आखिरकार चीन, दलाई लामा से बातचीत करने को तैयार हो गया है. इस वार्ता के लिए चीन ने एक बड़ी शर्त भी रखी है. चीन चाहता है कि इस वर्ता में सिर्फ भविष्य के दलाई लामा, यानी की 14वें दलाई लामा के उत्तराधिकारी के विषय पर चर्चा हो. वो इस बैठक में तिब्बत से जुड़ी किसी भी मसले पर बात नहीं करना चाहता है. चीन और दलाई लामा के बीच होने वाले इस महत्वपूर्ण वर्ता के बारे में बात करने से पहले हम आपको ये बता दें कि, दलाई लामा और उनका संगठन चीन में एक प्रतिबंधित संगठन है. क्योंकि जब चीन ने साल 1951 में तिब्बत पर कब्जा किया तो वो लगातार बौद्ध भिक्षुओं के खिलाफ काम करने लगा और उनकी सामुहिक हत्याएं करने लगा. इसके बाद साल 1959 में दलाई लामा तिब्बत छोड़ कर अपने अनुयायियों के भारत आ गए और तब से अब तक वो यहीं निर्वासन में रह रहे हैं.