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संभल में थ्री लेयर सिक्योरिटी, छतों पर ड्रोन, फ्लैग मार्च.... जुमे की नमाज को लेकर चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहरा!

यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस डीके अरोड़ा की अध्यक्षता में संभल हिंसा की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है. रिटायर्ड आईएएस अमित मोहन प्रसाद और पूर्व डीजीपी एके जैन अन्य न्यायिक आयोग के सदस्य बनाए गए हैं. आयोग चार बिंदुओं पर इस मामले की जांच करेगा.

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संभल में जुमे की नमाज को लेकर पुलिस और प्रशासन अलर्ट पर रहा. (PTI Photo)
संभल में जुमे की नमाज को लेकर पुलिस और प्रशासन अलर्ट पर रहा. (PTI Photo)

संभल जामा मस्जिद विवाद को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है, साथ ही जुमे की नमाज भी है. इसे देखते हुए पुलिस प्रशासन मुस्तैद है. डीआईजी जी मुनिराज ने आजतक को बताया कि संभल में तीन स्तरीय सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं. यूपी पुलिस के साथ पीएसी, आरआरएफ, आरएएफ के जवान तैनात हैं. संभल जिला मुख्यालय को सेक्टर वाइज बांटकर सुरक्षा स्थिति की निगरानी की जा रही है. 

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छतों पर निगरानी के लिए ड्रोन तैनात किए गए हैं. डीआईजी ने बताया कि सिर्फ जामा मस्जिद के आसपास रहने वालों जुमे की नमाज अदा करने की अनुमति होगी. मस्जिद समिति से स्थानीय लोगों की पहचान करने के लिए वॉलंटियर्स की तैनाती करने को कहा गया है. प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी (लखनऊ से) स्थिति पर नजर रख रहे हैं. बता दें कि संभल मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके निचली अदालत के उस आदेश पर रोक लगाने की मांग की है, जिसमें सर्वे की अनुमति दी गई थी.

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मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

मस्जिद कमेटी ने अपनी याचिका में कहा है कि सिविल कोर्ट ने एकपक्षीय रूप से सर्वेक्षण के आदेश पारित किए और उसी दिन सर्वे करने का निर्देश दिया. इस पूरी प्रक्रिया में बहुत जल्दबाजी की गई. प्रभावित पक्षों को न तो नोटिस जारी किया गया और न ही से जवाब मांगा गया. कोर्ट और राज्य सरकार दोनों ने ही जवाब नहीं मांगा. मस्जिद कमेटी का कहना है कि जिस तरह से इस मामले में सर्वेक्षण का आदेश दिया गया और कुछ अन्य मामलों में आदेश दिया गया है, उसका देश भर में पूजा स्थलों के संबंध में दायर कई मामलों पर तत्काल प्रभाव पड़ेगा.

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मस्जिद कमेटी ने अपनी याचिका में कहा है कि ऐसे आदेशों से सांप्रदायिक भावनाएं भड़कने, कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने और देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नुकसान पहुंचने की संभावना है. याचिका में निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है और कहा ​गया है कि एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में जमा हो. साथ ही मामले में यथास्थिति बनाए रखने की मांग की गई है. बता दें कि संभल में 24 नवंबर की सुबह तब हिंसा भड़क गई थी, जब जामा मस्जिद के सर्वे का विरोध कर रही भीड़ उग्र हो गई और आगजनी और पथराव शुरू कर दिया.

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संभल हिंसा की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित

भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया गया और प्रशासन की गाड़ियों में आग लगा दी. उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने भी हल्का बल प्रयोग किया. इस हिंसा में पुलिस के 20 से ज्यादा अधिकारी और कर्मी घायल हुए, जबकि चार लोगों की गोली लगने से मौत हो गई. मुस्लिम पक्ष का आरोप है कि ये मौतें पुलिस की गोली से हुई हैं, जबकि पुलिस ने इन आरोपों का खंडन किया है. पुलिस का कहना है कि ये मौतें दो पक्षों के बीच आपसी अदावत में चली गोलियों के कारण हुई हैं और हमारी तरफ से कोई गोली नहीं चलाई गई. इस बीच यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस डीके अरोड़ा की अध्यक्षता में संभल हिंसा की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है.

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रिटायर्ड आईएएस अमित मोहन प्रसाद और पूर्व डीजीपी एके जैन अन्य न्यायिक आयोग के सदस्य बनाए गए हैं. आयोग चार बिंदुओं पर इस मामले की जांच करेगा. संभल हिंसा साजिश थी या अचानक हुई घटना. जिला प्रशासन और पुलिस की तरफ से कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए क्या इंतजाम किए गए थे. किन परिस्थितियों में हिंसा हुई, पुलिस ने किन परिस्थितियों में बल प्रयोग किया. इस हिंसा में संलिप्त लोगों की भूमिका की भी जांच आयोग करेगा और दो महीने में अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगा. साथ ही भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो इस संबंध में अपने सुझाव देगा.

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