पूर्व सांसद और फिल्म अभिनेत्री जया प्रदा एक बार फिर चर्चा में हैं. यूपी की कोर्ट ने चुनाव आचार संहिता उल्लंघन मामले में जयाप्रदा को 'फरार' घोषित किया है. उनके खिलाफ 5 साल पुराने आचार संहिता उल्लंघन से जुड़े मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं और दोनों मामलों की सुनवाई के दौरान वो हाजिर नहीं हुई हैं. सात बार गैर जमानती वारंट भी जारी हुए हैं. जिसके बाद एमपी एमएलए की विशेष अदालत ने जयाप्रदा को 'भगोड़ा' घोषित किया है. आईए जानते हैं क्या वो केस...
मामला 2019 का है. बीजेपी ने जयाप्रदा को लोकसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया था. उनके सामने समाजवादी पार्टी से कैंडिडेट आजम खान थे. आरोप है कि लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान जयाप्रदा ने आचार संहिता का उल्लंघन किया और नूरपुर गांव में सड़क का उद्धाटन कर दिया था. इस मामले में जयाप्रदा के खिलाफ स्वार थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी. इसी चुनाव प्रचार के दौरान जयाप्रदा जब कैमरी थाना क्षेत्र में पहुंचीं तो वहां पिपलिया मिश्र गांव में जनसभा को संबोधित किया और एक आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी. यह मामला भी थाने पहुंचा था और एफआईआर दर्ज की गई.
'सात बार जारी हो चुका था गैर जमानती वारंट'
यानी दोनों मामले 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन से संबंधित हैं. कैमरी और स्वार थाना पुलिस ने दोनों मामलों में जांच पूरी की और एमपी-एमएलए की स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट फाइल कर दी थी. अभियोजन पक्ष की गवाही पूरी हो चुकी है और अब सीआरपीसी की धारा 313 के तहत जया प्रदा का बयान दर्ज किया जाना है. पिछली कई तारीखों पर सुनवाई हुई, लेकिन जयाप्रदा अदालत में नहीं पहुंचीं. उनके खिलाफ सात बार एनबीडब्लू (गैर जमानती) वारंट जारी किए गए. इसके वाबजूद वो कोर्ट में हाजिर नहीं हुईं. ऐसे में अब कोर्ट ने जयाप्रदा पर बड़ा एक्शन लिया और उन्हें फरार घोषित कर दिया है.
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'6 मार्च को जयाप्रदा को पेश करेगी पुलिस!'
शोभित बंसल की अध्यक्षता वाली स्पेशल कोर्ट ने रामपुर के पुलिस अधीक्षक को जयाप्रदा को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है. ऐसे में अब यूपी पुलिस जयाप्रदा की तलाश कर रही है. उनके मुंबई और अन्य जगहों पर संभावित ठिकानों के बारे में जानकारी जुटा रही है. यहां पुलिस छापेमारी कर सकती है.
कोर्ट ने अब जयाप्रदा पर क्या एक्शन लिया?
दरअसल, रामपुर पुलिस ने कोर्ट में एक रिपोर्ट सबमिट की है और उस रिपोर्ट में बताया है कि अभियुक्त जया प्रदा खुद को बचाने की कोशिश कर रही हैं. यही वजह है कि वो लगातार समन दिए जाने के बावजूद कोर्ट में पेश नहीं हो रही हैं और अब उनके मोबाइल भी स्विच ऑफ आ रहे हैं. इस पर कोर्ट ने जयाप्रदा के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 82 के तहत एक्शन लिया और पुलिस अधीक्षक को एक डिप्टी एसपी की अगुवाई में टीम बनाकर 6 मार्च 2024 को अदालत में पेश करने का आदेश दिया है.
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क्या होती है धारा 82 की कार्रवाई?
वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी अमरनाथ तिवारी ने बताया कि सीआरपीसी की धारा 82 के तहत कोर्ट तब एक्शन लेता है, जब अभियोग्यता या अभियुक्त हाजिर नहीं होते हैं. ऐसे में हाजिरी सुनिश्चित कराए जाने के लिए कोर्ट की तरफ से सीआरपीसी की धारा 82 के तहत कार्रवाई की जाती है. इसका मतलब है कि जयाप्रदा फरार घोषित हो चुकी हैं.
जयाप्रदा ने क्या आपत्तिजनक टिप्पणी की थी?
18 अप्रैल 2019 को एक चुनावी जनसभा को जयाप्रदा ने संबोधित किया था और आजम खान की आंखों को एक्स-रे जैसा बताया था. जयाप्रदा ने कथित तौर पर कहा था, आजम खान ने मेरे खिलाफ जो टिप्पणी की है, उसे देखते हुए मायावती जी आपको सोचना चाहिए, उनकी एक्स रे जैसी आंखें आपके ऊपर भी कहां-कहां डाल कर देखेंगे. 20 अप्रैल 2019 को कैमरी थाने में आजम और मायावती के खिलाफ व्यक्तिगत बयान देने और आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन के आरोप में जयाप्रदा के खिलाफ आईपीसी की धारा 171-जी के तहत मामला दर्ज किया गया था.
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जयाप्रदा ने आजम की टिप्पणी पर किया था पलटवार?
इससे पहले आजम खान ने चुनावी रैली के दौरान जया प्रदा पर विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था, आपको (जया प्रदा) 10 साल तक प्रतिनिधित्व मिला. रामपुर के लोग, उत्तर प्रदेश के लोग और देश के लोगों को आपकी हकीकत समझने में 17 साल लग गए. लेकिन मैं 17 दिन में पहचान गया कि वह खाकी अंडरवियर पहनती हैं. इस मामले में चुनाव आयोग ने आजम को नोटिस भेजा था.
लोकसभा और राज्यसभा सांसद रहीं जयाप्रदा
जया प्रदा हिंदी और तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री में सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली एक्ट्रेस के तौर पर मानी जाती हैं. उन्होंने राजनीतिक में एंट्री के बाद फिल्म इंडस्ट्री छोड़ दी थी. 1994 में वे तेलुगु देशम पार्टी (TDP) में शामिल हो गईं थीं. उसके बाद वे सपा और फिर 2019 में बीजेपी में शामिल हो गई थीं. जयाप्रदा राज्यसभा सांसद और फिर लोकसभा सांसद भी रह चुकी हैं.