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UP: सुरक्षा मांगते-मांगते हो गई बेजुबां, रूह कंपा देगी ये दास्‍तां...

कानून व्यवस्था दुरुस्त करने का वादा कर रहे नए सीएम के लिए प्रदेश की लचर कानून व्यवस्था का यह जीता-जागता उदाहरण है. 

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Representational Image
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सीएम योगी आदित्यनाथ ने केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में जाकर ट्रेन में तेजाब का शिकार हुई पीढ़िता से मुलाकात की थी. कानून व्यवस्था दुरुस्त करने का वादा कर रहे नए सीएम के लिए प्रदेश की लचर कानून व्यवस्था का यह जीता-जागता उदाहरण है.

हैरानी की बात ये है कि जो पीढ़िता आज अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है, दरअसल उसकी सुरक्षा का आश्वासन जनवरी में ही मौजूदा SSP मंजिल सैनी और तत्कालीन DM सत्येंद्र सिंह दे चुके थे. इसके बावजूद पीड़िता पर सरेआम तेजाब से हमला हुआ. आखिर कब तक प्रशासन इसी तरह के खोखले आश्वासन देते रहेंगे और उत्तरप्रदेश में महिलाएं इन आश्वासनों की भेंट चढ़ती रहेंगी? आखिर पीढ़िता के साथ हुई बदसलूकी के लिए कब होगी अधिकारियों की जवाबदेही तय?

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लगातार मिल रही थीं धमकियां
ट्रॉमा सेंटर में जिस पीढ़िता से मिलने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पहुंचे थे, उस पीड़ित ने हमले से पहले कई बार प्रशासन के तमाम आला अधिकारियों को अपनी जान का खतरा होने का डर जताया था. दरअसल, जनवरी महीने में शिरोज़ कैफे (जहां पीडि़ता काम करती थी) को एक धमकी भरा खत मिला था. इस खत में लिखा था कि इस महिला को नौकरी से निकाल दिया जाए या फिर उसको केस वापस लेने के लिए कहा जाए वरना अंजाम बहुत बुरा होगा, इतना बुरा कि उसकी रगों में खून की जगह तेजाब दौड़ेगा.

शिरोज़ कैफे में करती थी काम, ऐसी है पीडि़ता
पीढ़िता रायबरेली की रहने वाली है और लखनऊ के शिरोज़ कैफे में काम करती थी. यहां पर उसके साथ तेजाब का शिकार हुई तमाम महिलाएं काम करती हैं. वो इन सब के बड़ी दीदी थी. होली के पहले वह अपने घर गईं और शुक्रवार को काम पर वापस लौटना था, लेकिन वही हुआ जिसका उनको डर था. अब उसकी सहेलियों का रो-रो कर बुरा हाल है. माला का कहना है, 'आज दीदी के मुंह पर तेजाब नहीं फेंका गया....तेजाब पिला दिया उन ज़ालिमों ने, वो अपनी आवाज भी खो बैठी हैं. अब हम टूट चुके हैं. हमारे साथ भी ये हो सकता है'.

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अधिकारियों ने दिया था सुरक्षा का आश्वासन
3 महीने पहले SSP और DM शिरोज़ कैफे गए थे. शिरोज़ में काम करने वाली दीया बात करते-करते रो पढ़ती है, 'मुझे याद है एसएसपी और डीएम हमसे मिले थे. उन्होंने आश्वासन दिया था कि दीदी की जान को कोई खतरा नहीं है और जल्दी उनके परिवार को भी लखनऊ बुला लिया जाएगा, उसको रायबरेली जाने की जरूरत नहीं होगी. लेकिन नतीजा ये है कि आज दीदी ट्रॉमा सेंटर में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है'.

कब क्‍या हुआ
- 2009 में रेप हुआ. उसके बाद पुलिस ने नहीं की कार्रवाई.
- फिर पीडि़ता महिला आयोग गई, जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई.
- फिर पीडि़ता के साथ सामुहिक बलात्कार हुआ. फिर इसने पुलिस में मामला दर्ज करवाया
- 2011 में तेज़ाब से हमला हुआ. लगातार केस वापस लेने की धमकी मिलती रही.
- फिर इसकी नाबालिग बेटी के साथ रेप करने की धमकी भी दी गई.
- 18 जनवरी 2017 को फिर मिला खून की जगह तेज़ाब भरने की धमकी भरा खत.
- तत्कालीन डीएम सत्येंद्र सिंह और एसएसपी मंजिल सैनी शिरोज़ कैफे पहुचे और यहां पर उन्होंने पीड़िता को आश्वासन दिया कि वह बिल्कुल सुरक्षित है और उनकी सुरक्षा के लिए उनको सुरक्षाकर्मी मुहैया कराए जाएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
- होली के एक दिन पहले गई घर. बेटी के इम्तेहान के लिए रायबरेली गई.
- रायबरेली की लोकल अदालत में होने वाली थी फाइनल सुनवाई.

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