देश में डीम्ड विश्विद्यालयों की भरमार देखते हुए एक सरकारी पैनल ने उनके लिये कड़ी शर्तों की सिफारिश की है. अब यह दर्जा हासिल करने के लिये विश्वविद्यालय के लिये जरूरी होगा कि वह कम से कम पिछले 15 साल से अस्तित्व में हो और किसी मान्यताप्राप्त एजेंसी से उसे सर्वोच्च रेटिंग मिली हो.
डीम्ड विश्वविद्यालयों के लिये विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा तैयार मसौदा नियमन के अध्ययन के लिये मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित टास्क बल ने यह सिफारिश की है. सरकारी सूत्रों ने बताया कि डीम्ड विश्वविद्यालय के लिये किसी संस्थान के नाम पर तभी विचार होगा जब उसे नेशनल एक्रेडिटेशन एण्ड असेसमेंट कौंसिल अथवा नेशनल बोर्ड आफ एज्युकेशन जैसी मान्यताप्राप्त एजेंसियों से उत्कृष्ट मानदंड वाली सर्वोच्च ए प्लस रेटिंग मिली हो.
सूत्रों ने बताया कि अगर ये शर्तें यूजीसी मंजूर कर लेती है तो इससे ऐसे संस्थानों के अभूतपूर्व भरमार पर अंकुश लगेगा. देश में 130 डीम्ड विश्वविद्यालय हैं जिनमें से 60 से अधिक केवल पिछले पांच साल में असतित्व में आयी हैं.
सरकार ने पिछले साल ऐसे संस्थानों के कामकाज और अकादमिक मानदंडो पर गौर करने के लिये एक समीक्षा समिति का गठन किया था. पी एन टंडन की अध्यक्षता वाली समिति ने 40 संस्थानों को इस दर्जे के लिये अनुपयुक्त पाया था जबकि 44 अन्य में कई खामियां पायी गयीं. इसी समिति को टास्क बल में बदल दिया गया और उसे डीम्ड विश्वविद्यालयों की समीक्षा और उनके नियमन के लिये दिशानिर्देश तय करने का जिम्मा सौंपा गया.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय यूजीसी की सिफारिश के आधार पर डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा देता है. टास्क फोर्स के प्रस्तावित नियमन पर यूजीसी विचार करेगी और फिर उसे अधिसूचित करेगी. इसबीच 126 डीम्ड विश्वविद्यालयों की समीक्षा करने वाली टंडन समिति अब चार शेष संस्थानों के विचारों को सुनेगी. इन संस्थानों ने पहले समिति के समक्ष अपना पक्षा नहीं रखा था.