
एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. कुछ लोगों ने इसे ट्वीट करते हुए लिखा कि देखो, महिला सशक्तिकरण? फिर इसी तस्वीर को एक महिला आईएएस अफसर ने भी ट्वीट कर दिया. अब महिला IAS को इस ट्वीट की वजह से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
कई लोगों का कहना है कि आईएएस को इस तरह आधी-अधूरी जानकारी पर किसी को जज नहीं करना चाहिए और वुमन इम्पावरमेंट का मजाक नहीं बनाना चाहिए. कुछ यूजर्स ने यह भी लिखा कि एक महिला आईएएस को Whatsapp Forward को ट्वीट नहीं करना चाहिए.
क्या है ट्वीट में?
तस्वीर में एक महिला ट्रेन की सीट पर पैर फैलाकर बैठी हुई दिखाई दे रही है. यानी वह 2 सीट की जगह घेरे हुए है. जबकि, बगल में एक युवक कंधे पर बैग टांगे खड़ा है.
IAS सुमिता मिश्रा ने तस्वीर शेयर करते हुए लिखा- 'देख रहे हो विनोद, कई बार महिलाएं भी गलत होती हैं.' यानि उन्होंने भी महिला को गलत ठहरा दिया.
कई ट्विटर यूजर्स ने IAS सुमिता मिश्रा के पोस्ट की तीखी आलोचना की. साथ ही उनसे सीट पर बैठी महिला को गलत ठहराने का आधार पूछा. कई यूजर्स ने तो यह भी कह दिया कि आधी-अधूरी जानकारी के साथ जिम्मेदार पोस्ट पर बैठे लोगों को व्हाट्सऐप फॉरवर्ड ट्वीट नहीं करना चाहिए.
Utkarsh Nath Garg ने लिखा कि इस फोटो से कैसे पता चला कि महिला ने युवक को उस सीट पर बैठने से मना कर दिया? अगर नहीं पता चला तो महिला गलत है, कैसे पता चला?
Don't be judgemental. The person standing at the door will have to get off the train over the very next station. And the lady sitting is having a serious injury on her leg.
— Pradeep Singh (@AdvTomarPradeep) October 7, 2022
यूजर्स बोले- कोरोना के टाइम की तस्वीर, एक सीट खाली रखना था
एक यूजर ने कमेंट में लिखा- ये कोरोना के टाइम की तस्वीर लग रही है. तब सोशल डिस्टेंसिंग के लिए एक सीट खाली छोड़ने का नियम था. सीट पर बाकायदा इसको लेकर लोगो चस्पा है.
सह लेंगे??? वाह!
— NeHa (@Nehathink) October 7, 2022
जिस दिन सहनशीलता का बोझ नर जाति ने अपने ऊपर ले लिया उस दिन मादा जाति को आरक्षण की जरूरत नहीं पड़ेगी। Zoom कर के देख लो वो सीट कोरोना गाइडलाइंस के समय की है।
एक अन्य यूजर ने कहा- जब तक कि युवक ना कहे कि उसे सीट नहीं दी गई, तब तक निष्कर्ष निकालना तर्क संगत नहीं है.
exaggerated
— What's in a Name (@PavneetTweet) October 7, 2022
Could have been due to cov-19 restrictions while keeping 1 seat vacant.
Albeit, mistakes are not sin
That's why we have Law and Order 😅
कृपया ध्यान दें आईएएस मैडम -
— भारतीय आशीष 🇮🇳 (@imAshishLive) October 8, 2022
ये कोरोना के टाइम की तस्वीर लग रही है. तब सोशल डिस्टेंसिंग के लिए एक सीट खाली छोड़ने का नियम था. सीट पर लोगो चस्पा दिख रहा है ना.
प्रदीप सिंह नाम के यूजर ने लिखा- जजमेंटल मत बनिए. हो सकता है कि गेट के पास खड़े युवक को अगले ही स्टेशन पर ट्रेन से उतरना हो या सीट बैठी महिला के पैर में गंभीर चोट लगी हो.
How do we even know if the guy asked for the seat...? May be he didn't ask for it..
— Sahil Kakkar (@isahilkakkar) October 7, 2022
जिस तरह सारे पुरुष गलत नहीं होते, ठीक उसी तरह सारे महिलाएं गलत नहीं होती,, ये उसी में से एक है 😀😀
— Priyanka Kumari (@rajeshdhanbad05) October 7, 2022
दूसरे शख्स ने कहा- ऐसे ही कोई फोटो नहीं लेता. हो सकता है जिसने फोटो ली हो उसे खुद सीट पर बैठना हो. इस कमेंट पर नेहा नाम की यूजर ने जवाब दिया- जूम कर के देख लो वो सीट कोरोना गाइडलाइंस के समय की है. इसलिए महिला अकेली बैठी है.
देख रहे हो विनोद कई बार IAS अधिकारी भी सिर्फ ट्वीट करता रहता है
— श्रवण कुमार (@Shravan33788236) October 7, 2022
Kuch bhi?
— Prakhar Yadav (@prakhar_y_) October 7, 2022
How do you know that person must have wanted to sit?
It's very common thing in Delhi Metro.
वो बैठना ही नही चाहता हो तो ....?
— Hemraj Meena (@HemrajMeena34) October 7, 2022
हो सकता है बीच की सीट खाली हो
— भारत माता की जय(108) (@ramavtar5542) October 7, 2022
इस शख्स ने उतरना हो
फोटूए सदा सच नही बोलती
अगर ये मैडम के पास आ जाता हो मैडम को सीट देनी ही पड़ती
वहीं, प्रियंका लिखती हैं- जिस तरह सारे पुरुष गलत नहीं होते, ठीक उसी तरह सारी महिलाएं गलत नहीं होतीं.