समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव आज महाकुंभ पहुंचे और संगम में आस्था की डुबकी लगाई. इस दौरान उन्होंने आजतक से खास बातचीत की. जब उनसे पूछा गया कि संगम में 11 डुबकी लगाने के पीछे उनकी क्या मनोकामना है? इस पर अखिलेश ने कहा कि एक बहुत प्रतिष्ठित, सम्मानित साधु-संत से मुझे जानकारी मिली थी कि 11 डुबकी सबसे अच्छी मानी जाती है, 11 डुबकियों का पुण्य होता है, मुझे 11 डुबकी लगाने का आज शुभ अवसर मिला.
यहां आने पर आपकी क्या मनोकामना रही? इस पर अखिलेश ने कहा कि आज पूरा देश गणतंत्र दिवस मना रहा है. आज के दिन यही कामना है कि सौहार्द, सद्भावना और समाज की सहनशीलता बनी रहे.
महाकुंभ की व्यवस्था को लेकर आपने X पर कई सवाल खड़े किए, आप आज यहां आए तो क्या कुछ नजर आया? इस सवाल के जवाब में अखिलेश यादव ने कहा कि विपक्ष की जिम्मेदारी ये है कि जहां कमी है वो सरकार तक पहुंचे. जिस समय वो जानकारी दी गई, उसके बाद काम बहुत तेजी से हुआ. ये काम पहले भी हो सकता था, लेकिन इतने बड़े महाकुंभ में कमियां गिनाने को तो बहुत गिनाई जा सकती हैं, लेकिन यहां कोई कमी देखने नहीं आता. यहां न जाने कितने वर्षों से लोग आ रहे हैं. कई सदियों से आ रहे हैं, ये पौराणिक परंपरा है. किसी को बुलाने से या न्योता देने से नहीं, बल्कि यहां लोग अपनी आस्था से आते हैं. आस्था से डुबकी लगाते हैं. स्नान करते हैं. पुण्य के लिए आते हैं, दान करके जाते हैं.
क्या आपको मां गंगा ने आज बुलाया था? इस सवाल पर अखिलेश ने कहा कि 'नहीं, मैं कोई पहली बार नहीं आया हूं, इससे पहले भी मैं आ चुका हूं. सरकार में भी मुझे कुंभ के आयोजन का मौका मिला था. उस समय भी कम संसाधन में जितना हम लोग कर सकते थे, वो किया और उस समय हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने जो स्टडी की थी, उसने तमाम चीज़ें वो रखी गईं, जो उस समय पहली बार हुई थीं.
जब आपकी सरकार थी तब कुंभ था और अब महाकुंभ है. आपको क्या अंतर लगता है व्यवस्थाओं और भीड़ में? इस सवाल के जवाब में सपा अध्यक्ष अखिलेश ने कहा कि 12 साल में कुंभ होता है तो उतने ही लोग आते हैं, जितने आज आए होंगे. पहले की तुलना में आबादी भी बढ़ी है. तो लोगों की संख्या ज्यादा हो सकती है. लेकिन लोगों की काउंटिंग की मेथडोलॉजी क्या है? आप (यूपी सरकार) कह रहे हैं कि इस महाकुंभ में इतने लोग आए थे, जितने पहले कभी नहीं आए.