यह बिल भ्रष्टाचार को कम नहीं करेगा बढ़ायेगा. देश की जनता को यह बताना जरूरी है कि यह बिल ठीक नहीं है इसमें सुधार जरूरी है. यह धारणा कि संसद जब चल रही है तो लोग सड़क पर क्यों उतर रहे हैं. यह सोच गलत है क्योंकि लोगों की सोच से ही संसद और देश का कानून बनना चाहिए.
संसद में एक बार जो आ जाता है तो वो खुद को राजा समझने लगता है. देश की नीतियां देश के बड़े-बड़े कॉरपोरेट के अनुसार बन रही हैं. लोगों के हित में बने नीतियां.
हम जरूर इसपर अड़े हुए हैं कि एक कारगर ठोस लोकपाल की रचना होनी चाहिए. लेकिन हम कमजोर लोकपाल पास हो इसके लिए नहीं तैयार हैं.
लोकपाल की चयन प्रक्रिया सरकार के हाथ में नहीं होनी चाहिए. बर्खास्तगी भी सरकार के हाथ में नहीं होनी चाहिए. एक लोकपाल के तहत जांच समिति होनी चाहिए जिसके माध्यम से जांच की जानी चाहिए. सी और डी ग्रुप के कर्मचारी इसमें शामिल हों.
बिल में लोकपाल के जांच का तरीका पूरी तरह गलत है. जिसमें सुधार किया जाना चाहिए. सरकार यह बात समझे की कारगर लोकपाल के लिए क्या प्रावधान होने जरूरी है. हम उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सरकार को यह समझ में आएगा कि वो लोगों की भावना क्या है.