अलीगढ़ में एक हिंदू दुकानदार द्वारा मस्जिद में नमाज अदा करने का मामला विवाद का कारण बन गया है. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद, कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने इसे धार्मिक आस्था के खिलाफ बताया और दुकानदार से "शुद्धिकरण" (Shuddhi Karan) करने की मांग की है.
जानिए क्या है पूरा मामला?
अलीगढ़ के मामू भांजा क्षेत्र में रहने वाले सुनील राजानी एक दुकानदार हैं, उन्होंने गुरुवार शाम को अपने मुस्लिम पड़ोसियों के साथ मस्जिद में नमाज अदा की. यह तुरंत लिया गया निर्णय था, लेकिन जब इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो बीजेपी युवा मोर्चा (BJYM) के नेता मोनू अग्रवाल ने इसे धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ बताया.
दक्षिणपंथी संगठनों की प्रतिक्रिया
मोनू अग्रवाल ने कहा कि राजानी को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए और उन्हें मंदिर में जाकर शुद्धिकरण अनुष्ठान करना चाहिए. उन्होंने इसे धार्मिक अपमान करार दिया और कहा कि यह समुदाय की भावनाओं को आहत करने वाला कदम था.
सुनील राजानी की सफाई
जब राजानी मस्जिद से बाहर निकले, तो कुछ हिंदू संगठनों के सदस्यों ने उनसे सवाल किया. इस पर राजानी ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने आवेश में आकर नमाज पढ़ी और किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का उनका कोई इरादा नहीं था. इसके बाद, उन्होंने गंगा जल छिड़ककर "स्वयं शुद्धिकरण" करने का प्रयास किया.
अब तक इस मामले में कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई है और न ही पुलिस ने इसमें कोई हस्तक्षेप किया है. हालांकि, सोशल मीडिया पर यह मुद्दा तेजी से चर्चा में बना हुआ है.
क्या कहता है संविधान?
भारतीय संविधान धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25) देता है, जिसके तहत कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म का पालन कर सकता है.
इस घटना को लेकर मामू भांजा क्षेत्र में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. जहां कुछ लोगों ने इसे धार्मिक सौहार्द और आपसी भाईचारे का उदाहरण बताया, वहीं दक्षिणपंथी संगठनों ने इसे हिंदू धार्मिक भावनाओं का अपमान करार दिया.