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जब दून स्कूल के बाथरूम में छिप गए थे नन्हें राजीव

दून स्कूल में पढ़ायी कर रहे 11 वर्षीय राजीव गांधी से जब पहली बार मिलने उनके नाना पंडित जवाहर लाल नेहरू देहरादून पहुंचे तब संकोची स्वभाव के राजीव स्कूल के बाथरूम की बास्केट में छिप गए थे.

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राजीव गांधी
राजीव गांधी

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21 मई को राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर विशेष
दून स्कूल में पढ़ायी कर रहे 11 वर्षीय राजीव गांधी से जब पहली बार मिलने उनके नाना पंडित जवाहर लाल नेहरू देहरादून पहुंचे तब संकोची स्वभाव के राजीव स्कूल के बाथरूम की बास्केट में छिप गए थे.

राज्यसभा सदस्य एवं कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर ने बताया, ‘इस घटना के विषय में मैंने दून स्कूल के हेडमास्टर जॉन मार्टिन की जर्मन पत्नी मैडी मार्टिन की पुस्तक में पढ़ा. और राजीव ने इस घटना की पुष्टि की.’

उन्होंने कहा, ‘1985 में मैं राजीव गांधी का संयुक्त सचिव था. राजीव उस समय भारत के प्रधानमंत्री थे. मैं दून स्कूल के 50वें स्थापना दिवस समारोह में हिस्सा लेने उनके (राजीव) के साथ देहरादून जा रहा था. हवाई जहाज में मैंने मैडी मार्टिन की पुस्तक पढ़ी जिसमें लिखा था कि जब राजीव के नाना और तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू उनसे मिलने दून स्कूल पहुंचे तब स्कूल में राजीव का कहीं अतापता नहीं था.’

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अय्यर ने कहा कि सभी लोग काफी चिंतित हुए, चारों ओर लोग राजीव की खोज में लग गए तब किसी ने पाया कि यह नन्हा बच्चा स्कूल के बाथरूम में गंदे कपड़े रखने की बास्केट में छिपा हुआ हैं. पुस्तक में लिखा था कि संकोची स्वभाव के होने की वहज से राजीव ने ऐसा किया.

अय्यर ने कहा कि दून स्कूल के इस समारोह में शाम चार बजे उन्हें राजीव गांधी से मिलना था ताकि उनके भाषण को अंतिम रूप दिया जा सके. ‘मैंने राजीव गांधी से पुस्तक की इस घटना के बारे में पूछा कि क्या यह सच है. राजीव ने कहा कि हां, यह सही घटना है लेकिन इसका (छिपने का) कारण दूसरा है.’

उन्होंने कहा कि इसके बाद समारोह में राजीव गांधी ने अपने भाषण में इस घटना का जिक्र किया.
अय्यर ने कहा कि इस घटना के विषय में राजीव ने बताया कि उनके स्कूल के बाथरूम में छिपने की वजह यह नहीं थी कि उन्हें अपने नाना और प्रधानमंत्री का सामना करने में संकोच हो रहा था या राजनीति से वह दूर रहना चाह रहे थे.

उन्होंने कहा, ‘राजीव ने मुझसे कहा कि जब कभी वह अपने मित्रों के समक्ष पंडित नेहरू के पक्ष में बोलते थे तो दोस्त कहते थे कि नाना की बात बोलता है, और जब कभी कोई विपरीत बात कहते थे तब दोस्त कहा करते थे कि इतने बड़े और ज्ञानी आदमी के विपरीत बोल रहा है.’

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अय्यर ने कहा कि राजीव ने कहा कि यही कारण है कि लम्बे अर्से तक उन्होंने कुछ नहीं कहा. शायद यहीं कारण है कि जब परिस्थितिवश प्रधानमंत्री बना तब जितनी भी सोच मन में थी, उसे व्यक्त किया और प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यो में इसे व्यक्त किया.

उन्होंने कहा कि जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने तब उनकी कोई तैयारी नहीं थी, किसी को उनकी क्षमता के बारे में पता नहीं था लेकिन 40 वर्ष का यह नौजवान देश का प्रधानमंत्री बना तब लोग हैरान रह गए कि जिस व्यक्ति ने राजनीति ने कभी कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी उसने नयी सोच और नये एजेंडे के साथ कुछ ही महीने में देश और दुनिया को चकित कर दिया.

राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को बम्बई में हुआ था और तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में चुनाव प्रचार के दौरान 21 मई 1991 को आत्मघाती बम हमले में उनकी हत्या कर दी गई.

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