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हम तो हैं परदेस में, देस में ...

विदेशों में रह रहे भारतीय 15 अगस्त आते ही अपने देश से दूर होने के एहसास से बेचैन हो जाते हैं. हालांकि परदेस में रहने वालों को अपने वतन की याद तो हर पल आती है लेकिन स्वतंत्रता का महापर्व उनके दिल में एक टीस उठा जाता है.

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विदेशों में रह रहे भारतीय 15 अगस्त आते ही अपने देश से दूर होने के एहसास से बेचैन हो जाते हैं. हालांकि परदेस में रहने वालों को अपने वतन की याद तो हर पल आती है लेकिन स्वतंत्रता का महापर्व उनके दिल में एक टीस उठा जाता है.

कनाडा के ओंटारियो प्रांत के मिसिसॉगा शहर में रह रहे योगेश बख्शी कहते हैं कि हम यहां हर त्यौहार मनाते हैं लेकिन 15 अगस्त पर भारत का माहौल हमें यहां बहुत याद आता है. इस दिन खास तौर पर ऐसा लगता है कि पंख लगा कर हम अपने देश चले जाएं. इतने दूर रह कर वतन की याद से दिल में एक टीस सी उठती है.

पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर योगेश को मिसिसॉगा में रहते हुए दस साल से अधिक समय हो चुका है लेकिन इतने बरस में हर साल 15 अगस्त को अपने वतन की मिट्टी याद कर उनकी आंखें नम हो जाती हैं. वह कहते हैं कि मेरे बच्चे यहीं पैदा हुए, यहां के स्कूल में ही पढ़ रहे हैं. 15 अगस्त पर यहां के स्कूलों में कोई समारोह नहीं होता लेकिन मैं उन्हें भारतीय उच्चायोग कार्यालय ले जाता हूं, जहां तिरंगा फहराया जाता है और अन्य सांस्कृतिक समारोह होते हैं.{mospagebreak}शारजाह में एक फाइनेन्स कंपनी में काम कर रहे जी के न्याल कहते हैं कि 15 अगस्त पर देश की याद भावुक कर जाती है. यहां 15 अगस्त पर भारतीय उच्चायुक्त तिरंगा फहराते हैं और सांस्कृतिक समारोह भी होते हैं. यहां रह रहे भारतीय समुदाय के लोग इन समारोहों में भाग लेते हैं, लेकिन अपने वतन की मिट्टी की बात ही कुछ और होती है और वतन से दूर रहने पर ही इसका एहसास होता है.

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शिकागो में एक भारतीय रेस्तरां चला रहे मोनेश पाटिल कहते हैं कि यहां 15 अगस्त पर भारतीय समुदाय मिलजुल कर समारोहों का आयोजन करता है. हमारे रेस्तरां में भारतीय व्यंजन बनते हैं. 15 अगस्त को कुछ अलग, कुछ खास बनाने की कोशिश होती है. पिछले दो साल से रेस्तरां में हम 15 अगस्त पर एक कार्यक्रम आयोजित करते हैं. इस साल भी यह कार्यक्रम होगा.

पाटिल के अनुसार, कार्यक्रम में भारतीय समुदाय के लोग ही भाग लेते हैं. वह कहते हैं कि अपने वतन से दूर रह कर यह दिल बहलाने की एक कोशिश होती है. करिअर, रोजगार, जिम्मेदारी.. कई कारणों के चलते अपने वतन से दूर जाना पड़ता है वर्ना कोई नहीं चाहता कि वह देश छोड़ कर जाए.{mospagebreak}योगेश कहते हैं कि अपना देश क्या होता है यह वही समझ सकता है जिसे कभी अपने देश से दूर जाना पड़ा हो. न्याल कहते हैं कि हमारे देश में लोग, सड़क, आसमान, पक्षी, हवाएं सब कुछ हमें अपनेपन का अहसास कराते हैं. वहां हम अपने घर से बाहर रह कर भी खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं.

पाटिल कहते हैं कि इतनी दूर रह कर हम यही कामना करते हैं कि हमारा देश हमेशा सुरक्षित रहे, उस पर कोई आंच न आए.

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