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'मैंने भीड़ से कई लोगों को निकाला, लेकिन मां को नहीं उठा पाया....', भगदड़ के बाद कुंभ में बिछड़ गए अपने

महाकुंभनगर में बनाए गए अस्थाई केंद्रीय अस्पताल के बाहर खड़े तमाम लोग अपने अपने लापता परिजनों को खोज रहे हैं. इसके अलावा, प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज पहुंचे जयप्रकाश सोनी भी अपनी मां को तलाश रहे हैं. 

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MP के छतरपुर निवासी जयप्रकाश सोनी अपनी मां को तलाश रहे हैं.
MP के छतरपुर निवासी जयप्रकाश सोनी अपनी मां को तलाश रहे हैं.

Mahakumbh Stampede: प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान से पहले मची भगदड़ में 10 से ज्यादा लोगों की मौत होने की आशंका है. भगदड़ में कई लोग घायल भी हो गए हैं और लापता भी. तमाम आंखें अब अपने बिछड़े परिजनों को खोज रही हैं. मध्य प्रदेश के छतरपुर निवासी एक बेटा भी अपनी मां को खोजता मिला, तो वहीं यूपी के गोंडा के शख्स को अपने चाचा की तलाश थी.  

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महाकुंभनगर में बनाए गए अस्थाई केंद्रीय अस्पताल के बाहर खड़े तमाम लोग अपने अपने लापता परिजनों को खोज रहे हैं. इसके अलावा, प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज पहुंचे जयप्रकाश सोनी भी अपनी मां को तलाश रहे हैं. 

मध्य प्रदेश के बागेश्वर धाम यानी छतरपुर जिले से महाकुंभ पहुंचे जयप्रकाश ने बताया, ''रात 1:00 बजे इतनी भीड़ उमड़ी कि लोग एक-दूसरे पर चढ़ने लगे. कई लोग दब गए. मैंने कई लोगों को निकाला. लेकिन अपनी मां को नहीं निकाल सका. भीड़ में परिवार के भी कई लोग दब गए थे. फिर से कई लोगों को निकाल लिया, लेकिन मां काफी नीचे दब गई थीं. जब देर से निकाली गईं तो उनकी सांस फूल गई थी. फिर करीब आधे घंटे बाद एंबुलेंस पहुंची तो घायल मां को अस्पताल भेजा गया.''

लेकिन इस घटना के तकरीबन 8 से 9 घंटे बीत जाने के बाद भी जयप्रकाश सोनी को अपनी मां का कोई अता-पता नहीं चल रहा है. केंद्रीय अस्पताल पहुंचे तो बता दिया गया कि मां को मेडिकल कॉलेज पहुंचा दिया गया है. इसलिए अब यहां आया हूं.'' देखें Video:- 

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इसी तरह गोंडा से आए श्रद्धालु जोखू राम ने बताया कि भगदड़ में उनके चाचा की मौत हो गई. जबकि उनकी एक रिश्तेदार अभी भी लापता है और उनका कोई भी अता पता नहीं चल रहा है.

कर्नाटक की सरोजिनी ने अस्पताल के बाहर रोते हुए कहा, "हम दो बसों में 60 लोगों के समूह में आए थे, हमारे ग्रुप में 9 लोग थे. अचानक भीड़ में धक्का-मुक्की हुई और हम फंस गए.हममें से कई लोग गिर गए और भीड़ अनियंत्रित हो गई. भागने का कोई मौका नहीं था, हर तरफ से धक्का-मुक्की हो रही थी." 

जबकि मेघालय के एक अधेड़ दंपत्ति ने रोते हुए भगदड़ में फंसने के अपने दर्दनाक अनुभव के बारे में बताया. अस्पताल में मौजूद एक अन्य महिला, जिसका बच्चा इस अफरातफरी में घायल हो गया, ने अपनी आपबीती सुनाई और कहा, "हमारे पास निकलने के लिए कोई जगह नहीं थी. हमें धक्का देने वाले कुछ लोग हंस रहे थे, जबकि हम उनसे बच्चों के प्रति दया की भीख मांग रहे थे."

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