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वर्क फ्रॉम होम के दौरान नहीं ON किया वेबकैम, कंपनी ने नौकरी से निकाला, फिर कर्मचारी ने वसूले 60 लाख!

एक कर्मचारी ने Work From Home के दौरान अपना वेबकैम ऑन रखने से इनकार कर दिया. जिसके चलते कंपनी ने उसे नौकरी से निकाल दिया. नौकरी जाने के बाद कर्मचारी ने कंपनी पर केस कर दिया और हर्जाने की मांग कर दी. अब इस मामले में कोर्ट का आदेश आया है.

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कर्मचारी ने वेबकैम ऑन करने से इनकार किया था (सांकेतिक फोटो- गेटी)
कर्मचारी ने वेबकैम ऑन करने से इनकार किया था (सांकेतिक फोटो- गेटी)

वर्क फ्रॉम होम के दौरान एक कर्मचारी ने अपना वेबकैम ऑन रखने से इनकार कर दिया, जिसके चलते कंपनी ने उसे नौकरी से निकाल दिया. नौकरी जाने के बाद कर्मचारी ने कंपनी पर केस कर दिया और हर्जाने की मांग कर दी. अब इस मामले में कोर्ट ने कंपनी को आदेश दिया है कि कर्मचारी को 60 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए. 

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दरअसल, इस अमेरिकी कंपनी की पॉलिसी थी कि कर्मचारी को ऑफिस टाइम (9 घंटे तक) में वेबकैम ऑन करके ही काम करना होगा. मगर कर्मचारी ने निजता का उल्लंघन बताते हुए इस रूल को मानने से इनकार कर दिया. इसके जवाब में कंपनी ने उसे नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. 

NL Times के मुताबिक, कर्मचारी नीदरलैंड का रहने वाला है. उसने फ्लोरिडा स्थित टेलिमार्केटिंग कंपनी Chetu में साल 2019 में नौकरी शुरू की थी. यहां उसे करीब 56 लाख रुपये का पैकेज मिल रहा था. नौकरी के साल भर बाद उसे एक वर्चुअल ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए कहा गया. वर्क फ्रॉम होम के दौरान कर्मचारी को हर दिन 9 घंटे वेबकैम ऑन रखने का आदेश दिया गया. इसके अलावा स्क्रीन-शेयरिंग भी चालू रखने के लिए कहा गया.

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लेकिन कर्मचारी को कंपनी का ये फरमान ठीक नहीं लगा. उसने इसे प्राइवेसी का उल्लंघन करार दिया. इस मुद्दे पर उसकी तकरार हुई और बाद में कंपनी ने Refusal to Work का आरोप लगा उसे नौकरी से निकाल दिया. 

'9 घंटे कैमरे से निगरानी'

कर्मचारी ने कहा- 'मैं दिन में 9 घंटे कैमरे से निगरानी किए जाने में सहज महसूस नहीं करता हूं. यह मेरी निजता का हनन है और मुझे वास्तव में असहज महसूस कराता है. यही कारण है कि मेरा कैमरा चालू नहीं है. आप मेरे लैपटॉप पर सभी गतिविधियों की निगरानी कर सकते हैं. मैं अपनी स्क्रीन साझा करने को तैयार हूं.'

इसके साथ ही कंपनी के आदेश के खिलाफ कर्मचारी कोर्ट पहुंच गया. उसने कंपनी से हर्जाने दिलाने की अपील की. दलीलें सुनने के बाद हाल ही में डच कोर्ट ने कर्मचारी के हक में फैसला सुनाया और कंपनी को 60 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया. साथ ही अदालत ने कंपनी को ये नियम हटाने का भी ऑर्डर दिया, जिसमें 9 घंटे किसी को वेबकैम के जरिये ट्रैक किया जाता है. 

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