scorecardresearch
 

'यूएफओ' कुदरत का करिश्मा या तकनीकी खिलवाड़

यूएफओ और एलियन हमारे और आपके लिए जितनी बड़ी पहेली हैं, चीन के लिए उतना ही बड़ा सिरदर्द. पिछले हफ्ते चीन के एक एयरपोर्ट के पास यूएफओ जैसी कोई रहस्यमय आकृति दिखी. इसकी वजह से एक घंटे तक एयरपोर्ट बंद रहा.

Advertisement
X

Advertisement

यूएफओ और एलियन हमारे और आपके लिए जितनी बड़ी पहेली हैं, चीन के लिए उतना ही बड़ा सिरदर्द. पिछले हफ्ते चीन के एक एयरपोर्ट के पास यूएफओ जैसी कोई रहस्यमय आकृति दिखी. इसकी वजह से एक घंटे तक एयरपोर्ट बंद रहा.

इसी तरह से जुलाई में भी चीन के एक एयरपोर्ट के पास यूएफओ जैसी रहस्यमय आकृति दिखी थी. पहले 7 जुलाई को चीन के हांगझाऊ एयरपोर्ट के पास दिखी रहस्यमय रोशनी और अब 11 सितंबर को इनर मंगोलिया प्रांत के बाओटू एयरपोर्ट से 40 किलोमीटर पूर्व की तरफ वैसी ही चमकीली रोशनी दिखी और इसके बाद एयरपोर्ट को एक घंटे के लिए बंद करना पड़ा. इस बार तो खतरा और बड़ा था क्योंकि इस बार उस रहस्यमय रोशनी से टक्कर का भी खतरा था.

बाओटू एयरपोर्ट के एक अधिकारी लुओ के मुताबिक हमें हहोट एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट ब्यूरो से यूएफओ के बारे में नोटिस मिला. किसी हादसे से बचने के लिए हमने तुरंत ही दूसरे एयरपोर्ट की तरफ विमानों को भेजना शुरु कर दिया. अगर ऐसा नहीं करते तो बड़ी टक्कर हो सकती थी.

Advertisement

उस रात को सवा नौ बजे के करीब बीजिंग और शंघाई से बाओटू पहुंचने वाले तीन विमान काफी देर तक आसमान में ही चक्कर लगाते रहे. आखिरकार बीजिंग से बाओटू आने वाली एयर चाइना फ्लाइट 1107 को एरडोस एयरपोर्ट पर उतारा गया, जबकि दूसरे विमान जुनेयाओ को ताइयुवान एयरपोर्ट पर. उस रात बाओटू एयरपोर्ट पर कोई हादसा तो नहीं हुआ लेकिन उस रहस्यमय रोशनी ने कुछ सवाल जरूर खड़े कर दिये हैं.

पहला सवाल यह उठा कि क्या इनर मंगोलिया के आसमान में वो कोई यूएफओ था. क्या पिछले नौ महीने में यूएफओ ने चीन और मंगोलिया के आसमान में चक्कर लगाना शुरु कर दिया है.

दूसरा सवाल यह उठता है कि कहीं ये चीनी फौज का कोई नया प्रयोग तो नहीं है. ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि चीनी फौज ने रात के वक्त आसमान में कोई प्रयोग किया होगा जिसका नतीजा यूएफओ की शक्ल में दिखा.

तीसरा सवाल यह उठता है कि कहीं यह कोई तकनीकी खिलवाड़ तो नहीं. हो सकता है कि चीनी वैज्ञानिकों ने रुसी वैज्ञानिकों की तर्ज पर आसमान में छल्लेदार रोशनी पैदा करने की कोशिश की हो. {mospagebreak}

खबरों के मुताबिक ऐसा ही प्रयोग कुछ दिनों पहले रुसी सेना के इंजीनियरों ने नार्वे के आसमान में किया था और अमेरिकी सेना ने ऑस्ट्रेलिया में. पिछले दिनों रोमानिया के आसमान में ऐसी ही रहस्यमय रोशनी दिखी थी, जिसकी पड़ताल करने के बाद वैज्ञानिकों ने माना कि यह तो देर तक चलने वाली बिजली की चमक है.

Advertisement

चीन के बाओटू एयरपोर्ट पर जिस तरह से घंटे भर तक विमान की उड़ानें ठप रही, उसी तरह दो महीने पहले हांगझाऊ शहर में भी एक रहस्यमय आकृति ने एयरपोर्ट पर चक्का जाम कर दिया था.

7 जुलाई की रात 9 बजे चीन के पूर्वी प्रांत के झेजियांग की राजधानी हांगझाउ में लोग अपने घरों की ओर लौट रहे थे कि उन्हें आसमान में ऐसा कुछ दिखा जिसे देखकर हर कोई हैरान रह गया. सड़कों पर गाड़ियों की आवाजाही ठप हो गई.

हांगझाउ शहर के ज़ियाओशान एयरपोर्ट पर अफरातफरी मच गई. एयर ट्रैफिक को रोकना पड़ गया. रात के अंधेरे में आसमान में लोगों ने देखी एक रहस्यमयी और अजीबोगरीब आकृति जिससे हर कोने से तेज रोशनी बाहर निकल रही थी. इस आकृति का आकार भी काफी बड़ा था. लोगों ने अभी तक जो कुछ भी कई बार हॉलीवुड फिल्मों में देखा था वह अब उनकी आंखों के सामने मौजूद था.

हालांकि अभी तक इस रहस्यमयी आकृति के बारे में कोई खुलासा नहीं हुआ और अब तो इनर मंगोलिया के बाओटू एयरपोर्ट के पास भी रहस्यमय आकृति की बात सामने आ गयी है. ऐसे में यूएफओ का रहस्य और गहरा गया है.जिस वक्त यह रहस्यमय आकृति दिखी, उस समय ज़ियाओशान एयरपोर्ट को एक घंटे के लिए बंद कर दिया गया. तब तक के लिए सारी उड़ानों को पास के शहर निंग्बो और वूज़ी की ओर मोड़ दिया गया.{mospagebreak}

Advertisement

चीन में यूएफओ या रहस्यमयी आकृति दिखने की घटना बहुत कम होती थी.लेकिन एक साल के अंदर ऐसी तीन घटनाएं हो चुकी हैं. तभी तो इन आसमानी अजूबों के बारे में यह सुगबुगाहट तेज हो गयी है कि क्या ये यूएफओ है या फिर कुछ और ऐसा नहीं है कि सिर्फ चीन में ही यूएफओ और एलियन की खबरें आ रही हैं.

बल्कि कुछ समय पहले ही रोमानिया के आसमान में भी बादलों का एक रहस्यमय छल्ला दिखा था. तब उस छल्ले को देखकर वहां के लोग डर गये थे लेकिन वैज्ञानिकों ने पाया कि वे किसी दूसरे ग्रह के जीव नहीं हैं, बल्कि कुदरत का एक नजारा है.

वाकया अक्टूबर 2009 का है. इस हैरतअंगेज कुदरती तस्वीर से लोग हैरान थे. अटकलबाज़ियां तेज हो गई. यूएफओ को लेकर बातों का बाज़ार इतना गर्म हुआ कि लोगों ने यहां तक कहना शुरु कर दिया था कि दूसरी दुनिया के लोगों ने धरती पर हमले की तैयारी शुरु कर दी है. इस आकृति को उसकी का  सबूत माना जाने लगा.

वैज्ञानिकों ने इस आकृति को देख कर शुरु में ही दावा किया था कि यह प्रकृति में बदलाव का एक नमूना भर है.  पर लोगों के भीतर बैठा वहम उन्हें यह मानने नहीं दे रहा था.हांलाकि चंद घंटों में वैज्ञानिकों की बात सही साबित हुई.

Advertisement

कुछ दिनों की शोध के बाद वैज्ञानिकों ने साफ कर दिया कि ये आसमानी छल्ला कुदरत का एक खेल था. उनके मुताबिक बादलों की इस आकृति को फोल्स्ट्रीक कहा जाता है. यह तभी बनता है जब हवा में मौजूद नमी का तापमान शून्य से नीचे जाने के बावजदू बर्फ में नहीं बदल पाता. हवा में मौजूद नमी का वह बेहद ठंडा हिस्सा बादलों के छल्ले में बदल जाता है. फिर वह धरती की सतह से कुछ उंचाई पर आकर ठहर जाता है. ऐसी आकृति ज्यादतर तब बनती है जब सूरज डूबने वाला होता है.{mospagebreak}

दुनिया का कोई भी ऐसा कोना नहीं, जहां एलियन और यूएफओ की रहस्यमय कहानी ना हो. लेकिन ये सवाल तो सालों से बना हुआ है कि क्या वाकई होते हैं एलियन. वैसे जाने माने वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने एलियन के वजूद की बात कहकर इस बहस को और गरमा दिया.

इस सवाल पर अटकलों का बाजार अक्सर गर्म होता है लेकिन यूएफओ आज भी भूतों की तरह ही एक पहेली है. ज्यादतर वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्रह्मांड में दूसरे ग्रहों पर जीवन हो सकता है. लेकिन पिछले दिनों ब्रिटेन के जाने-माने वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने यह कहकर लोगों को चौंका दिया कि एलियन का ना सिर्फ वजूद है बल्कि वो इंसानों से ज्यादा ताकतवर हैं और धरती पर हमला कर सकते हैं. लिहाजा उनसे संपर्क करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. हॉकिंग की बात अगर सही है तो भी ये सवाल उठता है कि एलियन बार बार धऱती पर क्यों आते हैं? इन सवालों का जवाब तो अब तक किसी वैज्ञानिक के पास नहीं है. लेकिन एलियन और यूएफओ के रहस्य को सुलझाने के लिए इन सवालों का जवाब जरूरी है

Advertisement
Advertisement