अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद वहां की नीतियों में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है. इसका सीधा असर उन लाखों लोगों पर पड़ रहा है, जो अमेरिका में स्टडी या जॉब का ख्वाब पाले हैं. इमिग्रेशन पॉलिसी अब पहले से कहीं ज्यादा सख्त हो गई है, और अप्रवासियों पर तलवार हमेशा लटक रही है.
इसी कड़ी में अब एक नया नियम सामने आया है, जिसके तहत सोशल मीडिया पर की गई गतिविधियों को भी वीजा और इमिग्रेशन फैसलों में ध्यान में रखा जाएगा. अगर किसी व्यक्ति ने यहूदी विरोधी विचार जाहिर किए हैं या आतंकी संगठनों का समर्थन किया है, तो उसका अमेरिका में प्रवेश रोक दिया जाएगा. चाहे वह छात्र हो, नौकरी की तलाश में आया हो, या स्थायी निवास के लिए आवेदन कर रहा हो.
यहूदी विरोधी किसी भी पोस्ट पर पड़ेगा भारी
अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (USCIS) के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति की सोशल मीडिया गतिविधियों में यहूदी विरोधी विचार, इजराइल के खिलाफ नफरत या ऐसे पोस्ट दिखे जो उनके खिलाफ नफरत फैलाते हों, तो उसे बिना किसी वार्निंग के कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा, यदि कोई हमास, हूती जैसे आतंकी संगठनों का समर्थन और उनके कामों को जायज ठहराया तो भी उनको देश से निकालने का रास्ता तैयार कर दिया जाएगा.
बता दें, यह नया नियम अब लागू कर दिया गया है और यह स्टूडेंट वीजा से लेकर ग्रीन कार्ड (अमेरिका में स्थायी निवास का परमिट) तक सभी इमिग्रेशन प्रक्रियाओं पर प्रभाव डालेगा.
लोगों ने बताया फ्रीडम ऑफ स्पीच पर हमला
हालांकि अमेरिका की तरफ से ऐसे नियम आने के बाद लोग इसी फ्रीडम ऑफ स्पीच पर हमला भी बता रहे हैं. वहीं बहुत से लोग ये भी कह रहे हैं ट्रप सरकार ज्यूज लॉबी के आगे सरेंडर हो गई है और उसके मुताबिक काम कर रही है. वहीं किसी का कहना इजराइल मनमानी करें तो कोई उसके खिलाफ क्यों नहीं बोले.
बता दें, अमेरिका में लगभग 75 लाख (7.5 मिलियन) यहूदी रहते हैं, जो देश की कुल आबादी का करीब 2.4% हैं.लेकिन संख्या में छोटे इस समुदाय का असर बेहद बड़ा है. माना जाता है कि डोनाल्ड ट्रंप की चुनाव जीत में यहूदी समुदाय का निर्णायक योगदान रहा.