भारतीय क्रिकेट इन दिनों सवालों के घेरे में है. भारतीय खिलाड़ियों की फिटनेस सवालों के घेरे में है. उनकी काबिलियत सवालों के घेरे में है. उनकी तैयारी सवालों के घेरे में है. टेस्ट क्रिकेट के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और समर्पण सवालों के घेरे में है. इन तमाम सवालों के बीच एक सवाल यह भी है कि क्या यह टीम ओवल में शुक्रवार को खेले जाने वाले तीसरे एकदिवसीय मुकाबले के माध्यम से इंग्लैंड दौरे में जीत का सूखा खत्म कर पाएगी?
इंग्लैंड दौरे में अपने कई प्रमुख खिलाड़ियों की चोट और खराब प्रदर्शन से परेशान भारतीय टीम अब तक चार टेस्ट मैच, एक ट्वेंटी-20 मैच और एक एकदिवसीय मैच गंवा चुकी है. उसे तीन अभ्यास मैचों में जीत मिली लेकिन दूसरे एकदिवसीय मुकाबले को देखकर यही लगा कि उसका उसके मनोबल पर कोई असर नहीं पड़ा है.
लगातार हार से परेशान कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अब सवालों से इतने घबरा गए हैं कि वह खुद ही पत्रकारों से सवाल कर रहे हैं. मसलन, मैं क्या कर सकता हूं. एक समय ऐसा था जब दनादन जीत हासिल करने वाले इस कप्तान को बोलते हुए रोकने की जरूरत पड़ती थी लेकिन अब उनके पास शब्द कम पड़ते दिखाई दे रहे हैं.
दूसरा एकदिवसीय मैच 23-23 ओवरों तक सीमित किए जाने के बाद जिस तरह की शुरुआत मिली थी, उसे देखकर यही लगा था कि भारतीय टीम यह मैच जीतकर हार के सिलसिले को तोड़ देगी लेकिन गेंदबाजों ने बल्लेबाजों की मेहनत पर पानी फेर दिया. जब कभी भारतीय गेंदबाज अच्छा करते हैं तो बल्लेबाज उनकी मेहनत पर पानी फेर देते हैं और जब बल्लेबाज अच्छा करते हैं तो गेंदबाज सारी रणनीति को मटियामेट कर देते हैं. यह सब आत्मविश्वास की कमी के कारण हो रहा है.
तीसरा एकदिवसीय मैच भी बारिश के साये के बीच खेला जाएगा क्योंकि इंग्लैंड में यह झमाझम बारिश का वक्त होता है. ऐसे में भारतीय खिलाड़ियों को अपना विकेट बचाए रखते हुए ट्वेंटी-20 वाली मानसिकता के साथ खेलने को तैयार रहना होगा.
महेंद्र सिंह धोनी को यह याद रखना होगा कि टेस्ट श्रृंखला में उन्होंने सर्वोच्च वरीयता प्राप्त टीम के तौर पर अपनी साख गंवाई है लेकिन एकदिवसीय श्रृंखला में विश्व चैम्पियन के तौर पर उसकी साख दांव पर है. यह साख ओवल में हार के बाद खतरे में पड़ सकती है क्योंकि 0-2 से पिछड़ने के बाद उसके हाथ से श्रृंखला जीतने का मौका निकल जाएगा.