संभल की घटना पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जब लोकसभा में बोल रहे थे, तभी सत्ता पक्ष की ओर बैठे किसी सांसद ने कमेंट कर दिया तो इस पर वह भड़क गए. सपा मुखिया ने उस कमेंट का रिप्लाई करते हुए कहा- हम बनते तो बहुत कुछ है. इसके बाद उन्होंने आगे कुछ नहीं बस संभल में जो घटना हुई थी, उसे विस्तार से बताने लगे. इस दौरान उनके पीछे वाली सीट पर संभल के सांसद जियाउर्रहमान बर्क बैठे हुए थे.
दरअसल अखिलेश ने जैसे ही संभल हिंसा पर बोलना शुरू किया, वैसे ही उन्हें बेगूसराय से बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल टोकने लगे. उनकी इस टोका-टोकी पर अखिलेश ने पहले तो ध्यान नहीं दिया, लेकिन बाद में जब सत्ता पक्ष की ओर से कहा गया कि बड़े सेक्युलर बनते हैं तो इस पर अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा- हम बनते तो बहुत कुछ हैं और फिर मुस्कुराने लगे.
संभल हिंसा पर अखिलेश ने क्या कहा?
सपा मुखिया ने संभल हिंसा का मुद्दा उठाते हुए कहा कि संभल में हजारों साल से लोग साथ में रहते आए हैं. वहां के भाईचारे को गोली मारने का काम हुआ है. उन्होंने कहा, "अचानक जो ये घटना हुई है. ये सोची-समझी साजिश के तहत वेल प्लान्ड थी. वहां जो खुदाई या खुदाई की बात बीजेपी और उनके समर्थक करते हैं, ये खुदाई हमारे देश का सौहार्द, भाईचारा और गंगा-जमुनी तहजीब को खो देगा."
संभल की घटना सोची-समझी साजिश: सपा अध्यक्ष
अखिलेश यादव ने संभल की घटना को सोची-समझी साजिश बताते हुए कहा कि ये सरकार संविधान को नहीं मानती है. उसके बाद अखिलेश ने आरोप लगाया कि यूपी में उपचुनाव 13 नवंबर को होने थे, लेकिन तारीख आगे बढ़ाई गई और फिर 20 नवंबर को चुनाव कराए गए. उससे पहले 19 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वे कराने की मांग को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई. दूसरे पक्ष को सुने बिना सर्वे का आदेश दे दिया गया. एक बार ढाई घंटे सर्वे के बाद जब ये हो गया कि अब रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाएगी, फिर सर्वे की क्या जरूरत थी. लोगों को पुलिस ने जुमे की नमाज पढ़ने से रोका. लोगों ने दोबारा सर्वे की वजह जाननी चाही तो पुलिस प्रशासन ने बेकसूरों पर लाठी चार्ज किया और फिर सरकारी और प्राइवेट हथियारों से गोली मारी.
ये लड़ाई लखनऊ और दिल्ली के बीच है: अखिलेश
सपा अध्यक्ष ने कहा, संभल का माहौल बिगाड़ने में याचिका दायर करने वाले लोगों के साथ पुलिस के लोग भी जिम्मेदार हैं. इनके खिलाफ हत्या का मामला चलाना चाहिए. जिससे लोगों को इंसाफ मिल सके और आने वाले समय में कोई अधिकारी ऐसा करने की हिमाकत न कर सके. उन्होंने आगे कहा, "ये लड़ाई दिल्ली और लखनऊ की है. कभी दिल्ली पहुंचे थे जिस रास्ते पर, उसी रास्ते पर लखनऊ वाले पहुंचना चाहते हैं."