70 के दशक में फिल्म 'फकीरा' में किशोर-लता का लोकप्रिय गीत 'तोता-मैना की कहानी तो पुरानी हो गई' तो आपने जरूर सुना होगा. लेकिन यहां मैना किसी तोते से नहीं एक बच्चे से दिल लगा बैठी है. एक ढाई वर्ष के आदिवासी बच्चे के प्रेम में पड़कर मैना अपने बच्चों तक को भूल बैठी है.
जंगल से आई यह मैना पूरे समय इस आदिवासी बच्चे के साथ रहती है. उसके साथ खेलती है. वह उसकी सुरक्षा को लेकर इतनी चौकस रहती है कि कोई बच्चे को परेशान करे तो चोंच मारकर अपना गुस्सा दिखाती है. चाहे वो बच्चे के परिजन ही क्यों ना हों. यहां तक कि यह मैना खाती भी तब है जब बच्चा खाए. बच्चा रोए तो वो भी बैचेन हो जाती है. उसके सुर में भी रोने का एहसास होता है. बच्चा घर से कहीं जाए तो वह भी साथ-साथ उड़ती है.
मामला मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के वनांचल में स्थित ग्राम कुली का है. एक मैना और ढाई वर्ष के बच्चे के बीच गहराता प्रेम अब नई कहानियों को जन्म दे रहा है. इस गांव के आदिवासी किसान कुंवर सिंह बारेला के ढाई साल के बेटे नाना के साथ मैना का यह रिश्ता करीब एक वर्ष पुराना है. कुंवर सिंह इस मैना को जंगल से ले आए थे. इस मैना को उन्होंने खुले में रखा लेकिन उसने लौटकर जंगल जाने के बजाय, यहीं दिल लगा लिया. नाना की मां उंदलीबाई से ज्यादा ममत्व यह मैना दिखाती है. किसी की क्या मजाल जो उसके रहते हुए बच्चे को हाथ लगा दे. अब यह कहानी आस-पास के गांवों के लोगों के लिए भी कौतुहल का विषय बन गई है.
वैसे पक्षियों में तोता ही है जो मनुष्य के सबसे करीब है. लोग इसे पालते हैं और यह न केवल मनुष्य की भाषा समझता है बल्कि परिवार का सदस्य ही बन जाता है. लेकिन यहां यह रिश्ता मैना ने बनाया है जो अमूमन मनुष्यों से दूर खुले आकाश में ही रहना पसंद करती है. एक जंगली पक्षी का बच्चे से प्रेम किसी को समझ नहीं आ रहा है. लोग इसे पिछले जन्म के किसी खास रिश्ते के रूप में देख रहे हैं. मैना के लिए उतना ही प्रेम इस बच्चे का भी है जो ठीक से अभी कुछ बोल भी नहीं पाता. वैसे भी प्रेम किसी भाषा का मोहताज भी नहीं रहता.
वैसे इस रिश्ते को क्या नाम दें, यह तो बच्चे के मां-बाप भी नहीं समझ पा रहे हैं. इस मैना को बच्चे का दोस्त कहें या भरपूर ममत्व दिखाने वाली मां? बहरहाल अजब प्रेम की गजब कहानी सभी को सम्मोहित कर रही है.