मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा. दोपहर 2 बजे तक कोर्ट का फैसला आने की उम्मीद है. हिंदू पक्ष ने जो याचिकाएं दायर की हैं, उनमें शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन को हिंदुओं की बताया है और वहां पूजा का अधिकार दिए जाने की मांग की है. वहीं, मुस्लिम पक्ष ने प्लेसिस ऑफ वर्शिप एक्ट, वक्फ एक्ट, लिमिटेशन एक्ट और स्पेसिफिक पजेशन रिलीफ एक्ट का हवाला दिया और हिंदू पक्ष की याचिकाओं को खारिज किए जाने की दलील पेश की है.
अब इलाहाबाद हाईकोर्ट तय करेगा कि मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में दाखिल 18 अर्जियों की एक साथ सुनवाई होगी या नहीं. HC में कोर्ट नंबर 71 के जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच फैसला सुनाएगी. इससे पहले 6 जून को सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
दरअसल, हिंदू पक्ष की तरफ से 18 याचिकाएं दाखिल की गई हैं. वहीं, मुस्लिम पक्ष ने ऑर्डर 7 रूल, 11 के तहत इन याचिकाओं की पोषणीयता पर सवाल उठाए और इन्हें खारिज किए जाने की अपील की.
हिंदू और मुस्लिम पक्ष के लिए गुरुवार का दिन बेहद अहम माना जा रहा है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह से संबंधित कुल 18 याचिकाओं को लेकर फैसला आना है. भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव और सात अन्य की तरफ से दाखिल सिविल वाद की पोषणीयता को लेकर याचिकाएं दायर की गईं हैं. उसके बाद शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी इलाहाबाद हाई कोर्ट में सीपीसी के ऑर्डर 7, रूल 11 के तहत याचिकाएं दाखिल की थीं.
हिंदू पक्ष द्वारा दाखिल याचिकाओं में दावा किया गया है कि मस्जिद का निर्माण कटरा केशव देव मंदिर की 13.37 एकड़ भूमि पर किया गया है. औरंगजेब के जमाने की ये मस्जिद, मंदिर के विध्वंस के बाद बनाई गई है. अब इलाहाबाद हाईकोर्ट तय करेगा कि हिंदू पक्ष की 18 याचिकाएं सुनवाई करने योग्य हैं या नहीं.
मुस्लिम पक्षकारों की दलीलें हैं कि...
1. इस जमीन पर दोनों पक्षों के बीच 1968 में समझौता हुआ है. 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं. लिहाजा, मुकदमा चलने योग्य ही नहीं है.
2. उपासना स्थल कानून यानी प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत भी मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है.
3. 15 अगस्त 1947 के दिन जिस धार्मिक स्थल की पहचान और प्रकृति जैसी है वैसी ही बनी रहेगी. यानी उसकी प्रकृति नहीं बदली जा सकती.
4. लिमिटेशन एक्ट और वक्फ अधिनियम के तहत भी इस मामले को देखा जाए.
5. इस विवाद की सुनवाई वक्फ ट्रिब्यूनल में हो. यह सिविल कोर्ट में सुना जाने वाला मामला है ही नहीं.
हिंदू पक्षकारों की दलीलें हैं कि...
1. ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ का एरिया भगवान श्रीकृष्ण विराजमान का गर्भगृह है.
2. मस्जिद कमेटी के पास भूमि का कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं है.
3. सीपीसी का आदेश-7, नियम-11 इस याचिका में लागू ही नहीं होता है.
4. मंदिर तोड़कर मस्जिद का अवैध निर्माण किया गया है.
5. जमीन का स्वामित्व कटरा केशव देव का है.
6. बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के इस भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया है.
7. भवन पुरातत्व विभाग से भी संरक्षित घोषित है, इसलिए भी इसमें उपासना स्थल अधिनियम लागू नहीं होता.
8. एएसआई ने इसे नजूल भूमि माना है, इसे वक्फ संपत्ति नहीं कह सकते.
कब दाखिल की गईं याचिकाएं...
साल 2020 में वकील रंजना अग्निहोत्री और सात अन्य पक्षकारों ने मिलकर मथुरा सिविल कोर्ट में यह मुकदमा दायर किया था. ये याचिका शुरुआत में एक सिविल अदालत ने खारिज कर दी थी. बाद में जिला अदालत ने इसे ‘सुनवाई योग्य’ माना. ढाई साल के समय के बाद उसी अदालत में अतिरिक्त 17 याचिकाएं दायर की गईं. चूंकि मथुरा जिला अदालत में ही इन याचिकाओं पर अलग-अलग निचली अदालतें विभिन्न चरणों में सुनवाई कर रही थीं. मामले की संवेदनशीलता और महत्व को देखते हुए हिंदू पक्षकारों की अर्जी पर मई 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समेकित निर्णय के लिए सभी 18 याचिकाएं अपने पास तलब की थीं.
मुस्लिम पक्षकारों ने इस पर एतराज जताते हुए इन्हें खारिज करने की गुहार लगाई थी. मुस्लिम पक्ष ने तर्क दिया है कि ये सभी 18 अर्जियां लचर आधार और दलीलों पर दाखिल ली गई हैं. लिहाजा सुनवाई योग्य ही नहीं हैं.
एडवोकेट कमीशन पर कोर्ट ने क्या फैसला दिया?
इससे पहले 14 दिसंबर, 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का अदालत की निगरानी में सर्वे के लिए एडवोकेट कमीशन के गठन की मांग वाली अर्जी स्वीकार कर ली थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश को मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर 17 जनवरी 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा एडवोकेट कमीशन के गठन वाले आदेश पर रोक लगा दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया था कि CPC के ऑर्डर 7, रूल 11 के तहत मुकदमे की स्थिरता समेत विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष सुनवाई जारी रहेगी.
सुप्रीम कोर्ट के रोक वाले आदेश के बाद हिंदू पक्ष ने रेवेन्यू सर्वे की मांग वाली अर्जी भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल की थी. मई 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से संबंधित सभी मामलों को मथुरा कोर्ट से अपने पास ट्रांसफर कर लिया था.