भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक सिद्धिविनायक मंदिर ने फैसला किया है कि वह अपने पास रखे सोने में से 40 किलो सोना मोदी सरकार की गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम में निवेश करेगा. इस निवेश से मंदिर को 69 लाख रुपये का सालाना ब्याज मिलेगा.
गौरतलब है कि गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम को लॉन्च हुए करीब एक महीना हो गया हैं लेकिन जनता ने इसमें उतनी दिलचस्पी नहीं दिखाई जितनी मोदी सरकार को उम्मीद थी. एक रिपोर्ट के मुताबिक 15 दिनों में इस स्कीम के तहत सिर्फ 400 ग्राम सोना ही जमा हो पाया था.
मंदिर की ओर से किए गए इस पहल से तिरुमाला और शिर्डी जैसे प्रमुख मंदिरों को भी ऐसे निवेश की प्रेरणा मिलेगी. फिलहाल श्री सिद्धिविनायक मंदिर अपने पास रखे 160 किलो सोने को नीलाम करने जा रहा है. न्यास के अध्यक्ष नरेंद्र मुरारी राणे के मुताबिक, मंदिर के पास करीब 160 किलो सोना है, जिसमें से सिर्फ 10 किलो ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में जमा है. मंदिर प्रबंधन इस महीने शुभ मुहूर्त देखकर सोने की नीलामी के जरिए बेचने की तैयारी कर रहा है.
इंडस्ट्री के एक प्रमुख सूत्र के मुताबिक, सोने की जांच के लिए सेंटर्स की कमी होना इस स्कीम की असफतला की एक मुख्य वजह है, जिसके लिए वित्त मंत्रालय से बात की गई हैं. इसके अलावा बैंकों में कागजी कार्रवाई का ज्यादा झंझट भी स्कीम को अच्छा रिस्पॉन्स न मिलने की एक वजह के रूप में सामने आ रही है. केन्द्र सरकार की इस योजना का मकसद देश में बिना उपयोग के पड़े करीब 52 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के 20 हजार टन सोने को बाजार में लाना था.