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उभर रहा है तीसरा आयाम | प्‍लेबॉय की 25 सबसे सेक्‍सी शख्सियत

उभयलिंगियों की अपनी पसंद जाहिर करने के साथ ही भारत में कामुकता को अब एक और आयाम मिल गया है और साझीदार तलाशने वालों के लिए इंटरनेट कामुक मैदान बन गया है

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अफिया कुमार जब 19 साल की थीं तभी उनमें कामुकता का एक विशेष रुझान शुरू हो गया था. उन्हें एहसास हो गया कि वे कामुकता के मामले में स्त्री या पुरुष की श्रेणी में नहीं आतीं बल्कि उनकी कामुकता दोनों लिंगों के प्रति है. कुमार को एहसास हो गया कि वे उभयलिंगी हैं. उन्होंने 21 साल की उम्र में अपनी बड़ी बहन से अपने दोहरी कामुकता के बारे में बताया; उनकी सहोदर उनसे सहमति और सहानुभूति रखती थीं लेकिन मां ने इस पर बातचीत करने से इनकार कर दिया, हालांकि अब वे भी अपनी बेटी के झुकाव को धीरे-धीरे स्वीकार करने लगी हैं.

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कुमार स्पष्ट करती हैं कि परिवार में उनकी लैंगिकता पर बहस, वोट या चर्चा नहीं होती. जब वे 24 साल की हुई तो उन्होंने ''बाहर आने'' का फैसला किया. वे कहती हैं, ''यह जानकर उत्साह बढ़ा कि हमारे जैसे लोगों की संख्या काफी है. खुलना स्वयं को मुक्त करने वाली प्रक्रिया थी.'' लेकिन यह आसान नहीं था क्योंकि उन्हें लोगों को लगातार बताना पड़ता था कि उभयलिंगी होने का मतलब ''विकृत'' होना नहीं है. वे कहती हैं, ''मैं कोई लंपट नहीं हूं, न ही मैं कायर हूं. और समलिंगी होना कोई लंपटता या कायरता नहीं है.'' {mospagebreak}

भारतीय कामुकता उदार और परिष्कृत हुआ करती थी लेकिन 19वीं सदी के आखिर में अंग्रेजों ने उस पर विक्टोरियाई मूल्य थोप दिए. अब इसमें भड़कदार क्रांति देखी जा रही है. मुंबई स्थित सेक्सुअल इतिहासकार मारियो डी'पेन्हा दो सदियों के दौरान लैंगिक रुझान के बारे में बताते हैं, ''तब यौनेच्छा कहीं ज्यादा अस्थिर थी. भारतीय लैंगिक पहचान काफी कम उभय-लिंगी, जेंडर केंद्रित थी और सामाजिक हैसियत से परिभाषित होती थी.''

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काम वासना पर प्राचीन भारतीय पुस्तक कामसूत्र में उभयलिंगियों के बारे में चुडाल जैसे ''कामी'' श्रेणी में वर्णन किया गया है. वैदिक काल में उभयलैंगिकता को उन पुरुषों और महिलाओं की सेक्सुअल विविधता माना जाता था जिनकी प्रकृति प्रयोग करते रहने की थी. कामी वे लोग होते हैं जो एक साथ स्त्री और पुरुष, दोनों की ओर आकर्षित होते हैं. {mospagebreak}

कामसूत्र में लैंगिकता की पांच श्रेणियां हैं-स्वैरिणी, इलिबा, शंधा, नपुंसक और कामी. उभयलिंगियों की संख्या 10-15 फीसदी है. बहुलैंगिकता विकल्प की शक्ति को बताती है, जो इतरलिंगी या समलिंगी पर लागू नहीं होती. कामसूत्र से पहले लिखे गए कामशास्त्र में उभयलिंगियों को ऐसा पुरुष बताया गया है जो हिजड़ों और वेश्याओं को संरक्षण देता है, ऐसा पुरुष जो महिला समलिंगियों, शाही हरम के हिजड़ों को पसंद करता है और ऐसी जनाना जो अपने राजा के बाहर जाने की घड़ी में समलिंगी हो जाती हैं; साथ ही पुरुष नौकर जो समलिंगी के रूप में शुरुआत करते हैं और फिर स्त्रियों को पसंद करते हैं.

लेकिन 21वीं सदी में उभयलैंगिकता को बड़ा कलंक माना जाता है. प्रमुख 'एलजीबीटी' (लेस्बियन, गे, बाइ, ट्रांसजेंडर) अधिकार कार्यकर्ता अशोक रॉव कवि बताते हैं, ''जिस यौन संबंध में लिंग-योनि का प्रयोग नहीं होता उन्हें प्राय: प्रजनन प्रक्रिया को बरबाद करना मान लिया जाता है. विवाह और विरासत के ढांचे के परे अति को वर्जना माना जाता है.'' {mospagebreak}

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चौंतीस वर्षीय नृविज्ञानी और रंगमंच कलाकार अह्नय खन्ना के घुंघराले बाल और भिंची हुई आंखें हैं; वे खुद को 'अनूठा' बताना पसंद करते हैं. वे साफ कहते हैं, ''मुझे लैंगिक पहचान की जरूरत नहीं महसूस होती है.'' वे उन समलिंगी दोस्त से नफरत करते हैं जो उन्हें कायर कहते हैं; और इतरलिंगी उन पर आरोप लगाते हैं कि वे उभयलिंगी इसलिए बनना चाहते हैं क्योंकि ''यह आकर्षक है.''

भारतीय उभयलिंगियों के लिए आकर्षक यह है कि प्लैनेटरोमियो डॉटकॉम, मंजम डॉटकॉम, गेडिया डॉटकॉम, शाइबी डॉटकॉम, वियर्डटाउन डॉटकॉम, बाइक्युपिड डॉटकॉम जैसे इंटरनेट साइट ढेरों हैं जिन पर विवाहित लोग अपनी खुली तस्वीरें जारी करते हैं.

25 वर्षीय सेल्स एक्जक्यूटिव नमित और 32 वर्षीय अंकुश गेडिया डॉटकॉम पर मिले और फिर दोनों होटल के कमरों में मिलने लगे. उभयलिंगी अपनी कामुकता और आकर्षणों के बारे में साइट पर खुलकर बयान करते हैं. मसलन, लाल होंठ, पतली कमर, घुंघराले बाल, स्त्रैणता, वगैरह.

दिल्ली के व्यवसायी, 40 वर्षीय भाटिया साहब नरायणा में एक निर्यात इकाई के मालिक हैं. वे अपने को ''सांवला, ईमानदार, खिलंदड़ा, और दोस्ताना'' शख्स बताते हैं. उन्हें ऐसे लड़के-लड़कियां पसंद हैं जो स्त्रैण हों और उन्हें उत्तेजित करें. {mospagebreak}भाटिया ने यह भी बताया है कि उनकी तीन गर्लफ्रेंड (दो विवाहित) और सात ब्वॉयफ्रेंड हैं. हालांकि उन्हें डर है कि उनकी किशोरवय बेटी कहीं उनके बारे में न जान ले, लेकिन वे अपनी तस्वीरें साइट पर जारी करने से परहेज नहीं करते. औसतन 70 प्रतिशत सदस्य खुद को उभयलिंगी बताते हैं और एक-तिहाई विवाहित हैं.

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मध्यवय वालों को साहसी कहा जाता है. 62 वर्षीय एल.एल. गुप्ता खुद को दिल का जवान बताते हैं. उनकी तस्वीर बताती है कि वे दुबले-पतले तोंदियल शख्स हैं. इंटरनेट पर कई स्वीकारोक्तियां हैं-विवाहित हैं या नहीं, पेशा क्या है, रहते कहां हैं, पसंद क्या है, कल्पनाएं क्या-क्या करते हैं. यह कि बॉबी फिल्म की तरह कमरे में बंद हो जाएं, अपार्टमेंट की छत पर लड़के-लड़कियों के साथ समूह सेक्स हो. ये तमाम बातें अचेतन तौर पर इंटरनेट पर जारी की गई होती हैं.

मेजर अजय उन लोगों में हैं जो प्रायः चैटिंग किया करते हैं. उनका परिचय इस तरह दिया गया है-''मैं एक समझदार, ईमानदार, चालीस साल का चॉकलेटी आदमी हूं. कदः 165 सेमी, कमरः 31 इंच, वजनः 63 किलो, रिहाइशः मुंबई. वे बताते हैं, ''लोग खाली समय में खेलते हैं या फिल्म देखते हैं, मैं मर्दों से खेलता हूं.'' गुदा मैथुन, शरीर का स्पर्श, चुंबन, दिखावा, हस्तमैथुन, मुख मैथुन, अंडरवियर में खेल, वगैरह में दिलचस्पी. लेकिन मेलजोल कहां होता है? {mospagebreak}

अजय कहते हैं, ''जगह की कोई समस्या नहीं है लेकिन मेरा घर इसके लिए नहीं है. मेरा ख्याल है, मेरी बीवी शक करती है मगर वह सच का सामना नहीं करना चाहती. हम खुशहाल दंपती हैं. वह मेरे जीवन का प्यार है.' उनकी स्वीकारोक्तियों से साफ है कि मेजर उभयलिंगी हैं और महिला से संबंध बनाने का यह अर्थ नहीं है कि यह पुरुष के साथ सेक्स न कर पाने की भरपाई है. दिल्ली और मुंबई के तरक्कीशुदा युवकों और युवतियों के बीच खास उभयलिंगियों की पार्टियां लोकप्रिय हो रही हैं.

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दिल्ली में निजी घरों या फार्महाउसों में होने वाली इन पार्टियों के लिए लड़कियां और पुरुष वेश्या सप्लाइ करने वाले एक दलाल राम प्रसाद का कहना है कि कई विवाहित जोड़े एक साथ लड़के और लड़कियों की मांग करते हैं. ग्रीन पार्क के एक व्यवसायी जोड़े ने, जो 12 साल से विवाहित है और जिसके दो बच्चे हैं, कहा कि वे अपनी उभयलैंगिकता को लेकर सहज हैं. ''हम पुरुष और स्त्री को भाड़े पर लेते हैं और हम सब एक साथ सेक्स करते हैं.' कवि का मानना है कि खासकर मध्यवर्ग में कामुकता को दबाने की प्रवृति गहरी है, इसके अलावा जाटों के खाप जैसे जातीय समूह हैं जिनमें काफी सख्त निगरानी रखी जाती है. वे कहते हैं, ''गरीब लोग नैतिकता का बोझ नहीं उठा सकते और अमीरों को उसकी जरूरत नहीं है.' {mospagebreak}

एक 27 वर्षीय उभयलिंगी, दिल्ली के पुलिस सिपाही पी. चौधरी, जो राजस्थान के मूल निवासी हैं और जिनकी शादी पिछले साल ही हुई, कहते हैं, ''जब मैं बच्चा था तब गांव में स्कूली साथियों के साथ सेक्स करते हुए लड़कियों के बारे में कल्पनाएं करता था.'' एक लड़की से उनका पहला प्यार 19 साल की उम्र में हुआ. अपनी उभयलैंगिकता को वे 'टाइमपास' कहते हैं. वे कहते हैं, ''मैं कभी रात 11 बजे से पहले घर नहीं लौटता. परिवार से दूर रहना कठिन है लेकिन मुझे मनोरंजन भी चाहिए.'

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इस पुलिसवाले को सेक्स के साथी सड़कों पर मिल जाते हैं. वे कबूल करते हैं, 'दो महिलाओं और चार पुरुषों के साथ मेरे संबंध काफी सक्रिय हैं.' उनमें से एक से उनकी मुलाकात एक कार हादसे के दौरान हुई और एक से तब हुई जब वे शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की जांच कर रहे थे. अब वह उनका नियमित 'टाइमपास' बन गया है. और दो शख्स ने उन्हें सिगरेट की पेशकश की थी और अपने घर बुलाया था. लेकिन सभी उभयलिंगियों के साथ मामला भावनात्मक रूप से इतना सहज नहीं रहता. {mospagebreak}

26 वर्षीया ग्राफिक डिजाइनर शेफाली (अनुरोध पर बदला हुआ नाम) का जीवन बड़ा जटिल है. उनके कई पुरुष सेक्स पार्टनर हैं जो नहीं जानते कि उनकी एक समलिंगी महिला पार्टनर है. यह महिला पार्टनर शेफाली के ब्वॉयफ्रेंड से जलती है और धमकी देती रहती है कि वह शेफाली का भांडा फोड़ देगी. परेशान शेफाली कहती हैं, 'मैं अपनी गर्लफ्रेंड को समझती हूं कि मुझे दोनों की जरूरत है लेकिन वह कहती है कि मैं एक को चुन लूं.'

कई उभयलिंगियों के लिए समलैंगिकता प्रमुखता तौर पर भावनात्मक मामला नहीं होता. मुंबई के निवासी, 33 वर्षीय विशाल एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करते हैं और तीन साल से विवाहित जीवन जी रहे हैं. उनका दो साल का बेटा भी है. उनका प्रेम विवाह हुआ लेकिन उनकी पत्नी को मालूम नहीं है कि विवाह से पहले और बाद में भी उनके सेक्स संबंध पुरुषों के साथ रहे हैं.

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विशाल कहते हैं, 'मेरी उभयलैंगिकता एक गुप्त चीज है और मैंने इसे पत्नी से छिपाकर रखा है. वह इसे कभी नहीं समझ पाएगी.' वे कबूल करते हैं कि पुरुष के प्रति उनकी चाह एक ऐसी क्रिया है जो पत्नी के साथ सेक्स संबंध को ताकत देती है. वे कहते हैं, 'मुझे दोनों की जरूरत है.' वे एक ऐसे शख्स हैं जिसकी प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं-मर्दाना किस्म के पुरुष के साथ मौखिक सेक्स. स्त्रैण किस्म के पुरुष उनकी कामुकता की चाहत को बुझ देते हैं. {mospagebreak}

चेन्नै के 35 वर्षीय वेंकट काफी ऊंची तनख्वाह पाने वाले सॉफ्टवेयर प्रोफेसनल हैं. दो बच्चों के साथ वे खुशहाल विवाहित जीवन बिता रहे हैं. उभयलिंगी वेंकट भी उभयलैंगिक संबंधों से भावुकता के तत्व को अलग रखने की विशाल की बातों का समर्थन करते हैं. वे कहते हैं, ''मैं यह इसलिए करता हूं क्योंकि पुरुष आसानी से उपलब्ध हैं.'' तो क्या उभयलैंगिकता एकपत्नीत्व का विलोम है? कुमार इससे असहमत हैं.

वे कहते हैं, 'जो लोग अपनी स्वच्छंदता को ढकने के लिए उभयलैंगिकता का बहाना बनाते हैं वे वास्तव में अपने कर्मों के लिए दूसरों को दोषी ठहराना चाहते हैं.' चेन्नै के डॉ. एल. रामकृष्णन उभलिंगियों के पक्ष में बोलने वाली सशक्त आवाज हैं, जो नैतिकता का झंडा उठाने वालों का विरोध करते हैं. वे 'सॉलिडैरिटी ऐंड एक्शन अगेंस्ट एचआइवी इन्फेक्शन इन इंडिया' (साथी) के कार्यक्रम एवं शोध विभाग के अध्यक्ष हैं. वे विरोध जाहिर करते हुए कहते हैं, 'कामुकता एकपत्नीत्व या एकपतित्व, बहुकामुकता (सबकी सहमति से एक समय में एक से ज्यादा व्यक्ति से सेक्स संबंध बनाना या उसकी इच्छा रखना या उसे मान्य करना), बेवफाई, प्रतिबद्धता, स्वच्छंदता या ब्रह्मचर्य से तय नहीं होती.' {mospagebreak}

प्रसिद्ध समाजविज्ञानी आशीष नंदी ने भारत में पुरुषों की कामुकता पर जो विस्तृत अध्ययन किया है उसमें उनका कहना है कि भारत में घरों में समलैंगिकों और उभयलिंगियों के बीच हालांकि तनाव रहता है, समलैंगिकों का मानना है कि उभयलिंगी लोगों के दोनों हाथों में लड्डू हैं जबकि समाज की मुख्यधारा समलैंगिकों को ऐसे बिगड़ैलों के रूप में लेती है जो स्त्री से विवाह पसंद 'नहीं' करते या इतरलैंगिकों के समाज से तालमेल नहीं बिठा पाते.

नंदी का कहना है कि इतरलिंगी लोग उभयलिंगियों को समलैंगिकता की ओर बढ़ने वाले शख्स मानते हैं और समलैंगिक तथा सामान्य पुरुष उभलिंगियों को अवसरवादी स्वेच्छाचारी मानते हैं जो अपनी कुत्सित इच्छाओं को पूरा करने के लिए मनमाना आचरण करते हैं. अजय कहते हैं, ''तुम लोग तो दोनों मजे लूटते हो लेकिन असलियत में यह धोबी का कुत्ता; न घर का, न घाट का वाली स्थिति है.'

जिन उभयलिंगियों से बात की गई उनमें से प्रायः सबने कबूल किया कि उन्हें दोहरे भय से निबटना पड़ता है- इतरलिंगियों और समलैंगिकों, दोनों के विरोध से. मुंबई के हमसफर ट्रस्ट ने 274 एमएसएम (पुरुष के साथ करने वाले पुरुष) के बीच एक अध्ययन किया जिससे जाहिर हुआ कि उनमें से 40 फीसदी ने स्त्री के साथ सेक्स किया और उनमें से आधे तो नियमित तौर पर ऐसा कर रहे थे. {mospagebreak}

चिंतित कवि कहते हैं, '20 प्रतिशत एमएसएम में एचआइवी संक्रमण का खतरा रहता है. बड़ी समस्या यह है कि इस समूह में से कई महिला से विवाहित हैं और एकपत्नीत्व वाले वैवाहिक संबंध में एचआइवी संक्रमण के लिए पुल का काम करते हैं.'

भारत में उभयलैंगिकता भौगोलिक अथवा वर्ग केंद्रित नहीं होती. डॉ. रवि वर्मा और मार्टिन कॉलंबिएन ने 2004 में एक अध्ययन किया था, जो एड्स पत्रिका के 18वें अंक में प्रकाशित हुआ था. यह भारत के 2,910 ग्रामीण पुरुषों के बीच किया गया था, जो विभिन्न तबकों के थे. इसमें पहचान या परवरिश पर ध्यान नहीं दिया गया. इसमें पाया गया कि पुरुष पार्टनर रखने वाले पुरुषों की जितनी महिला पार्टनर थीं उनकी संख्या केवल महिला पार्टनर रखने वाले पुरुषों की महिला पार्टनर से ज्यादा थी.

उभयलिंगी पुरुषों में महिलाओं के साथ विवाहेतर सेक्स का अनुपात 52.8 प्रतिशत का था जबकि दूसरे विवाहित पुरुषों में यह अनुपात मात्र 11.6 प्रतिशत का था. इसके अलावा, पुरुष पार्टनर रखने वाले कुंआरों में 41.5 प्रतिशत ने माना कि उनकी महिला पार्टनर भी हैं, जबकि समलैंगिक रूप से सक्रिय न रहे (जिन्होंने पिछले एक साल में किसी पुरुष के साथ सेक्स संबंध न बनाया हो) पुरुषों में 24.5 प्रतिशत ने ही माना कि उनकी महिला पार्टनर हैं.

नई दिल्ली में इंस्टीट्यूट ऑफ ह्युमन बिहेवियर ऐंड एलायड साइंसेज में क्लीनिकल साइकोलॉजी के प्रोफेसर तेज बहादुर सिंह इसे एक तरह के मनो-कामुकता का नतीजा बताते हैं कि कुछ लोग जीवन के शुरू के वर्षों में मजे के लिए या बस प्रयोग के लिए पुरुष के साथ सेक्स करते हैं, या कुछ लोगों ने बचपन में यौन दुर्व्यवहार सहा हो. डॉ. सिंह कहते हैं, ''हाल के शोध बताते हैं कि इसके साथ कुछ आनुवंशिक पहलू भी जुड़ा है.' भारतीय कामुकता उभयलैंगिकता के अनुभव से गुजर रही है. दो के मिलने से भीड़ बनती हो, मगर तीन का साथ सुहाना साबित हो रहा है.

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