पांच सौ करोड़ के भारी-भरकम बजट से बनी फिल्म आदिपुरुष को लेकर शुरू हुआ बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. देशभर में जारी विरोध-प्रदर्शन की आग अब श्रीराम की नगरी अयोध्या तक पहुंच गई है. यहां एकमात्र थियेटर में लगी फिल्म आदिपुरुष को भी हिंदू संगठनों ने बंद करा दिया है.
श्रीराम सेना ने सोमवार को फिल्म का विरोध करते हुए अयोध्या के थियेटर में प्रसारण बंद करा दिया. संगठन के कार्यकर्ता जब थियेटर पहुंचे, उस समय आखिरी शो (नाइट शो) चल रहा था. झंडे लहराते हुए सिनेमाघर में घुसे श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओं ने 'जय श्री राम' के नारे लगाए और पुलिस की मौजूदगी में फिल्म का प्रसारण बंद करा दिया.
फिल्म बंद कराने पहुंचे श्रीराम सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिने सिंह ने कहा,'गलत फिल्म बनाई गई है. हमारी संस्कृति के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, जिसे अयोध्या के लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे. अयोध्या में आदिपुरुष किसी भी कीमत पर नहीं चलेगी.'
वाराणसी से हरिद्वार तक विरोध
> फिल्म आदिपुरुष का वाराणसी से हरिद्वार तक जमकर विरोध हो रहा है. अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा था कि आदिपुरुष के डायलॉग्स का लेखन जिस प्रकार से हुआ, वह संतों को पच नहीं रहा है. मनोज वास्तव में मुंतशिर ही था, जिसने शुक्ला बनने की कोशिश की. सनातन धर्म में साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करना अक्षम अपराध है. उधर, वाराणसी में तमाम प्रदर्शनकारियों ने आदिपुरुष के खिलाफ मल्टीप्लेक्स पर पहुंचकर प्रदर्शन किया था. इस दौरान फिल्म के पोस्टर फाड़े गए थे. हनुमान ध्वज भी फहराया गया था और प्रदर्शनकारियों ने फिल्म को बैन करने की मांग की थी.
> लखनऊ में फिल्म आदिपुरुष को लेकर अखिल भारत हिंदू महासभा ने हजरतगंज कोतवाली में तहरीर दी थी. हिंदू महासभा ने कहा था कि आदिपुरुष फिल्म में सनातन धर्म का अपमान किया गया. भगवान राम हनुमान जी और सीता माता का गलत चित्रण और गलत डायलॉग दिखा कर अपमानित किया गया. आज के बच्चों के मन मस्तिष्क में हमारे भगवान के प्रति ऐसी ही छवि बनाने की कोशिश की गई. अखिल भारत हिंदू महासभा ने आदिपुरुष फिल्म की स्टारकास्ट, डायलॉग राइटर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर के खिलाफ शिकायत की थी. महासभा ने मांग की थी कि जब नेपाल में फिल्म को बैन किया जा सकता है, तो यूपी में भी सरकार को इस पर बैन लगाना चाहिए.
> हरिद्वार में भी आदिपुरुष को लेकर संत समाज ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया था. हरिद्वार के साधु-संतों ने फिल्म को हिंदू धर्म के खिलाफ एक षड्यंत्र बताते हुए लोगों से इस फिल्म को ना देखने की अपील की थी. साधु संतों ने कहा था कि इस फिल्म पर सरकार को तत्काल बैन लगाना चाहिए. फिल्म के विरोध में हरिद्वार का अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, शंकराचार्य परिषद, महामंडलेश्वर, जूना अखाड़ा और बड़ा अखाड़ा फिल्म का खुलकर विरोध कर रहे हैं.
किन-किन डायलॉग्स पर आपत्ति?
1. हनुमान जब लंका में जाते हैं, तो एक राक्षस उन्हें देख लेता है और पूछता है, ''ये लंका क्या तेरी बुआ का बगीचा है, जो हवा खाने चला आया.''
2. सीता से मिलने के बाद हनुमान को जब लंका में राक्षस पकड़ लेते हैं, तो मेघनाथ उनकी पूंछ में आग लगाने के बाद पूछता है, जली. इसके जवाब में हनुमान कहते हैं, ''तेल तेरे बाप का. कपड़ा तेरे बाप का. और जलेगी भी तेरे बाप की."
3. जब हनुमान लंका से लौटकर आते हैं और राम उनसे पूछते हैं कि क्या हुआ? इसके जवाब में हनुमान कहते हैं- बोल दिया, जो हमारी बहनों को हाथ लगाएंगे, उनकी लंका लगा देंगे.
4. लक्ष्मण पर वार करते हुए इन्द्रजीत एक जगह कहता है, ''मेरे एक सपोले ने तुम्हारे इस शेष नाग को लंबा कर दिया. अभी तो पूरा पिटारा भरा पड़ा है.'' इसके अलावा भी दर्शकों ने कुछ संवादों और भगवान राम, सीता, हनुमान और रावण की वेशभूषा पर भी आपत्ति जताई है.