प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि लोकपाल मामले का व्यावहारिक और सार्थक समाधान ढूंढना होगा.
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सर्वदलीय बैठक के ठीक बाद प्रधानमंत्री आवास पर हुई इफ्तार पार्टी में लोकपाल मुद्दा ही छाया रहा. ज्यादातर विपक्षी नेता सर्वदलीय बैठक के बाद सीधे इफ्तार में पहुंचे.
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पाकिस्तान के उच्चायुक्त शाहिद मलिक सहित कई देशों के राजनयिक, सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों और कांग्रेस नेताओं के साथ ही लाल कृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज (भाजपा), सीताराम येचुरी (माकपा), लालू प्रसाद (राजद), रामविलास पासवान (लोजपा) आदि थे परंतु संभवत: पहली बार मनमोहन की इफ्तार में गांधी परिवार का कोई सदस्य नहीं था.
इस दौरान प्रधानमंत्री ने संकेत दिया कि सरकार संसद में पहले ही पेश किए जा चुके लोकपाल विधेयक को वापस लेने के हक में नहीं है, जिसपर संसदीय स्थायी समिति विचार कर रही है.
प्रधानमंत्री से जब यह पूछा गया कि क्या सरकार प्रमुख विपक्षी दलों की इस मांग को स्वीकार कर लेगी कि सरकारी विधेयक को वापस ले लिया जाए और जन लोकपाल विधेयक तथा अन्य सुझावों को जोड़कर नया विधेयक उसकी जगह ले, तो उन्होंने नहीं में सिर हिलाकर इसका जवाब दिया.
मनमोहन सिंह ने कहा कि हजारे को सभी दलों की सर्वसम्मत भावनाओं को समझना चाहिए और अपना अनशन समाप्त कर देना चाहिए.
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प्रधानमंत्री ने कहा, ‘सर्वदलीय बैठक ने अपील की है कि हजारे को अपना अनशन समाप्त कर देना चाहिए. हमें उम्मीद है कि वह सभी दलों की सर्वसम्मत भावनाओं को सुनेंगे.’ संसद में जन लोकपाल विधेयक की मंजूरी के बारे में टीम अन्ना द्वारा तय की गई समय सीमा के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उनका सुझाव था. ‘इसका यह मतलब नहीं कि हम सब कुछ मान लें.’
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उन्होंने कहा कि लोकपाल मामले पर देने और लेने की गुंजाइश अभी बाकी है. उन्होंने लोकपाल विधेयक को पास करने के लिए सत्र बढ़ाए जाने के संभावना पर कहा, ‘यह संसद के कामकाज पर निर्भर करता है.’ सिंह ने कहा, ‘मैं आशावान हूं, लेकिन इसके लिए सभी के प्रयासों की जरूरत होगी. हर किसी को इसमें अपना योगदान देना होगा. एक व्यावहारिक और सार्थक हल ढूंढना होगा.’
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यह पूछे जाने पर कि क्या हालात काबू से बाहर हो सकते हैं, प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारी कोशिश है कि किसी को आपा नहीं खोने दिया जाए ताकि हालात काबू से बाहर न हों.’ प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाए जाने के बारे में पूछने पर मनमोहन सिंह ने कहा, ‘मैंने हमेशा इस बात का समर्थन किया कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाया जाए, लेकिन मेरे कुछ अनुभवी सहयोगी इसके पक्ष में नहीं हैं.’
क्या मौजूदा हालात में वह इसपर पुनर्विचार के लिए तैयार हैं, प्रधानमंत्री ने जवाब दिया, ‘इसपर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.’ यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें उम्मीद है कि वह लोकपाल मामले का हल खोज लेंगे, प्रधानमंत्री ने कहा कि सर्दी के बाद बसंत को आने से कौन रोक सकता है.