scorecardresearch
 

36 साल बाद महिला के गर्भाशय से निकाला गया अजन्मे शिशु का कंकाल

अपने किस्म के एक अनोखे ऑपरेशन में डाक्टरों के एक दल ने 36 साल बाद एक 60 वर्षीय महिला के गर्भाशय से उसके अजन्मे शिशु का कंकाल आपरेशन के जरिए निकाला. किसी महिला के शरीर में एक्टोपिक भ्रूण के रहने की यह संभवत: सबसे लंबी अवधि है.

Advertisement
X
Symbolic photo
Symbolic photo

अपने किस्म के एक अनोखे ऑपरेशन में डाक्टरों के एक दल ने 36 साल बाद एक 60 वर्षीय महिला के गर्भाशय से उसके अजन्मे शिशु का कंकाल आपरेशन के जरिए निकाला. किसी महिला के शरीर में एक्टोपिक भ्रूण के रहने की यह संभवत: सबसे लंबी अवधि है.

Advertisement

मध्य प्रदेश के पिपरिया (सिओनी) की रहने वाली महिला कांताबाई गुणवंते ठाकरे का नागपुर के एनकेपी साल्वे इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल सांइसेज के डॉक्टरों की एक टीम ने आपरेशन किया. इस टीम में लता मंगेशकर हास्पिटल के डाक्टर भी शामिल थे. यह महिला पिछले सप्ताह ओपीडी में आई थी.

महिला को पिछले दो महीने से पेट में लगातार दर्द हो रहा था. जांच करने पर डाक्टरों को उसके पेट के दाहिनी ओर निचले हिस्से में कुछ गांठ सी महसूस हुई और उन्हें लगा कि यह कैंसर है. सोनोग्राफी से भी गांठ होने की पुष्टि हो गई. इसके बाद एक सीटी स्कैन में खुलासा हुआ कि यह गांठ एक कठोर और भुरभुरी चीज है.

अस्पताल में सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. मुन्‍जा अख्तर ने बताया, 'इसके बाद मरीज का एमआरआई किया गया. उसके बाद डाक्टरों को पता चला कि वास्तव में यह गांठ एक शिशु का कंकाल थी.' यह पता चलने के बाद सर्जन की टीम ने इसी प्रकार के मामलों के संबंध में चिकित्सा साहित्य को खंगाला और एक बेल्जियम की महिला के बारे में पढ़ा, जिसके शरीर में एक्टोपिक भ्रूण रिकार्ड 18 साल तक रहा था.

Advertisement

यह महिला 1978 में 24 साल की उम्र में गर्भवती हुई थी, लेकिन उसकी हालत ऐसी थी कि उसका शिशु गर्भाशय से बाहर विकसित हो रहा था. इसके चलते गर्भपात कर दिया गया. सर्जनों की टीम की अगुवाई करने वाले डॉ. बीएस गेदाम ने बताया, 'हमने मरीज का विस्तृत मेडिकल इतिहास जानने की कोशिश की और उसके भाई ने बताया कि 1978 में वह गर्भवती हुई थी और उसे कुछ परेशानियां थीं.'

इससे पूर्व शहर के एक अस्पताल के डाक्टरों ने महिला को बताया था कि उसका भ्रूण हो सकता है कि उस समय मर गया हो और उसे अब ऑपरेशन करवाना पड़ेगा. गेदाम ने बताया कि ऑपरेशन की बात से महिला डर गई और ऑपरेशन करवाए बिना अपने गांव चली गई. उन्होंने बताया कि मरीज ने दावा किया है कि उसके गांव में एक हेल्थ सेंटर में कुछ महीनों के उपचार के बाद उसे छुट्टी दे दी गई.

महिला का ऑपरेशन करने के बाद डाक्टरों की टीम ने पाया कि बड़ी गांठ में एक पूर्ण विकसित शिशु का कंकाल था. यह गांठ गर्भाशय, आंत और पेशाब की थैली के बीच थी और आसपास के सभी अंगों के साथ गहरे से सटी हुई थी. डॉ. अख्तर ने बताया, 'भ्रूण की रक्षा करने वाला गर्भाशय का पानी हो सकता है सूख गया हो और नरम उत्तक समय बीतने पर तरल हो गए और थोड़े से पानी के साथ केवल हड्डियों का एक थला सा बचा था.

Advertisement

पिछले कुछ महीने से महिला को दर्द और पेशाब में दिक्कत तथा बुखार आ रहा था.' उन्होंने बताया कि गांठ के मूत्र नली पर दबाव डालने के कारण दर्द हो रहा था और इससे गुर्दो का कामकाज भी बाधित हो रहा था. महिला का 14 अगस्त को ऑपरेशन किया गया जो चार घंटे तक चला. डॉ. गेदाम ने बताया कि महिला की हालत तेजी से सुधर रही है.

Advertisement
Advertisement