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...क्‍योंकि इस सेल्फी पर बंदर का कॉपीराइट है

इंडोनेशिया के द्वीप सुलावेसी में तीन साल पहले एक सेल्फी खींची गई थी और अब वह कॉपीराइट के पचड़े में पड़ गई है. दरअसल, उसे खींचा था एक खास किस्म के बंदर ने जिसे ब्लैक मकाऊ कहा जाता है. यह सेल्फी वीकिपीडिया पर पोस्टेड है और वीकिपीडिया ने इस मशहूर सेल्फी को हटाने से इनकार कर दिया है.

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वीकिपीडिया पर पोस्‍टेड इसी सेल्‍फी पर है विवाद
वीकिपीडिया पर पोस्‍टेड इसी सेल्‍फी पर है विवाद

इंडोनेशिया के द्वीप सुलावेसी में तीन साल पहले एक सेल्फी खींची गई थी और अब वह कॉपीराइट के पचड़े में पड़ गई है. दरअसल, उसे खींचा था एक खास किस्म के बंदर ने जिसे ब्लैक मकाऊ कहा जाता है. यह सेल्फी वीकिपीडिया पर पोस्टेड है और वीकिपीडिया ने इस मशहूर सेल्फी को हटाने से इनकार कर दिया है.

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मामले में वीकिपीडिया का कहना है, 'सेल्फी का कॉपीराइट बंदर के पास है न कि उस फोटोग्राफर का है जो उस वक्त वहां मौजूद था.' वीकिपीडिया के मुताबिक, कॉपीराइट उस बंदर के पास ही रहेगा क्योंकि उस फोटो को उसी ने खींचा था. वेबसाइट पर एक संदेश में वीकिपीडिया ने लिखा है कि यह फाइल पब्लिक डोमेन में ही रहेगी, क्योंकि यह किसी मनुष्य की कृति नहीं है और इस पर किसी का अधिकार नहीं है.

गौरतलब है कि फोटोग्राफर डेविड स्लेटर 2011 में द्वीप पर बंदरों की फोटो खींच रहे थे, तभी एक बंदर ने उनसे कैमरा छीनकर हजारों फोटो खींच ली. इनमें से कुछ ग़जब की तस्वीरें थीं खासकर उसकी अपनी. इस सेल्फी ने काफी धूम मचाई. अब फोटोग्राफर स्लेटर वीकिपीडिया पर कार्रवाई करने का विचार कर रहे हैं.

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स्‍लेटर का कहना है कि फोटो उनकी है, क्योंकि बंदर ने कैमरे का बटन दबा दिया और फोटो आ गई. उन्‍होंने कहा कि वीकिपीडिया के इस फैसले से उन्हें आर्थिक नुकसान होगा.

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