यूपी के बहराइच में हुई हिंसा के मामले पुलिस आरोपियों की धरपकड़ में जुटी है. अकेले थाना हरदी में 11 केस दर्ज किए गए हैं, जिसमें 100 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है. जिनमें मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद व उसके तीन बेटे शामिल हैं. इस बीच खुलासा हुआ है कि अब्दुल और उसके एक बेटे पर पहले भी जान से मारने की नीयत से फायरिंग करने का मुकदमा दर्ज हो चुका है.
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, बहराइच हिंसा का मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद व उसका बड़ा बेटा पिंटू उर्फ महमूद आलम बीती 13 अक्टूबर की घटना से पहले भी जेल जाते जाते-बचा था. तब उनपर जान से मार डालने की नीयत से फायरिंग करने का आरोप लगा था.
मालूम हो कि 13 अक्टूबर को धार्मिक जुलूस के दौरान रामगोपाल मिश्रा नामक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई. जिसके बाद बहराइच में जमकर बवाल हुआ. तोड़फोड़-आगजनी के बाद भारी पुलिस बल लगाना पड़ा था. जिले में इंटरनेट तक बंद करना पड़ा. कर्फ्यू जैसे हालात हो गए थे.
फिलहाल, बहराइच के महराजगंज में हुई इस घटना के मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद व उसके तीन बेटों समेत पांच को पुलिस न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज चुकी है और विवेचना कर इन आरोपियों से जुड़ी सभी जानकारी जुटाने की कोशिश में लगी है. इस बीच अब्दुल हमीद से जुड़ी एक अहम जानकारी निकलकर सामने आई.
2010 में हत्या का प्रयास का दर्ज हो चुका है मामला
बहराइच हिंसा के मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद थाना हरदी क्षेत्र के महराजगंज में सर्राफा व्यवसायी है. इसी महराजगंज के रहने वाले मोहम्मद इकरार (पुत्र हाजी मोहम्मद अब्बास) ने 26 जनवरी 2010 को थाना हरदी में तहरीर दी थी और आरोप लगाया था कि उसके भाई मोहम्मद इजहार के खेत से तत्कालीन ग्राम प्रधान फारूक एक सड़क बनवा रहे थे, जिसको लेकर उनके भाई इजहार व ग्राम प्रधान फारूक से एक दिन पूर्व 25 जनवरी 2010 को कहासुनी हुई थी. इसके दूसरे दिन 26 जनवरी 2010 को खेत में आधा दर्जन लोगों ने उनपर हमला बोल दिया. इन हमलावरों में अब्दुल हमीद और उसका बेटा महमूद आलम भी शामिल था. हमलावरों ने कई राउंड फायरिंग की थी.
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इस मामले में पुलिस ने मोहम्मद इकरार की तहरीर पर मुकदमा अपराध संख्या 0040/2010 धारा 147, 148, 149, 307, 504 व 506 IPC के तहत मामला पंजीकृत किया था, जिसमें तत्कालीन ग्राम प्रधान फारूक, मेराज, सिराज व आमिर को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था लेकिन अब्दुल हमीद व उसका बेटा महमूद पकड़ में नहीं आया.
पुलिस विवेचना में चार्जशीट से बाहर हुआ अब्दुल हमीद व उसका बेटा
महराजगंज में 2010 में बेहद चर्चित रहे इस गोलीकांड की विवेचना कर रहे थाना हरदी के तत्कालीन पुलिस विवेचक ने न्यायालय में दाखिल किए गए आरोप पत्र से अब्दुल हमीद व उसके बेटे पिंटू का नाम बाहर कर दिया. लेकिन उस मामले की आज भी बहराइच के जिला एवं सत्र न्यायालय स्थित अपर जिला जज प्रथम के न्यायालय पर सुनवाई चल रही है और वह मामला आज भी महराजगंज इलाके में चर्चा में बना हुआ है.
धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं हिंसा प्रभावित महराजगंज के हालात
घटना के 12 दिन बीत जाने के बाद अब थाना हरदी के सबसे अधिक हिंसा प्रभावित महराजगंज इलाके में धीरे-धीरे हालत सामान्य हो रहे हैं. दीपावली के मद्देनजर पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती हिंसा प्रभावित इलाकों में पूर्व की भांति रौनक लौटाने की है. जिसके लिए जिले की डीएम, एसपी इलाके के सभी समुदाय से जुड़े संभ्रांत लोगों व स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ पीस कमेटी की बैठकें कर रही हैं.
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विसर्जन जुलूस में युवक की मौत के बाद बड़े पैमाने पर हुई थी हिंसा
मालूम हो कि 13 अक्टूबर की शाम करीब 6:30 बजे बहराइच जिले के थाना हरदी क्षेत्र के महराजगंज से निकल रहा प्रतिमा विसर्जन जुलूस जब अब्दुल हमीद के घर के सामने पहुंचा तो डीजे पर आपत्तिजनक गाने को लेकर कहासुनी हो गई. इसी बीच हुई पत्थरबाजी में ट्रॉली पर रखी दुर्गा प्रतिमा खंडित हो गई. जिसके बाद विसर्जन जुलूस में शामिल लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया.
इसी दौरान जुलूस में शामिल थाना रामगांव के रेहुआ मंसूर निवासी रामगोपाल मिश्रा ने अब्दुल हमीद के घर पर लगे धार्मिक झंडे को गिरा दिया. तभी अब्दुल हमीद के बेटे से हुई फायरिंग में रामगोपाल की मौत हो गई. जिसके बाद महराजगंज और उसके आसपास के इलाके में बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क गई. प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़, पत्थरबाजी व जमकर आगजनी की. दो दिन हिंसा का दौर चला फिर जाकर शांति आई. इस दौरान इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया. पीएसी, आरएएफ लगाई गई. खुद सीएम योगी ने हालात पर नजर बनाए रखी.