हैदराबाद की रहने वाली कंप्यूटर साइंस की पीएचडी की छात्रा यामिनी करानम (26) ने मजाकिया लहजे में अपने मस्तिष्क से निकले दोनों भ्रूणों को 'बुरी जुड़वां बहनें' करार दिया, जो उन्हें बीते 26 सालों से परेशान कर रही थी.
टेराटोमा है बेहद दुर्लभ
समाचार चैनल एनबीसी के मुताबिक, इंडियाना युनिवर्सिटी में पढ़ने वाली यामिनी इस बात से बेखबर थीं कि उनके सिर में क्या हो रहा है. जब सर्जरी हुई, तो इस रहस्य का पता चला.
सर्जरी के बाद यामिनी अपने दिमाग में टेराटोमा (जुड़वा भ्रूण) की बात सुनकर हैरान रह गईं. टेराटोमा आधुनिक चिकित्सा में बेहद दुर्लभ है. यामिनी के मस्तिष्क में मिले टेराटोमा में हड्डियां, बाल तथा दांत तक विकसित हो गए थे.
सर्जरी को अंजाम देने वाले लॉस एंजेलिस के स्कलबेस इंस्टीट्यूट के डॉ.हरायर शाहिनियन ने कहा, 'यह मैंने दूसरा टेराटोमा निकाला है, इसके पहले मैंने 7 से 8 हजार मस्तिष्क के ट्यूमर का ऑपरेशन किया है.'
सुनने-समझने में आ रही थी दिक्कत
बीते साल सितंबर में यामिनी को महसूस हुआ कि उसके दिमाग में कुछ हो रहा है, क्योंकि वह पढ़ते वक्त दिमाग को केंद्रित नहीं कर पा रही थीं.
उन्होंने कहा, 'सुनने व समझने में समस्याएं आ रही थी. यदि कोई दंपति कमरे में बात कर रहे होते मैं नहीं समझ पाती कि क्या हो रहा है.'
एनबीसी ने कहा, 'यामिनी के लिए सबसे मुश्किल वाली बात यह थी कि समस्या की जड़ पर उनके चिकित्सकों में विरोधाभास था.'
यामिनी ने कहा, 'न्यूरोलॉजिस्ट ने कहा कि आपकी समस्या में न्यूरोसर्जन का कोई काम नहीं है. जबकि न्यूरोसर्जन ने कहा कि न्यूरोलॉजिस्ट इस मामले में कुछ नहीं कर सकता.'
अपने शोध के आधार पर वह शाहिनियन के पास पहुंचीं. एनबीसी ने शाहिनियन के हवाले से कहा, 'पारंपरिक ब्रेन सर्जरी से अलग आप मस्तिष्क को खोलते हैं और धातु के प्रतिकर्षक का इस्तेमाल करते हैं. एक माइक्रोस्कोप की मदद से आप मस्तिष्क के काफी अंदर तक झांकते हैं, यानी हम कीहोल सर्जरी कर रहे होते हैं.'
इस अत्याधुनिक चिकित्सा में फाइबर-ऑप्टिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. आधे इंच के एक चीरे से इंडोस्कोप को अंदर किया जाता है और बेहद सावधानी से तथा धीरे-धीरे ट्यूमर को अलग किया जाता है.
(इनपुट: IANS)