अगर कोई विमान काफी ऊंचाई से क्रैश हो जाए, तो उसमें सवार लोगों के बचने के चांस ना के बराबर होते हैं. लेकिन एक कहानी ऐसी भी है, जिसमें एक महिला 33,333 फीट की ऊंचाई से गिरी और जिंदा बच गई. महिला का नाम वेसना वुलोविक था. हादसे के वक्त वह महज 23 साल की थीं. वेसना का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है. वह बिना पैराशूट की मदद से आसमान से गिरने के बावजूद जिंदा बचीं. चलिए इस सच्ची घटना के बारे में जानते हैं.
ट्विटर पर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड की तरफ से इसी घटना से जुड़ा एक वीडियो शेयर किया गया है. इसमें वेसना की कहानी बताई गई है. वह एक फ्लाइट अटेंडेंट थीं. घटना आज से करीब 50 साल पहले की है. युगोस्लाव एयरलाइंस की फ्लाइट 367 को स्वीडन के स्टॉकहोम से सर्बिया के बिलग्रेड जाना था. दिन था, 26 जनवरी, 1972. विमान अपना सफर भी पूरा न कर सका और इसमें 33,333 फीट की ऊंचाई पर, ठीक चेक गणराज्य के ऊपर आसमान में जोरदार धमाका हो गया. इसमें कुल 28 लोग सवार थे.
हादसे में अकेली बची थीं वेसना
हादसे में सभी लोग मारे गए, बस एक अकेली वेसना बचीं. वीडियो में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के एडिटर और चीफ क्रैग ग्लेंडी बताते हैं कि ये उनके लिए जीवित बचने की सबसे अविश्वसनीय कहानियों में से एक है. जो गिनीज रिकॉर्ड में दर्ज है. उन्होंने आगे एक हैरान करने वाली बात बताई. ग्लेंडी ने कहा, 'हादसे वाले दिन वेसना को ड्यूटी पर ही नहीं आना था. किसी और वेसना को आना था. लेकिन दोनों का एक जैसा नाम होने की वजह से कन्फ्यूजन हो गई.'
This is the incredible story of the woman who fell 33,333 feet and survived... pic.twitter.com/1Bpdi2SVi0
— Guinness World Records (@GWR) November 6, 2022
वेसना डेनमार्क से विमान में चढ़ीं. इसका पहला स्टॉपओवर कोपेनहेगन (डेनमार्क) था और दूसरा क्रोएशिया, जहां वो कभी नहीं पहुंचा. वीडियो में बताया गया है, 'टेकऑफ के 46 मिनट बाद शाम के 4 बजकर 1 मिनट पर लगेज कंपार्टमेंट में जोरदार धमाका हुआ और विमान तीन हिस्सों में बंट गया. उसमें आग लग गई. लोग विमान से नीच गिरकर मरने लगे. लेकिन ऐसा माना जाता है कि वेसना विमान के पिछले हिस्से में फंस गई थीं. वह खाने के सामान की ट्रॉली के साथ थीं.' इसी वजह से वह विमान से नीचे नहीं गिरीं.
किस वजह से बची वेसना की जान?
विमान के जिस हिस्से में वेसना फंसी थीं, वो बर्फ की मोटी चादर पर गिरा. इस वजह से उनकी जान बच गई. इस मामले पर बाद में रिसर्च हुई, तो उनके जीवित बचने की एक और वजह सामने आई. इसमें पता चला कि लो ब्लड प्रेशर के कारण वह जीवित बच पाईं. विशेषज्ञों का कहना है कि जब भी हजारों फीट की ऊंचाई पर ऐसा हादसा होता है तो ब्लड प्रेशर काफी बढ़ जाता है और ऑक्सीजन की कमी से दिल फट जाता है. जिससे बाकी लोगों की मौत हो गई. लेकिन वेसना का ब्लड प्रेशर लो रहता था. इसी वजह से वो जानलेवा लेवल तक नहीं पहुंचा.
हादसे के बाद क्या हुआ?
ग्लेंडी ने कहा, 'उनके (वेसना) शरीर की लगभग हर हड्डी टूट गई थी. वह अस्थायी तौर पर पैरालाइज हो गईं. वो तीन दिन तक कोमा में रहीं. विमान हादसे के बाद वेसना मलबे में चिल्ला रही थीं. तभी वहां एक शख्स आया. ये शख्स दूसरे विश्व युद्ध में मेडिकल टीम का हिस्सा था. उन्होंने बचावकर्मियों के आने से पहले वेसना को प्राथमिक चिकित्सा दी. इस शख्स का मिलना भी किसी चमत्कार से कम नहीं था. वेसना दस दिन बाद चलने लायक हुईं. एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ कॉन्सपिरेसी थ्योरिस्ट मानते हैं कि विमान, रिकॉर्ड्स में बताई गई दर से कम ऊंचाई पर उड़ रहा था. हालांकि ये दावा फ्लाइट डाटा मिलने के बाद झूठा साबित हुआ.
ब्लैक बॉक्स से विमान की ऊंचाई, दिशा और स्पीड का पता चला. इससे मालूम हुआ कि विमान हादसे के वक्त 33,333 फीट की ऊंचाई पर था. वहीं वेसना की मौत 66 साल की उम्र में साल 2016 में हुई. लेकिन उनकी कहानी हमेशा जिंदा रहेगी.