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कारगिल विजय को भूल रहा देश: जनरल मलिक

भारतीय सेना ने 13 वर्ष पहले पाकिस्तान के साथ एक लघु-युद्ध जम्मू एवं कश्मीर के कारगिल स्थित बर्फीले पहाड़ की ऊंचाइयों पर 527 सैनिकों की बदौलत जीता था. तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल वी.पी. मलिक को मलाल इस बात का है कि उस बड़ी जीत को सभी भूल चुके हैं.

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जनरल वी.पी. मलिक
जनरल वी.पी. मलिक

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भारतीय सेना ने 13 वर्ष पहले पाकिस्तान के साथ एक लघु-युद्ध जम्मू एवं कश्मीर के कारगिल स्थित बर्फीले पहाड़ की ऊंचाइयों पर 527 सैनिकों की बदौलत जीता था. तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल वी.पी. मलिक को मलाल इस बात का है कि उस बड़ी जीत को सभी भूल चुके हैं.

मलिक ने कहा कि कारगिल भारत का पहला टेलीविजन युद्ध था और इससे देश में एक 'सामरिक संस्कृति' को बढ़ावा मिल सका, लेकिन राजनीतिक विवशताओं के कारण हमने जो पाया, उसे खो दिया.

चंडीगढ़ के उपनगर पंचकूला में रहने वाले 74 वर्षीय मलिक ने कहा कि हमें कारगिल विजय का उत्सव मनाना चाहिए. दुर्भाग्यवश, कारगिल युद्ध एक राजनीतिक फुटबॉल बन गया है.

उन्होंने कहा कि कारगिल विजय में राजनीति प्रवेश कर गई और समारोह राजनीतिक फुटबॉल बन गए. जैसा कि हमने देखा, राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को जो उपयुक्त लगा, वैसा किया. किसी ने जश्न मनाया तो किसी ने युद्ध की आलोचना की.

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मलिक ने कहा कि सशस्त्र बलों को लोगों और मीडिया का काफी समर्थन मिला, लेकिन इसमें राजनीति प्रवेश कर गई. नतीजतन, शुरुआत में तो बेहतर आयोजन हुए लेकिन बाद में शायद ही कोई समारोह हुआ हो. धीरे-धीरे लोगों ने इसे भूलना शुरू कर दिया, क्योंकि इससे किसी को ज्यादा राजनीतिक लाभ नहीं मिला.

युद्ध खत्म होने के दिन 26 जुलाई 2000 से 2003 तक इस युद्ध को विभिन्न तरीकों से याद किया गया. 2004 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के सत्ता में आते ही ऐसे आयोजन हालांकि बंद हो गए.

बड़े पैमाने पर समारोहों के आयोजन का आह्वान करते हुए मलिक ने कहा कि हमें लोगों को इन युद्दों के बारे में बताना होगा और अगर हम चाहते हैं कि देश में सामरिक संस्कृति बने तो हमें विजयोत्सव आयोजित करने की जरूरत पड़ेगी और लोगों को बताना होगा कि ये लड़ाइयां कैसे जीती गईं.

उल्लेखनीय है कि करगिल युद्ध 1999 में मई से जुलाई तक चली थी. इस युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों को पीछे हटना पड़ा था भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाके को खाली करा लिया था.

मलिक हालांकि पाकिस्तान के साथ 1971 में हुए युद्ध को कारगिल से बहुत बड़ा और 'महान' मानते हैं और इस बात से सहमत हैं कि इसी युद्ध ने एक स्वतंत्र राष्ट्र बांग्लादेश को वजूद में लाया. इस युद्ध में भारत ने पूर्वी और पश्चिमी दोनों मोर्चे पर लड़ाई लड़ी थी.

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