बिहार में कल तक लड़कियों को अबला समझा जाता था और किसी के भी साथ उनका विवाह कर दिया जाता था. लेकिन अब समय बदल गया है. अब बिहार के शहरों में ही नहीं, बल्कि गांवों में भी लड़कियां अपने से बहुत अधिक उम्र के लड़के, शराबी या मंदबुद्घि लड़के को जीवनसाथी नहीं बनाना चाहती. लड़कियां न केवल दरवाजे पर आई बारात लौटा रही हैं, बल्कि विवाह मंडप में भी लड़कों को नापसंद कर अपने निर्णय को सही ठहरा रही हैं.
पुलिस के अनुसार, भोजपुर जिले के चांदी गांव में दूल्हा बदलकर मंदबुद्घि से विवाह रचाने की भनक लगते ही दुल्हन ने विवाह से इनकार कर दिया. इसको लेकर दोनों पक्षो की ओर से मारपीट भी हुई, लेकिन दुल्हन ने किसी भी हाल में अपना फैसला नहीं बदला.
चांदी गांव निवासी संतोष सिंह के पुत्र गुड्डू सिंह का विवाह मुफस्सिल थाना क्षेत्र के महुली गांव निवासी सुचित्रा सिंह के साथ तय हुआ था. विवाह के लिए सोमवार को आरा के एक धर्मशाला में सभी तैयारी हो चुकी थी. इसी बीच महिलाओं द्वारा मजाक करने पर दूल्हा गाली-गलौज और अजीब हरकतें करने लगा. इसे देखकर दुल्हन ने विवाह करने से इनकार कर दिया.
ऐसी ही घटना सारण जिले के परसा गांव में रविवार को घटी, जब दुल्हन ने दुल्हे के साथ सात फेरे तो ले लिए, लेकिन जब उसे दुल्हे के मंदबुद्घि होने की खबर लगी, तो उसने ससुराल जाने से ही इनकार कर दिया. आखिर में बारात को बिना दुल्हन के ही वापस लौटना पड़ा.
परसा के पीरकुंवारी गांव में लालू राय के घर में रामदासचक गांव के रामेश्वर राय के पुत्र धर्मेन्द्र राय की बारात शान से दरवाजे पर आई. रात में पूरे रीति-रिवाज के साथ विवाह भी संपन्न हो गया. इस दौरान शगुन के तौर पर दुल्हे को पैसे मिले, जिसे दुल्हन की सहेलियों ने गिनने के लिए कहा. दुल्हा उस पैसे का हिसाब नहीं बता पाया. यह देख दुल्हन भड़क उठी और उसने दुल्हे के साथ ससुराल जाने से इनकार कर दिया. दुल्हन का कहना है कि उसने सात फेरे तो ले लिए हैं, लेकिन ऐसे लड़के के साथ वह पूरी जिंदगी कैसे गुजारेगी?
पिछले 30 अप्रैल को औरंगाबाद जिले के बसडीहा गांव के श्रवण सिंह ने अपनी बेटी का विवाह झारखंड के पलामू जिले के बारा गांव के राघवेंद्र से तय किया था. लेकिन वरमाला का समय आया तभी बारातियों ने मंडप में ही कुर्सियां चलानी शुरू कर दी.
घटना से लड़की को पता चल गया कि दूल्हे और उसके दोस्तों ने छककर शराब पी रखी है. इसके बाद दुल्हन ने शराबी लड़के से शादी करने से ही इनकार कर दिया. विवश होकर बारात को लौटना पड़ा. लड़की के परिजन भी लड़की के इस निर्णय में उसके साथ खड़े हैं.
आंकड़ों के अनुसार पिछले दो-तीन सालों से बिहार में ऐसी सौ से ज्यादा घटनाएं हुई हैं, जिनमें लड़कियों ने अपने होने वाले पति या घर से संतुष्ट नहीं होने के कारण शादी से इनकार किया है.
पटना विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र की प्रोफेसर एस भारती कहती हैं, 'इन सबके पीछे सबसे बड़ा कारण जागरुकता है. अब आम लड़कियों के मन में भी यह धारणा बैठ गई है कि यह जीवन उनका है और सुख और दुख उन्हीं को झेलना है. लड़कियों में आत्मविश्वास जगा है.'
वे कहती हैं कि लड़कियों के शिक्षित होने के कारण भी स्थिति में बदलाव आया है, जिससे अपनी जिंदगी के फैसले लड़कियां खुद ले रही हैं. हालांकि वह यह भी मानती हैं कि बिहार में अभी यह स्थिति पूरी तरह नहीं सुधरी है.