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खूनी बंदरों का आतंक, खा जाते हैं बच्चों का कान, अब तक 60 को बनाया शिकार

यूपी के अलीगढ़ में खूनी बंदरों के आतंक का श‍िकार छोटे बच्चे हो रहे हैं. यहां करीब 60 बच्चों के कान बंदर खा गए हैं. तीन महीनों में बंदरों ने इतना आतंक मचा द‍िया है क‍ि लोग अब बच्चों को घर से बाहर आने जाने से मना कर रहे हैं.

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बंदरों के हमले से घायल बच्चा.
बंदरों के हमले से घायल बच्चा.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • आदमखोर बन चुके बंदर बच्चों के कानों को बना रहे न‍िशाना
  • करीब 60 बच्चों के कान का मांस खा गए बंदर

यूपी में अलीगढ़ के नगला मानसिंह इलाके में खूनी बंदरों की एक टोली ने पिछले तीन महीने से आतंक मचा रखा है. ये छोटे बच्चों को अकेला देखकर उन पर हमला कर देते हैं. पिछले तीन महीने में यह इलाके के 60 से ज्यादा बच्चों पर हमला करके उन्हें घायल कर चुके हैं. स्थिति इतनी बदतर हो चुकी है कि इलाके का कोई घर ऐसा नहीं बचा है, जहां बंदर के हमले से घायल बच्चा न हुआ हो. ग्रामीणों में बंदरों का खौफ देखने को मिलता है.

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नगर निगम क्षेत्र में आने वाले नगला मानसिंह इलाके का यह हाल हो चुका है कि यहां के ज्यादातर छोटे बच्चे एक कान वाले हो चुके हैं. आदमखोर बन चुके बंदर अपने नुकीले दांतों से छोटे बच्चों के कान को काटकर खा जाते हैं जिसके चलते हर बच्चे का एक कान क्षतिग्रस्त हो चुका है.  

कंधे पर बैठकर बंदर बच्चों के खा जाते हैं कान 

खास बात यह देखने को मिली बंदर सिर्फ 11-12 साल की उम्र तक के बच्चों पर ही बंदर हमला करते हैं. छोटे बच्चों के हाथ या पैर को  निशाना बनाते हैं क्योंकि आसानी से छोटे बच्चों को दबोच लेते हैं. उनके यह सीधे कान पर ही हमला करते हैं.

प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो बंदर बच्चों को पकड़ने के बाद उनके कंधे पर बैठ जाते हैं और कान खा जाते हैं.  घायल हुए बच्चों के परिजनों ने जानकारी देते हुए बताया है क‍ि छोटे बच्चों को हम लोग घर से बाहर नहीं निकलने देते और स्कूल जाएं तो छोड़ने जाना पड़ता है. 

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महिलाओं ने बताया कि दोनों बंदर कभी भी और कहीं भी बच्चों पर हमला कर देते हैं. दोनों बंदर इतने निडर हो चुके हैं कि घर के आंगन, छत के साथ कमरे के अंदर भी घुस जाते हैं और अकेला देखकर बच्चों पर हमला कर देते हैं, इसलिए छोटे और नवजात बच्चों को लोग अब अकेला नहीं छोड़ रहे हैं और हर समय घर का कोई न कोई सदस्य लाठी-डंडा लेकर उनके पास पहरा देता रहता है.

इलाज में हो चुका है हजारों रुपये खर्च 

ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों से शिकायत के बावजूद भी बंदरों को पकड़ने कोई भी नहीं आ रहा है. जानकारी देते हुए ग्रामीणों ने बताया है कि एक-एक बच्चे के इलाज में हजारों रुपया खर्च हो गया है. उन्होंने कहा है हम गरीब लोग हैं मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण करते हैं, आखिर ऐसे में कैसे इलाज करा पाएंगे. ग्रामीणों ने प्रशासनिक अधिकारियों से मांग की है जल्द से जल्द बंदर पकड़े जाएं.

वन विभाग के अधिकारी ने इस घटनाक्रम पर बताया कि अलीगढ़ में बड़ी संख्या में बंदर हैं. हमने कुछ दिन पूर्व सर्वे कराया था. 10 हज़ार के करीब बंदरों की संख्या ज़िले में पाई गई है. हमने बंदरों को पकड़ने की अनुमति नगर निगम को प्रदान कर दी है. हमने इस बाबत नगर निगम को पत्र भी जारी किया है कि वह बंदरों को पकड़ने के लिए अभियान चला सकते हैं. वन विभाग पूरी सहायता नगर निगम को देगा. 20 से 25 बच्चों के घायल होने का हमें बताया गया है. 

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