अल सल्वाडोर की मेगा-जेल (CECOT) अमेरिका से डिपोर्ट किए जा रहे प्रवासियों से फिलहाल भर रही है. यहां भेजे जाने वाले लोगों को ट्रंप प्रशासन ने इन्हें हिंसक अपराधी करार दिया है. अमेरिका के अवांछित लोगों को ऐसे ही अल सल्वाडोर की जेल में नहीं भेजा जा रहा है, बल्कि दोनों देशों के बीच इसको लेकर एक सौदा हुआ है. इस एवज में अल सल्वाडोर को मोटी रकम भी मिल रही है. इसकी पुष्टि खुद अल सल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले ने की थी.
सवाल सिर्फ अल सल्वाडोर का नहीं है. ट्रंप प्रशासन ने इसके अलावा कुछ और देशों से ऐसे ही सौदे किए हैं. या यूं कहें, ये देश अमेरिका को 'जेल ऑन रेंट' देकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. चाहे उसे दो देशों के बीच आपसी सहमति से समझौते का नाम ही क्यों न दिया गया हो, लेकिन सच्चाई सबके सामने है. अमेरिका ने इस काम के लिए 'शाम, दाम, दंड और भेद' की नीति अपनाते हुए कई सेंट्रल अमेरिकी देशों को अपने यहां से निर्वासित किए गए दूसरे देशों को नागरिकों को रखने के लिए राजी कर रखा है.
सिर्फ अल सल्वाडोर ही नहीं कई देश हैं इस लिस्ट में शामिल
इन देशों की फेहरिस्त में कोस्टारिका, पनामा जैसे देश भी शामिल हैं. ट्रम्प प्रशासन ने मैक्सिको , ग्वाटेमाला , अल साल्वाडोर , होंडुरास, कोस्टा रिका और पनामा के साथ समझौते किए हैं, ताकि वे अमेरिका से निष्कासित प्रवासियों के लिए ठहराव की व्यवस्था करें. इसके लिए इन देशों को अमेरिका से मोटे फंड भी मिल रहे हैं. ॉ
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने जब फरवरी में अल सल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले से मुलाकात की थी. तब इस समझौते की घोषणा की गई थी. रुबियो ने कई मध्य अमेरिकी देशों का दौरा कर ट्रंप प्रशासन की माइग्रेशन पॉलिसी को आगे बढ़ाने को प्रोत्साहित भी किया था.
US के विदेश मंत्री ने कई सेंट्रल अमेरिकी देशों से की थी बात
तब रुबियो ने कहा था कि हमारे देश के प्रति असाधारण मित्रता के रूप में अल सल्वाडोर ने दुनिया में सबसे असाधारण और अभूतपूर्व इमीग्रेशन समझौते को स्वीकार किया है. उन्होंने कहा था कि यह देश अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले अल सल्वाडोर के नागरिकों को वापस लेता रहेगा. अमेरिका के अन्य अवैध प्रवासियों को भी अल सल्वाडोर की जेल में रखा जा सकेगा.
रुबियो ने कहा था कि अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे किसी भी अपराधी, चाहे वह किसी भी राष्ट्रीयता का हो, जैसे कि MS-13 या Tren de Aragua गिरोह के सदस्य हो, उन्हें अपनी जेलों में रखेगा. इसके अलावा, बुकेले ने अमेरिका में हिरासत में रखे गए खतरनाक अमेरिकी अपराधियों को भी अपनी जेलों में रखने की पेशकश की थी.
कैदियों को रखने के बदले भुगतान करेगा अमेरिका
बुकेले ने इस समझौते की पुष्टि करते हुए एक्स पर लिखा कि हम केवल दोषी अपराधियों (जिसमें अमेरिकी नागरिक भी शामिल हैं) को अपने मेगा-प्रिजन (CECOT) में रखने को तैयार हैं, लेकिन इसके बदले एक शुल्क लिया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि यह शुल्क अमेरिका के लिए अपेक्षाकृत कम होगा, लेकिन हमारे लिए महत्वपूर्ण होगा और इससे हमारी पूरी जेल व्यवस्था आत्मनिर्भर बन सकेगी.
कोस्टारिका और पनामा को भी झुकने को किया गया मजबूर
कोस्टारिका के राष्ट्रपति रोड्रिगो चावेस ने कहा है कि उनका देश अपने आर्थिक रूप से शक्तिशाली उत्तरी भाई की मदद कर रहा है. उनका इशारा शक्ति के असंतुलन की ओर था, जो अमेरिका को छोटे पड़ोसियों पर दबाव बनाने की ओर इशारा करता है. वहीं पनामावासियों को ट्रम्प की ओर से भी धमकियों का भी सामना करना पड़ रहा है, जिन्होंने पनामा नहर को अधिग्रहित कर लेने की बात कही है, जो दुनिया के सबसे व्यस्त जल चैनलों में से एक है और प्रशांत और अटलांटिक महासागरों को जोड़ती है.
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पनामा के होटलों में मदद मांगते दिखे थे प्रवासी
पनामा, जहां से 2023 में अमेरिकी सीमा तक पहुंचने के लिए 500,000 से अधिक प्रवासी गुजरे, इस महीने अचानक शरणार्थियों को निर्वासित करने के अमेरिकी प्रयासों के लिए एक पुल बन गया. पनामा सिटी के एक होटल में 10 ज़्यादातर एशियाई देशों से लगभग 300 अमेरिकी निर्वासितों को रखा गया था. कुछ लोगों ने अपनी खिड़कियों पर 'मदद करें' और 'हम अपने देश में सुरक्षित नहीं हैं' लिखे हुए बोर्ड लगा रखे थे.
कोस्टारिका में भी उतर रहे अमेरिका निर्वासित
पिछले दिनों कई उड़ानें कोस्टारिका में उतरीं और उन्हें एक दूरस्थ सुविधा केंद्र में भेज दिया गया. वहां पहले भी उत्तर की ओर जाने वाले प्रवासियों को भेजा गया था. कोस्टा रिका के आंतरिक उप मंत्री ओमर बैडिला के अनुसार, इन उड़ानों के अतिरिक्त, प्रतिदिन 50 से 75 प्रवासी स्वयं ही कोस्टा रिका से होकर दक्षिण की ओर बढ़ रहे हैं.कोस्टारिका प्रशासन ने प्रवासियों के लिए दक्षिण की ओर नाव का प्रबंधन करने में पनामा और कोलंबिया के सहयोग की अपेक्षा की थी.
पनामा और कोस्टा रिका को मिल रहा है पेमेंट
पनामा और कोस्टारिका का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां प्रत्यावर्तन में सहायता कर रही हैं और अमेरिकी सरकार इसका भुगतान कर रही है. अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन ने कहा कि वह अधिकारियों को बुनियादी सेवाएं प्रदान करने में मदद कर रहा है और स्वैच्छिक प्रत्यावर्तन की सुविधा प्रदान कर रहा है.पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने भी कहा कि प्रवासियों के पुराने प्रवाह (दक्षिण से उत्तर) की स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में है.
अमेरिका ने प्रवासियों को रखने के लिए हर हथकंडा अपनाया
एसोसिएटेड प्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार वाशिंगटन स्थित मानवाधिकार संगठन WOLA के शोधकर्ता एडम इसाकसन ने इन देशों के बीच हो रहे समझौतों को लेकर हाल ही में संदेह जताया था है कि इनमें से कई समझौते तात्कालिक 'हाथ मिलाने के सौदे' से ज़्यादा कुछ नहीं हैं. ये अनुरोध तब किए गए, जब ट्रम्प ने टैरिफ़ लगाने और पनामा नहर को वापस लेने की धमकी दी थी. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो उस समय इस क्षेत्र में घूमे थे जब अमेरिकी विदेशी सहायता निलंबित थी और जरूरत पड़ने पर छूट भी दी थी.
अमेरिका के अन्य कैदियों को भी रखने को तैयार हैं ये देश
ट्रम्प ने अपने पहले राष्ट्रपति काल के दौरान शरणार्थियों को लेने के लिए मैक्सिको, ग्वाटेमाला, होंडुरास और अल साल्वाडोर के साथ समझौते किए थे, हालांकि वास्तव में केवल मैक्सिको और ग्वाटेमाला को ही शरण मिली. लेकिन उनके दूसरे कार्यकाल में हुए समझौते अधिक विविध हैं, जिनमें पिछले सप्ताह होंडुरास द्वारा वेनेजुएला के नागरिकों को अमेरिकी विमान से उतरने और अपने क्षेत्र में वेनेजुएला के विमान में चढ़ने की अनुमति देना, तथा अल साल्वाडोर द्वारा निर्वासितों - यहां तक कि अमेरिकी नागरिक कैदियों को भी कैद करने की पेशकश करना शामिल है.
'लोगों को सामान की तरह गोदाम में रखा जा रहा'
इसाकसन ने कहा कि अब वे बहुत ज़्यादा महत्वाकांक्षी हो गए हैं. लोगों को सामान की तरह गोदाम में रखने या उन्हें तीसरे देशों में निर्वासित करने का विचार ट्रम्प के पहले कार्यकाल में कोई मुद्दा नहीं था. संख्याएं अपेक्षाकृत कम हैं, लेकिन निर्वासितों के बेड़ियों में जकड़े विमान से उतरने तथा पनामा होटल में जहां उन्हें रखा गया है, वहां मदद की गुहार लगाते हुए तख्तियां थामे निर्वासितों की तस्वीर काफी कुछ कह रही है.
कब तक तीसरे देशों में रहेंगे ये लोग
निर्वासित लोगों को तब तक तीसरे देशों में रखा जाएगा जब तक कि उनके प्रत्यावर्तन की व्यवस्था नहीं हो जाती. पनामा में निर्वासित लोगों को पनामा सिटी के डेकापोलिस होटल के कमरों में रखा गया है, जहां पुलिस की निगरानी में लोग रहते हैं.
अपने देश नहीं लौटने वालों को जंगलों में छोड़ा जा रहा
पनामा के होटल में मौजूद लगभग एक तिहाई लोग, जिन्होंने स्वेच्छा से अपने देश लौटने से इनकार कर दिया था, उन्हें फिर उसी जंगल में एक सुदूर शिविर में भेज दिया गया, जिसे वे संभवतः दूसरी दिशा में पार करके आए थे. शिविर में मौजूद एक निर्वासित व्यक्ति ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि उन्हें उनके अधिकारों के बारे में नहीं बताया गया और यह भी नहीं बताया गया कि वे शिविर में कितने समय तक रहेंगे , जिससे वह शिविर की खराब स्थितियों के कारण चिंतित हो गई.