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वायरल टेस्ट: क्या गर्मियों की छुट्टियों में एडवांस फीस नहीं लेंगे स्कूल?

देश के सभी स्कूलों में अब समर विकेशन यानी गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो रही हैं, इस वक्त बच्चों के लिए इससे बड़ा खुशी का मौका कुछ और नहीं है.

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आजतक का वायरल टेस्ट
आजतक का वायरल टेस्ट

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गर्मियों की छुट्टियों में यूं तो स्कूल बंद होते हैं, लेकिन बच्चों की फीस जरूर स्कूल वाले वसूल लेते हैं. लेकिन सोशल मीडिया पर ऐसी खबर वायरल हो रही है जिसमें दावा किया जा रहा है कि बच्चों से गर्मी की छुट्टियों के बीच फीस नहीं ली जाएगी. इस खबर में हाईकोर्ट के आदेश का हवाला भी दिया जा रहा है. इस दावे में कितना दम है, आजतक ने इसका वायरल टेस्ट किया है.

देश के सभी स्कूलों में अब समर विकेशन यानी गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो रही हैं, इस वक्त बच्चों के लिए इससे बड़ा खुशी का मौका कुछ और नहीं है. इस बीच बच्चों के पैरेंट्स यानी माता-पिता के लिए भी खुशखबरी है, क्योंकि एक मैसेज सोशल मीडिया पर बहुत तेज़ी से वायरल हो रहा है. इस वायरल मैसेज में लिखा है कि हाईकोर्ट का ऑर्डर है कि कोई भी प्राइवेट स्कूल छुट्टियों के दिनों यानी जून और जुलाई के महीने की फीस नहीं ले सकेगा.

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आखिर इस वायरल मैसेज की सच्चाई क्या है. 'आजतक' ने इसका वायरल टेस्ट किया. वायरल मैसेज में लिखा है 'कोई भी प्राइवेट स्कूल छुट्टियों की दिनों की यानी जून और जुलाई महीने की फीस नहीं ले सकेगा. अगर उस स्कूल ने मना करने के बाद फीस वसूली तो उसके खिलाफ़ कार्रवाई होगी, जिसमें उसकी मान्यता भी रद्द हो सकती है. इसके लिए अभिभावक पुलिस में शिकायत भी कर सकते हैं. अगर किसी ने एडवांस में फीस जमा कर दी है, तो वापस मांग लें या फिर अगले महीने एडजस्ट करा दें. पुलिस ना सुनें तो मुख्यमंत्री से शिकाय़त करें. इस मैसेज में ऊपर हाईकोर्ट ऑर्डर भी लिखा है. जिसके बाद याचिका का क्रमांक और फैसले की तारीख लिखी है.'

अब सवाल ये है कि यह वायरल मैसेज कहां के हाईकोर्ट का है. 'आजतक' ने पता लगाया कि ये आदेश हाईकोर्ट सिंध, कराची (पाकिस्तान) के चीफ जस्टिस जुल्फिकार अहमद खान का है. ये केस (सीपी नंबर डी-5812) शाहरुख शकील खान व अन्य ने 2015 में सिंध प्रांत के मुख्य सचिव के खिलाफ दायर किया था, जिसका फैसला 7 अक्टूबर 2016 को सुनाया गया. इस मामले में इससे मिलती-जुलती 8 अन्य याचिकाओं को भी जोड़ा गया था. चीफ जस्टिस ने छुट्टियों के दौरान फीस न लेने व स्कूलों में फीस बढ़ोतरी की सीमा तय की थी.

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अब आपको बताते हैं कि ये कैसे पता चला कि ये मैसेज पाकिस्तान का है. मैसेज में कहीं भी आदेश जारी करने वाले हाईकोर्ट का नाम नहीं था. विभिन्न हाई कोर्ट की वेबसाइट पर सर्च करने पर एक आर्टिकल मिला, जो पाकिस्तान से संबंधित था. हाई कोर्ट सिंध, कराची की वेबसाइट चेक करने पर इस संबंध में 16 पेज का ऑर्डर मिला, तो इस तरह से ये वायरल टेस्ट में फेल हुई.

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