दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन प्रयागराज में हो रहा है. करोड़ों साल पहले कुंभ से गिरे अमृत की तलाश में श्रद्धालुओं का रैला गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के किनारे खिंचा चला आ रहा है. मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं ने जैसे ही डुबली लगाई, त्रिवेणी संगम की बूंदें ऐसे छलक उठीं मानो कुंभ से अमृत छलक उठा हो. मंगलवार को महाकुंभ में विभिन्न अखाड़ों के साधुओं ने पहला 'अमृत स्नान' किया. इस अवसर पर त्रिवेणी संगम पर लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा. और करीब 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. (फोटो-PTI)
महाकुंभ में अधिकांश अखाड़ों का नेतृत्व राख से लिपटे नागा साधु कर रहे थे, जिन्होंने अपने अनुशासन और पारंपरिक हथियारों की महारत से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि भाले और तलवारों को कुशलता से चलाने से लेकर जोश के साथ 'डमरू' बजाने तक, उनके प्रदर्शन सदियों पुरानी परंपराओं का जीवंत उत्सव थे. (फोटो-PTI)
महाकुंभ में पुरुष नागा साधुओं के अलावा महिला नागा तपस्वी भी बड़ी संख्या में मौजूद थीं. महाकुंभ का पहला बड़ा स्नान सोमवार को 'पौष पूर्णिमा' के अवसर पर हुआ, जबकि अखाड़ों या हिंदू मठों के सदस्यों ने मकर संक्रांति पर अपना पहला स्नान किया. (फोटो-PTI)
श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा ने सबसे पहले 'अमृत स्नान' किया. महाकुंभ में तेरह अखाड़े भाग ले रहे हैं. अमृत स्नान के दौरान श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से गुलाब की पंखुड़ियां बरसाई गईं. (फोटो-PTI)
महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर चेतनगिरी महाराज ने कहा कि प्रयागराज में हर 12 साल में पूर्ण कुंभ का आयोजन होता है, लेकिन 12 पूर्ण कुंभ के बाद 144 साल में एक बार महाकुंभ होता है. इस पवित्र आयोजन में भाग लेना श्रद्धालुओं के लिए एक दुर्लभ आशीर्वाद है. महानिर्वाणी अखाड़े के 68 महामंडलेश्वर और हजारों साधुओं ने अमृत स्नान में भाग लिया. (फोटो-PTI)
निरंजनी अखाड़े के महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि निरंजनी अखाड़े के 35 महामंडलेश्वर और हजारों नागा साधुओं ने अमृत स्नान में भाग लिया. पूर्व मंत्री और निरंजनी अखाड़े की साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि घाटों पर युवाओं की भीड़ सनातन धर्म में गहरी आस्था का प्रतीक है, जब भी सनातन धर्म को चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, युवा और साधु-संत इसके बचाव के लिए आगे आए हैं. (फोटो-PTI)
निरंजनी और आनंद अखाड़े के बाद जूना अखाड़ा, आवाहन अखाड़ा और पंचाग्नि अखाड़े के हजारों संतों ने अमृत स्नान किया. किन्नर अखाड़े के सदस्यों ने भी जूना अखाड़े के साथ पवित्र डुबकी लगाई, जिसका नेतृत्व आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने किया, जो एक भव्य रथ में घाट पर पहुंचे, उनके पीछे नागा साधुओं का समूह था. (फोटो-PTI)
भाले और त्रिशूल लेकर नागा साधु अपने शरीर पर राख लपेटे हुए, कुछ घुड़सवार घोड़ों के साथ एक जुलूस में शाही स्नान के लिए आगे बढ़े. जटाओं में फूल, गले में माला और हाथ में त्रिशूल लेकर उन्होंने महाकुंभ की आध्यात्मिक भव्यता में चार चांद लगा दिए. (फोटो-PTI)
त्रिशूल और डमरू के साथ नागा साधुओं के प्रदर्शन ने इस बात पर जोर दिया कि महाकुंभ महज एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि मानवता और प्रकृति के बीच एकता का उत्सव है. हर हर महादेव, जय श्री राम और जय गंगा मैया का नारा लगाते हुए कई श्रद्धालु विभिन्न घाटों की ओर समूहों में जाते देखे गए. (फोटो-PTI)
कई पुरुष अपने बच्चों को कंधों पर उठाए हुए थे, जबकि कुछ अपने बुजुर्ग माता-पिता की सहायता करते हुए देखे गए. जैसे ही श्रद्धालु अपनी तीर्थयात्रा से लौटे, प्रयागराज के निवासियों ने बड़े पैमाने पर भोजन वितरण का आयोजन किया. (फोटो-PTI)
शाही स्नान के अवसर पर पवित्र डुबकी लगाने वालों में विदेश से आए श्रद्धालु भी शामिल थे. ग्रीक नागरिक पिनेलोपी खन्ना ने 'अमृत स्नान' में भाग लेते हुए बताया कि मैं यहां आकर खुश हूं. इसका श्रेय मेरे (भारतीय) पति को जाता है, मैं पिछले 20 वर्षों से योग कर रही हूं, लेकिन अब मुझे महाकुंभ के बारे में जानने का अवसर मिला है. यह अनुभव बहुत अनूठा है और मैं आभारी हूं. यह 'मोक्ष' पाने का एक अच्छा अवसर है. (फोटो-PTI)
महाकुंभ में चहुंओर आस्था का सैलाब है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक भक्ति में रमे हुए हैं. हर जुबां पर हर-हर गंगे है. श्रद्धालुओं का रैला संगम की ओर खिंचा चला जा रहा है. (फोटो-PTI)
महाकुंभ के पहले अमृत स्नान में नागा साधुओं में जबर्दस्त उत्साह दिखा. शोभा यात्रा के दौरान आम श्रद्धालु दोनों ही नागा साधुओं की मंत्रमुग्ध कर देने वाली उपस्थिति को कैमरे में कैद करने के लिए उत्सुक थे. (फोटो-PTI)
पहले अमृत स्नान पर्व पर त्रिवेणी की निर्मल और अविरल धारा में स्नान कर 3.5 करोड़ से अधिक पूज्य संतों और श्रद्धालुओं ने आध्यात्मिक पुण्य अर्जित किया. वहीं, मकर संक्रांति के अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह हमारी सनातन संस्कृति और आस्था का जीवंत स्वरूप है. आज लोक आस्था के महापर्व 'मकर संक्रांति' के पावन अवसर पर महाकुंभ-2025, प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर प्रथम अमृत स्नान कर पुण्य अर्जित करने वाले सभी श्रद्धालुओं को बधाई. (फोटो-PTI)
मकर संक्रांति पर महाकुंभ में अमृत स्नान के दौरान संगम घाट को 2 हिस्सों में बांटा गया था, एक हिस्से में साधुओं ने स्नान किए जबकि दूसरे हिस्से में श्रद्धालुओं ने. संगम पर साधु जय श्री राम और हर हर महादेव के नारे लगाते रहे. 12 साल बाद आयोजित हो रहा महाकुंभ सोमवार को प्रयागराज में त्रिवेणी संगम के तट पर शुरू हुआ और 26 फरवरी तक चलेगा. (फोटो-PTI)