती हैं वह तबका पहली बार सत्ता में आया है और उस तबके के लिए प्रतीकों की राजनीति जरूरी है. उन्होंने गांधी परिवार का उदाहरण देते हुए कहा कि आप जहां भी जाएंगे वहां गांधी-नेहरू के नाम पर प्रतिमा, संस्था या और भी कुछ मिल जाएगा. उन्होंने कहा कि जब बाबू जगजीवन राम या अन्य नेताओं की स्मृति पर करोड़ों की संपदा दी जा सकती है तो फिर मायावती की ही आलोचना क्यों ? सबसे कुरूप प्रतिमाओं की सूची में पहले स्थान पर सेनेगल की एक मूर्ति को रखा गया है जिसका इस हफ्ते ही अनावरण किया गया है. {mospagebreak}
करीब 160 फुट उंची इस मूर्ति में एक पुरूष, महिला और एक शिशु ज्वालामुखी से निकल रहे हैं. दूसरी सबसे खराब प्रतिमा जॉर्जिया के गोरी शहर में स्टॉलिन चौराहे पर स्टॉलिन की मूर्ति को माना गया है. पत्रिका के मुताबिक, 20वीं सदी का सबसे बड़ा जनसंहारक आज भी यहां गर्व से खड़ा है. तुर्कमेनिस्तान के तानाशाह सपरमुरत नियाजोव की राजधानी आशगाबात में 244 फुट ऊंचे टावर पर 1998 में सोने से बनवाई उसकी खुद की मूर्ति को तीसरी सबसे कुरूप प्रतिमा का स्थान दिया गया है.
मायावती की प्रतिमाओं के बाद का सातवां स्थान एच1एन1 वायरस से संक्रमित हुए दुनिया के पहले मरीज छह साल के एडगर हरनांनडेज का है. स्वाइन फ्लू की बीमारी से दुनिया भर में 14,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. ठाकुर ने अमेरिकी पत्रिका की आलोचना करते हुए कहा, ‘वह ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ को कुरूप क्यों नहीं ठहराते जबकि अमेरिका ने इराक और अफगानिस्तान को अपने स्वार्थ के लिए बर्बाद कर डाला.’