उत्तर प्रदेश सरकार ऐसा सिस्टम स्थापित करने की तैयारी में है, जो आकाशीय बिजली के बारे में पहले ही सूचना और चेतावनी दे देगा. ऐसा करने से मानसून में बिजली गिरने से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है. बता दें कि बीते दिनों प्रदेश के कई जिलों में आकाशीय बिजली से दर्जनों मौतें हो गईं. इसी को लेकर सरकार इस सिस्टम को लगाना चाहती है.
एजेंसी के अनुसार, उत्तर प्रदेश में Lightning Alert Management System तीन चरणों में स्थापित किया जाएगा. स्टेट रिलीफ डिपार्टमेंट के अनुसार, इस महीने अब तक उत्तर प्रदेश में बिजली गिरने से 84 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से 43 लोगों की मौत 10 जुलाई की शाम 6:30 बजे से 24 घंटे की अवधि में हुई.
आकाशीय बिजली गिरने से हुई मौतों की यह संख्या पिछले साल से काफी अधिक है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार बीते साल 41 लोगों की मौत बिजली गिरने से हुई थी. आईएमडी की एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश देश के उन राज्यों में शामिल हैं, जहां बिजली गिरने से सबसे अधिक मौतें होती हैं.
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लखनऊ में मौसम विभाग के निदेशक डॉ. मनीष रानालकर ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बिजली गिरने से होने वाली मौतों के आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए हम पहले से ही बिजली गिरने का पता लगाने वाली प्रणाली स्थापित करने पर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) को जरूरी दिशा-निर्देश दिए हैं. इसके बाद पूरे राज्य में समय और स्थान के हिसाब से अधिक सटीक टाइम ऑफ अराइवल (टीओए) तकनीक पर आधारित अत्याधुनिक बिजली गिरने का पता लगाने वाला सिस्टम लगाने का फैसला किया गया है.
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आईएमडी वर्तमान में किसी क्षेत्र में बिजली गिरने के बारे में पता लगाने के लिए रडार आधारित प्रणालियों और उपग्रह डेटा पर निर्भर है, लेकिन इसे रियल टाइम वार्निंग नहीं माना जाता है. रानालकर ने कहा कि टीओए-आधारित सिस्टम बिजली गिरने की संभावना का कम से कम 30 मिनट पहले सफलतापूर्वक पता लगा सकता है और चेतावनी दे सकता है. इस सिस्टम को स्थापित करने की अनुमानित लागत लगभग 300 करोड़ रुपये होगी.
रानालकर ने कहा कि उत्तर प्रदेश लाइटनिंग अलर्ट मैनेजमेंट सिस्टम की स्थापना की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इस साल के अंत तक पहले चरण में इस सिस्टम के स्थापित और एक्टिव होने की संभावना है. उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त नवीन कुमार ने बताया कि पहले चरण में 37 जिलों में लाइटनिंग अलर्ट मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया जाएगा. दूसरे और तीसरे चरण में क्रमशः 20 और 18 जिलों में यह सिस्टम लगाया जाएगा.