सुप्रीम कोर्ट ने गूगल इंडिया, याहू इंडिया और माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन (इंडिया) प्रा. लि. को ऐसे विज्ञापनों को बंद करने का निर्देश दिया है, जिसमें प्रसव पूर्व भ्रूण के लिंग निर्धारण के बारे में बताया जा रहा है. कोर्ट ने इस संबंध में भारतीय कानून का सख्ती से पालन करते हुए इस तरह के अपने विज्ञापनों को बंद करने का निर्देश दिया है.
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर किसी भी सर्च इंजिन पर इस तरह का कोई विज्ञापन है तो उसे तत्काल वापस लिया जाएगा. कोर्ट ने इन सभी सर्च इंजन को निर्देश दिया कि वे अपनी नीति और सेवा शर्तों संबंधी पेज पर यह आदेश अपलोड करें कि वे ऐसा कोई विज्ञापन प्रसारित नहीं करेंगे जिससे प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाने संबंधी कानून (पीसी-पीएनडीटी) की धारा 22 का उल्लंघन होता हो.
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी पंत की खंडपीठ ने कहा कि अंतरिम उपाय के रूप में यह निर्देश दिया जाता है कि गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट ऐसा कोई विज्ञापन प्रसारित नहीं करेंगे जिससे पीसी-पीएनडीटी कानून की धारा 22 का उल्लंघन होता हो.
कोर्ट ने यह आदेश गूगल और माइक्रोसॉफ्ट की इस दलील के बाद दिया कि वे ऐसा कोई विज्ञापन प्रसारित नहीं करते हैं, जिससे पीसी-पीएनडीटी कानून या किसी अन्य भारतीय कानून का उल्लंघन होता हो. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनिन्दा बिन्दुओं को अवरुद्ध करने के बारे में सरकार के सुझावों और गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट द्वारा उपलब्ध कराए गए यूआरएल और आईपी एड्रेस से संबंधित मामले पर 11 फरवरी को सुनवाई की जाएगी.
-इनपुट भाषा से