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105KM लंबी बर्फीली नदी, एक हफ्ते में पार करते हैं लोग

पिछले कुछ सालों में चादर ट्रैकिंग काफी लोकप्रिय हो रहा है. एडवेंचर पसंद टूरिस्ट काफी संख्या में यहां पहुंच रहे हैं. यहां आने का बेस्ट समय जनवरी-फरवरी होता है.

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बर्फीली नदी (Photo Credit: Hosain Khalo)
बर्फीली नदी (Photo Credit: Hosain Khalo)

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गर्मियों में बेहद तेज धार के साथ बहने वाली जंस्कार नदी इतनी अधिक जम गई है कि यात्री नदी पर आसानी से चल रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के जंस्कार वैली में ये नजारा देखने को मिल रहा है.

सर्दियों में बर्फबारी की वजह से जंस्कार वैली का संपर्क बाकी हिस्सों से कट जाता है. ऐसे में बर्फीली नदी के जरिए ही यहां पहुंचा जा सकता है. यह नदी जंस्कार से लेह तक बहती है. सर्दियों में यह बर्फ में बदल जाती है. जंस्कार में रहने वाले लोग भी इसी के जरिए बाहर आते हैं.

बर्फीले नदी पर लोग ट्रैक करके पार करते हैं. इस दौरान बाहर से आने वाले पर्यटक भी नदी पर घूमते हुए मौसम का लुत्फ लेते हैं. नदी पर जमे बर्फ को चादर कहते हैं. और इस पर चलने को चादर ट्रैकिंग. यह नदी करीब 105 किमी लंबी है. आमतौर पर लोग इस पर 16 किमी तक प्रतिदिन ट्रैक करते हैं और हफ्ते भर में इसे पार करते हैं.

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पिछले कुछ सालों में चादर ट्रैकिंग काफी लोकप्रिय हो रहा है. एडवेंचर पसंद टूरिस्ट काफी संख्या में यहां पहुंच रहे हैं. यहां आने का बेस्ट समय जनवरी-फरवरी होता है.

जब सबसे गर्म मरुस्थल में हुई बर्फबारी

आपको बता दें कि बर्फबारी की इस साल एक बेहद दिलचस्प घटना दर्ज हुई थी. जनवरी में रेगिस्‍तान भी बर्फबारी से बच नहीं पाया. दुनिया के सबसे गर्म रेगिस्तान सहारा में 16 इंच तक बर्फबारी दर्ज की गई थी. सहारा का प्रवेश द्वार माने जाने वाले उत्तरी अल्जीरिया के ऐन सफेरा में लाल रेत पर जब सफेद बर्फ ने डेरा जमा दिया. उत्तरी अल्जीरिया के ऐन सेफरा में 40 साल में ऐसा नजारा तीसरी बार दिखा. करीब 38 साल पहले फरवरी 1979 में यहां कुछ घंटे तक बर्फबारी हुई थी. पिछले साल दिसंबर में भी हल्की बर्फबारी हुई थी. लेकिन, इस बार यहां पूरे दिन बर्फबारी हुई थी.

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