कहते हैं मायावती के मन में अगर कोई बात बैठ गई तो कोई भी उसे नहीं निकाल सकता. लगता है ऐसा ही कुछ आकाश आनंद को लेकर भी हुआ है. मायावती के गहरे अंतरमन में यह बात बैठ गई है कि आकाश आनंद अपने ससुर और अपनी पत्नी के प्रभाव में आकर वह मिशन और मूवमेंट के खिलाफ चले गए हैं. और पार्टी कहीं अशोक सिद्धार्थ (आकाश के ससुर) के कब्जे में ना जाए, इसलिए मायावती ने अब जीते जी अपने उत्तराधिकार की कहानी ही खत्म कर दी. लखनऊ की अपनी मीटिंग में मायावती ने पहले अपने भतीजे को नेशनलकोऑर्डिनेटर के पद से हटा दिया फिर यह भी साफ कर दिया कि उनके जीते जी अब कोई बसपा का उत्तराधिकारी नहीं होगा.
एक सप्ताह पहले ही लग गया था अंदाजा:
आकाश आनंद के करीबी सूत्र बताते हैं कि इस बात का अंदाजा करीब हफ्ते पर पहले लग चुका था कि मायावती ये फैसला लेने वाली है और आकाश आनंद को पार्टी से पूरी तरीके से अलग करके ही दम लेंगी. क्योंकि उनके मन यह बात बैठ चुकी है कि उनका ससुराल पार्टी पर हावी और काबिज हो रहा है.
आकाश आनंद के करीबी सूत्रों की माने तो लखनऊ से लेकर दिल्ली तक कुछ लोगों ने मायावती के मन में यह बात बिठा दी कि आकाश आनंद अपने तरीके से पार्टी चलाना चाहते हैं, वो पार्टी की "किताब सिस्टम" को हटाकर नया सिस्टम लाना चाहते हैं यानि पुराने मूवमेंट के तरीके से बाहर निकाल कर नए तरीके से पार्टी चलाने के पक्षधर हैं और उनकी इस सोच में उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ उनका भरपूर साथ दे रहे हैं.
पहले प्रोफाइल बदला फिर किया पोस्ट :
एक साल पहले पार्टी के कार्यक्रम में आकाश आनंद ने इस बात की चर्चा भी कर दी थी की पार्टी के भीतर शीर्ष पदों पर बैठे लोग नहीं चाहते हैं की पार्टी में बदलाव हो, यही नहीं अपने इस भाषण में आकाश आनंद ने कहा था कि कार्यकर्ता धैर्य रखें जब अपना वक्त आएगा तब हम अपना सिस्टम पार्टी में लागू करेंगे. मायावती के करीबी कई शीर्ष नेताओं को यह लगने लगा था कि अगर आकाश के हाथ में बसपा की कमान गई तो बसपा पूरी तरीके से बदल जाएगी और पूर्ण तौर तरीका खत्म हो जाएगा. अब जबकि आकाश आनंद को सिर्फ सांकेतिक तौर पर पार्टी में रहने दिया गया है तो आकाश आनंद ने भी सोशल मीडिया का सहारा लिया और प्रोफाइल बदल दिया, उसके बाद आकाश आनंद ने X पर पोस्ट किया.
पहले तो उन्होंने अपना प्रोफाइल बदला जिसमें उन्होंने खुद को एक बहुजन मूवमेंट का कार्यकर्ता और बाबा साहब का समर्थक लिखा है और उसके बाद मायावती के नेतृत्व में अपनी पूरी आस्था जताते हुए अपने समर्थकों से धैर्य रखने की बात कही है.
X पर यह किया पोस्ट :
आकाश ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि 'परम पूज्य आदरणीय बहन कु. मायावती जी का कैडर हूं, और उनके नेतृत्व में मैने त्याग, निष्ठा और समर्पण के कभी ना भूलने वाले सबक सीखे हैं, ये सब मेरे लिए केवल एक विचार नहीं, बल्कि जीवन का उद्देश्य हैं. आदरणीय बहन जी का हर फैसला मेरे लिए पत्थर की लकीर के समान है, मैं उनके हर फैसले का सम्मान करता हूं उस फैसले के साथ खड़ा हूं. आदरणीय बहन कु. मायावती जी द्वारा मुझे पार्टी के सभी पदों से मुक्त करने का निर्णय मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से भावनात्मक है, लेकिन साथ ही अब एक बड़ी चुनौती भी है, परीक्षा कठिन है और लड़ाई लंबी है.ऐसे कठिन समय में धैर्य और संकल्प ही सच्चे साथी होते हैं. बहुजन मिशन और मूवमेंट के एक सच्चे कार्यकर्ता की तरह, मैं पार्टी और मिशन के लिए पूरी निष्ठा से काम करता रहूंगा और अपनी आखिरी सांस तक अपने समाज के हक की लड़ाई लड़ता रहूंगा. कुछ विरोधी दल के लोग ये सोच रहे हैं कि पार्टी के इस फैसले से मेरा राजनीतिक करियर समाप्त हो गया, उन्हें समझना चाहिए कि बहुजन मूवमेंट कोई करियर नहीं, बल्कि करोड़ों दलित, शोषित, वंचित और गरीबों के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान की लड़ाई है. यह एक विचार है, एक आंदोलन है, जिसे दबाया नहीं जा सकता. इस मशाल को जलाए रखने और इसके लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने के लिए लाखों आकाश आनंद हमेशा तैयार हैं'.
पोस्ट के क्या हैं मायने ?
आकाश आनंद के इस पोस्ट से एक बात तो साफ है कि आकाश आनंद फिलहाल सक्रिय सियासत से अलग होंगे,पार्टी से दूर होंगे और चुपचाप तबतक बैठेंगे जबतक उनका वक्त नहीं आ जाता. आकाश ने अपनी इस पोस्ट में कुछ इशारा भी किया है खासकर पार्टी के भीतर अपने विरोधियों के बारे में आकाश ने लिखा है कि जो यह समझ रहे हैं कि उसका करियर खत्म हो गया है वह गलतफहमी में है, आकाश आनंद ने लिखा है कि जब मुश्किल वक्त हो तब धैर्य और संकल्प ही सच्चे साथी होते हैं यानी आकाश आनंद फिलहाल एक कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी में होंगे बिल्कुल चुपचाप होंगे और अपने वक्त का इंतजार करेंगे.
काफी समय से चल रहीं थीं नाराज :
दरअसल मायावती पिछले काफी समय से अशोक सिद्धार्थ से नाराज चल रही थी, बता दे कि अशोक सिद्धार्थ आकाश आनंद के ससुर हैं,मायावती को इस बात का अंदेशा था कि दक्षिणी राज्यों के प्रभारी अशोक सिद्धार्थ पार्टी में एक समानांतर संगठन खड़ा कर रहे हैं दक्षिण भारत के नेताओं और कर्यकर्ताओं पर उन्होंने एक अलग प्रभाव बना लिया है जिसका पार्टी को कोई फायदा नहीं मिल रहा वह लोग पार्टी के बजाय अशोक सिद्धार्थ के लिए काम कर रहे हैं.
बहू का जिक्र नहीं :
मायावती के फैसले में उनके बहू का भी जिक्र है हालांकि उन्होंने आकाश आनंद की पत्नी का नाम नहीं लिखा है लेकिन इस प्रेस रिलीज से एक बात साफ झलकती है कि मायावती ने यह मान लिया था कि आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ और आकाश की पत्नी का प्रभाव आकाश पर कहीं ज्यादा है इसलिए वह अपने परिवार यानी अपने ससुराल के प्रभाव में काम कर रहे हैं और यह लोग पार्टी पर हावी हो सकते हैं.
बहरहाल आकाश आनंद के पास फिलहाल इंतजार करने के अलावा कुछ नहीं है क्योंकि वह पार्टी से लगभग बाहर ही कर दिए गए सिर्फ एक कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी में मौजूद हैं ऐसे में आने वाले वक्त में आकाश आनंद क्या कोई अलग फैसला लेंगे, क्या पार्टी से अलग होकर अलग राह पकड़ेंगे इस पर सब की नजर होगी.