केंद्र सरकार की तरफ से वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता को लेकर नया बिला लाया गया है. लेकिन इस बिल का विरोध मुस्लिम संगठन और कई सियासी पार्टियां कर रही हैं. कौशांबी के कड़ा धाम इलाके में वक्फ बोर्ड की 96 बीघा बेशकीमती भूमि को सरकारी खाते में दर्ज किया गया है. एडीएम न्यायिक की कार्रवाई का पूरा विवरण केंद्र सरकार को भी भेजा गया है. शासकीय अधिवक्ता शिवमूर्ति द्विवेदी ने प्रस्ताव बनाकर 4 बिंदु पर सुझाव केंद्र सरकार को भेजा तो सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया है.
डीएम मधुसूदन हुल्गी ने बताया कि वक्फ बोर्ड से जुड़ी संपत्ति का मामला कई सालों से डीडीसी न्यायालय में चल रहा था. परीक्षण के बाद डीडीसी न्यायालय ने आदेश दिया कि वक्फ बोर्ड की 96 बीघा जमीन ग्राम समाज की है. जिसके बाद वक्फ बोर्ड की 96 बीघा जमीन को सरकारी खाते में दर्ज करा कर कब्जा मुक्त कराया जा रहा है. सिराथू तहसील के कड़ा धाम में 96 बीघा जमीन का प्रकरण वर्ष 1946 से कोर्ट में चल रहा था, लेकिन निस्तारण नहीं हो पा रहा था. मामला तत्कालीन एडीएम न्यायिक डॉ. विश्राम की कोर्ट में चला.
कड़ा धाम इलाके में वक्फ बोर्ड के कब्जे से 96 बीघा जमीन मुक्त
शासकीय अधिवक्ता (राजस्व) शिवमूर्ति द्विवेदी ने प्रकरण का गंभीरता से अध्ययन किया और कार्रवाई शुरू की. सभी 4 बिंदुओं की बारीकी से छानबीन करने के बाद आखिरकार वक्फ बोर्ड से 96 बीघा जमीन वापस ले ली. इस जमीन को सरकारी खाते में दर्ज करा दिया गया है. अब पूरे प्रदेश में कार्रवाई शुरू हुई तो तत्कालीन एडीएम न्यायिक की कोर्ट में चली कार्रवाई का ब्योरा मांगा गया. 4 बिंदुओं पर कार्रवाई के लिए शासकीय अधिवक्ता ने शासन को सुझाव भेजा. यह सुझाव स्वीकार कर लिया गया है. इससे डीएम व अन्य अधिकारियों का मनोबल बढ़ा है.
शासकीय अधिवक्ता राजस्व शिवमूर्ति द्विवेदी ने बताया कि भारत सरकार ने वक्फ बोर्ड की जमीन के लिए एक नया प्रस्ताव लाने को कहा है. इस विषय पर देशभर के बुद्धजीवी जो न्यायिक कार्य से जुड़े हुए हैं उनसे सुझाव मांगे गए. हमने भी अपने व्यक्तिगत कैपेसिटी से सरकारी अधिवक्ता के नाते अपने चार सुझाव भेजे हैं. वहां से जानकारी प्राप्त हुई है कि आपका सुझाव विचार के लिए स्वीकार कर लिए गए हैं. जहां तक ख्वाजा खड़क सा बाबा के मजार की जमीन की बात है वहां वर्ष 2022 में तत्कालीन अपर जिलाधिकारी की अदालत पर 96 बीघा जमीन को वह बोर्ड के नाम से हटकर सरकारी खातें में दर्ज की गई है. यह मुकदमा 1946 से चल रहा था इसमें कहा गया था कि अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा माफीनामा में यह जमीन उन्हें मिली थी.
प्रस्ताव बनाकर 4 बिंदु पर सुझाव केंद्र सरकार को भेजा गया था
DM मधुसूदन हुल्गी ने बताया कि यह जमीन वक्फ बोर्ड रजिस्टर था जब डीडीसी न्यायालय वाद में चल रहा था. उससे पता चला की यह सारी जमीन ग्राम सभा की है. उस पर पता लगाया गया कि किस श्रेणी में दर्ज था और क्या ग्राम सभा की थी क्या या कासकारो की जमीन थी क्या ये सभी बिंदु पर डीडीसी न्यायालय से परीक्षण किया गया कागजों का उसके क्रम में न्यायालय से आदेश हुआ है कि यह जमीन ग्राम सभा की जमीन है, 96 बीघा की जमीन है उसको वापस ग्राम सभा में दर्ज किया गया है, जो पहले वक्फ बोर्ड की थी. अगर किसी ने कब्जा किया तो उसको वहां से खाली कराया जाएगा.