scorecardresearch
 

बाघों को रास आ रही है बुदेलखंड की आबोहवा

कुछ समय पहले तक बुदेलखंड के जंगल बाघ विहीन हो जाने की खबरों की वजह से सुखिर्यों में रहे, लेकिन एक बार फिर इन जंगलों में बाघों की संख्या में तेजी से इजाफा होता दिख रहा है.

Advertisement
X

कुछ समय पहले तक बुदेलखंड के जंगल बाघ विहीन हो जाने की खबरों की वजह से सुखिर्यों में रहे, लेकिन एक बार फिर इन जंगलों में बाघों की संख्या में तेजी से इजाफा होता दिख रहा है.

Advertisement

ऐसा माना जा रहा है कि अगर वन विभाग की कोशिशें कामयाब रहीं और बुंदेलखंड की आबोहवा बाघों को रास आती रही तो कोई आश्चर्य नहीं कि इस साल के अंत तक यहां के जंगलों में बाघों की संख्या बढ़कर डेढ़ दर्जन से ज्यादा हो जायेगी.

वन विभाग के आंकडों के मुताबिक, करीब चार साल पहले तक अकेले पन्ना टाइगर रिजर्व क्षेत्र में ही बाघों की संख्या 30 से 35 तक थी, लेकिन आश्चर्यजनक तरीके से यह संख्या कुछ ही सालों में शून्य तक पहुंच गयी. पन्ना टाइगर रिजर्व के निर्देशक आर. श्रीनिवास मूर्ति ने बताया कि पन्ना के जंगलों में फिलहाल कुल सात बाघ हैं. इनमें से दो जवान मादायें, एक नर बाघ तथा चार शावक हैं.

उनकी योजना के मुताबिक अगले कुछ महीनों में दूसरे राष्ट्रीय उद्यानों से तीन और बाघिनों को पन्ना टाइगर रिजर्व में लाया जायेगा. बाघों की संख्या केवल पन्ना टाइगर रिजर्व में ही नहीं बढ़ रही है. सागर वृत्त के उत्तर व दक्षिण वनमंडल, नौरादेही अभ्‍यारण्‍य तथा दमोह के जंगलों में भी बाघों को देखा जा रहा है. सागर के वनसंरक्षक अशोक भाटिया ने बताया कि सागर के उत्तर वनमंडल के तहत शाहगढ़ के जंगलों में भी अलग-अलग समय पर नर व मादा बाघ को देखा गया है.

Advertisement

बाद में वहां बाघिन के साथ दो शावकों को भी देखा गया. भाटिया के मुताबिक नौरादेही अभ्‍यारण्‍य में डोंगरगढ़ गांव के आसपास के इलाके में भी बाघ के एक परिवार के होने की खबर है. इसके अलावा हाल ही में दमोह जिले के जंगलों में कटनी से लगे क्षेत्र में बाघ को विचरण करते देखा गया है. उसके साथ एक बाघिन होने की भी सूचना है. {mospagebreak}

वन विभाग के अधिकारी इस बात से इनकार नहीं कर रहे हैं कि अगर बाघों को बुदेलखंड के जंगलों की आबोहवा रास आ रही है तो आसपास के जंगलों से और बाघ भी विचरण करते हुए यहां आ सकते हैं. बाघों की संख्या में इजाफा होने के साथ ही वन विभाग की चिंताए भी बढ़ती जा रहीं हैं. अधिकारियों के अनुसार पन्ना के बाघ तो टाइगर रिजर्व क्षेत्र के अंदर होने की वजह से अन्य क्षेत्रों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित हैं, लेकिन बुंदेलखंड क्षेत्र में बाघों की सुरक्षा के लिये विभाग की और से अब तक कोई विशेष इंतजाम नहीं किये गये हैं.

भाटिया ने बताया कि बुंदेलखंड के जंगलों में बाघों की सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम करने की राह में सबसे बड़ी बाधा प्रशिक्षित वनकर्मी नहीं होना और धन की कमी है. उन्होंने बताया कि हाल ही प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की सिफारिश पर टाइगर स्ट्राइक फोर्स के गठन को मंजूरी दे दी है. उन्होंने बताया कि इस सुरक्षा बल का मुख्यालय भोपाल में होगा, जबकि पांच क्षेत्रीय कार्यालय इंदौर, सतना, इटारसी, जबलपुर एवं सागर जिले में स्थापित किये जायेंगे.

Advertisement

बाघों की सबसे ज्यादा संख्या की वजह से टाइगर स्टेट का दर्जा हासिल करने वाले मध्यप्रदेश में बाघों की सुरक्षा के लिये प्रदेश सरकार की यह पहल कितनी कारगार साबित होगी, यह तो आने वाला समय ही बतायेगा. मगर फिलहाल उससे यह उम्मीद तो की ही जा सकती है कि टाइगर स्ट्राइक फोर्स की बदौलत बुदेलखंड के जंगलों में बाघ पहले की ही तरह बेखौफ घूम फिर सकेंगे.

Advertisement
Advertisement