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उमर खालिद को लेकर कन्हैया कुमार ने क्या कहा कि हो रहे ट्रोल

कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार से पत्रकारों ने पूछा- आपके दोस्त उमर खालिद? इस पर कन्हैया कुमार ने कहा कि उमर खालिद मेरा दोस्त है...यह कौन बताया? यह वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है.

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार से पत्रकारों ने पूछा था सवाल
  • कन्हैया बोले- उमर मेरा दोस्त है... यह कौन बताया?

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संघ (JNUSU) के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार अपने एक बयान को लेकर खूब ट्रोल किए जा रहे हैं. दरअसल, कन्हैया कुमार से जब पत्रकारों ने दिल्ली दंगों के आरोप में गिरफ्तार उमर खालिद को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने (कन्हैया) ऐसा जवाब दिया, जिस पर लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं.

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कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार से पत्रकारों ने पूछा- आपके दोस्त उमर खालिद? इस पर कन्हैया कुमार ने कहा कि उमर खालिद मेरा दोस्त है...यह कौन बताया? यह वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है और लोग सवाल पूछ रहे हैं. कई लोग कन्हैया के कांग्रेस में आते ही अपने स्टैंड बदलने की बात कह रहे हैं.

उमर खालिद पर दिए गए अपने बयान को लेकर कन्हैया कुमार ट्रोल किए जा रहे हैं, जबकि कई लोग उनका समर्थन भी कर रहे हैं. लोगों ने उमर खालिद और कन्हैया कुमार की तस्वीरें शेयर करते हुए कन्हैया कुमार से कई सवाल पूछा. इसके साथ ही #UmarKhalid की जेल से रिहाई के लिए ऑनलाइन मुहिम चलाई जा रही है.

कन्हैया के बयान पर एक ट्विटर यूजर @irenaakbar ने लिखा- एक दोस्त जो आपको आपके कठिन समय में छोड़ देता है, वह पीठ में छुरा घोंपने वाले से कम नहीं है.

एक अन्य ट्विटर यूजर @SafooraZargar ने लिखा- कन्हैया कुमार मैं आपको बता दूं कि उमर खालिद आपसे दोस्ती नहीं करना चाहेगा, कृपया जल्द ही भाजपा/आरएसएस में शामिल हों ताकि आपको अब धर्मनिरपेक्ष होने का नाटक भी न करना पड़े, आपके लिए बहुत आसान होगा, आप उस सीट को भी जीतेंगे जिसके लिए आप इतने बेताब हैं.

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ट्विटर यूजर @DilshadQadri77 ने लिखा- 2016 में जब कन्हैया कुमार को जेएनयू में गिरफ्तार किया गया तो शरजील इमाम ने उनके लिए विरोध प्रदर्शन किया. उमर खालिद बेगूसराय में कन्हैया के लिए प्रचार कर रहे थे और अब कन्हैया को अपने दोस्त उमर खालिद की भी याद नहीं है, जो यूएपीए के तहत जेल में बंद है.

एक ट्विटर यूजर @sudlimbu ने लिखा- उमर खालिद से खुद को अलग करते हुए कन्हैया कुमार ने उदाहरण दिया कि राजनीति में कोई स्थायी दोस्त और स्थायी दुश्मन नहीं होता है, हालांकि उदारवादी और कट्टरपंथी निराश हैं... लेकिन एक कॉमरेड को अपने कॉमरेड को नज़रअंदाज़ करते हुए देखना मज़ेदार और साथ ही दुखद भी था.

 

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