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वो जगह जहां 'मौत' की भीख मांगते हैं लोग, नहीं देखा होगा ऐसा टॉर्चर, छूटकर भागे लोगों ने किए खुलासे

ये एक ऐसी जगह है, जहां लोगों को इतनी बुरी तरह टॉर्चर किया जाता है कि वो मौत की भीख मांगने लगते हैं. उनके लिए खूंखार कुत्ते तक रखे गए हैं. यहां से जान बचाकर भागे दो लोगों ने शॉकिंग खुलासे किए हैं.

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पूर्व कैदियों ने सुनाई बंद दरवाजों के पीछे की कहानी (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pixabay)
पूर्व कैदियों ने सुनाई बंद दरवाजों के पीछे की कहानी (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pixabay)

एक ऐसी जेल के भीतर की सच्चाई सामने आई है, जिसके बारे में शायद ही किसी ने सुना हो. यहां लोगों को जिन तरीकों से टॉर्चर किया जाता है, उसके बाद वो मौत की भीख मांगने लगते हैं. ये कहानी एक रूसी जेल की है. जहां यूक्रेनी नागरिकों को रखा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जब से रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है, जब से हजारों यूक्रेनी लोगों को पकड़कर दुनिया की सबसे खौफनाक इस जेल में डाला गया. डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, इसे सिम्फरोपोल डिटेंशन सेंटर के नाम से जाना जाता है. 

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एलेक्जेंडर टाराकोव यहां मई 2022 में कैद रहे थे. अब उन्होंने क्रेमलिन और रूस का विरोध करने वाली एक न्यूज वेबसाइट को बंद दरवाजों के पीछे की सच्चाई बताई है. टाराकोव को मार्च में गिरफ्तार किया गया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने कब्जे वाले खेरसोन में रूस के खिलाफ रैलियों का आयोजन किया है. उन्होंने बताया कि कैसे सजा और टॉर्चर के नाम पर यहां बिजली के झटके दिए जाते हैं. इस दौरान कोई परवाह नहीं की जाती कि कैदी का अपराध गंभीर है या मामूली.

खूंखार कुत्तों को भी रखा गया

उन्होंने बताया कि लोग जेल से भागें न, इसके लिए खूंखार कुत्तों को रखा गया है. टाराकोव ने बताया, 'ऐसा लगता है, जैसे ये चार्ज हर मांसपेशी फाइबर के जरिए आपके शरीर में जाता है और फट जाता है और फिर आपकी मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं. जब आपको इस तरह से टॉर्चर किया जाता है, तो आप इससे खुद को बचाने के लिए कुछ नहीं कर सकते, अगर करेंगे, तो ये और भी बदतर हो जाएगा.'  

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टाराकोव ने बताया कि जेल में डालने से पहले उन्हें रूसियों के कब्जे वाली एक बिल्डिंग के बेसमेंट में टॉर्चर किया गया था. उनके कानों में बिजली के तारों के छोर रखे गए और झटके देकर उन लोगों के नाम पूछे गए, जिन्होंने प्रदर्शनों का आयोजन किया है. इसके अलावा एक रूसी एजेंट ने उनकी कनपटी पर बंदूक रखी और गोली मारने की धमकी देने लगा. इस जेल को मध्य युग की कालकोठरी का बताते हुए टाराकोव ने आगे कहा, 'जैसे ही कोई नया कैदी आता है, उसी रात उसे जेल के सेल में टॉर्चर किया जाता है.'  

अधिकारियों पर धमकियां देने का आरोप

इस जेल में कैदी के तौर पर रह चुके एक अन्य शख्स मैक्सिम ने भी आपबीती सुनाई है. उन्होंने बताया कि रूसी सुरक्षा एजेंसी के अधिकारी पूछताछ के दौरान धमकियां देते हैं. या ये कहते कि, 'हम तुम्हें लुहांस्क भेज देखें, जहां मौत की सजा वैध है और वो तुम्हें गोली मार देंगे. उन्होंने यूक्रेन द्वारा युद्ध के नियमों के उल्लंघन के एक आपराधिक मामले के लिए हमसे गवाही ली. उन्होंने पूछा कि क्या हम घरों और मारियुपोल के ड्रामा थियेटर में हुई गोलीबारी के बारे में कुछ जानते हैं.' 

युद्ध की शुरुआत से ही यूक्रेन रूस पर युद्ध अपराधों के आरोप लगा रहा है, जबकि रूस इन सभी आरोपों को खारिज कर रहा है. अपराधों से जुडे़ सबूत और गवाह भी इस बीच सामने आते रहे हैं. बावजूद इसके क्रेमलिन इनसे इनकार कर रहा है. हालांकि यूक्रेन के दावे कितने सच हैं, इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है.

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कई इलाकों पर रूस का कब्जा

रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी, 2022 में युद्ध शुरू हुआ था. तब से अभी तक यहां खून खराबा जारी है. रूस ने यूक्रेन के तमाम इलाकों को खुद में शामिल कर लिया है. इनमें पूर्वी यूक्रेन के इलाके भी हैं. 2014 में क्रीमिया को खोने वाले यूक्रेन के लिए अब क्रीमिया तो दूर की बात, अपने दूसरे इलाकों को भी रूस से वापस लेना मुश्किल हो गया है. 

वो इस युद्ध में पश्चिमी देशों से मिल रही हथियारों और वित्तीय मदद की वजह से टिका हुआ है. युद्ध का प्रमुख कारण यूक्रेन की नाटो में शामिल होने की इच्छा को बताया जाता है. हालांकि रूस ने अपना पहला हमला ये कहकर किया था कि यूक्रेन पूर्वी इलाकों में रहने वाले रूसी भाषी लोगों पर अत्याचार करता है. रूस ने इसे युद्ध का नाम न देकर विशेष सैन्य अभियान बताया है.

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